प्रवासी मजदूरों के लिए संजीवनी सिद्ध हो रहा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत अबतक 12,072 करोड़ रूपये की राशि प्रवासी मजदूरों या कामगारों को रोजगार देने में खर्च की जा चुकी है और लगभग 15 करोड़ कार्यदिवस इस अभियान के अंतर्गत सृजित हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून 2020 को शुरू की थी। इस अभियान को शुरू हुए लगभग 50 दिन हुए हैं। लेकिन इतने समय में ही इस अभियान के तहत लगभग 15 करोड़ कार्यदिवस सृजित किये जा चुके हैं। यह इस अभियान की सफलता को दर्शाता है।

कोरोना महामारी के कारण अप्रैल, मई और जून महीनों में करोड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को अपने गाँव लौटना पड़ा था। घर वापसी के बाद अधिकांश मजदूरों एवं कामगारों को अपने गाँव में रोजगार नहीं मिल रहा था और अधिकतर लोगों की जमा-पूँजी तालाबंदी के 15 दिनों के अंदर ही समाप्त हो चुकी थी।

साभार : Dainik Bhaskar

इसी बीच, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान का आगाज किया, जो प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों के लिये संजीवनी बन गयी है। आज इस अभियान की मदद से करोड़ों प्रवासी मजदूर एवं कामगार अपना जीवनयापन कर रहे हैं।

मौजूदा समय में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर एवं कामगार 6 राज्यों, मसलन, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा और झारखण्ड के रहने वाले हैं। इसलिये, इस अभियान को इन राज्यों के 116 जिलों में 125 दिनों तक प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को रोजगार देने के लिये मिशन की तरह चलाया जा रहा है।

इस अभियान की जद में बिहार के 32 जिले, उत्तरप्रदेश के 31 जिले, मध्यप्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, ओडिशा के 4 जिले और झारखंड के 3 जिले हैं। सच कहा जाये तो इस अभियान को चलाना बहुत ही जरूरी था, अन्यथा करोड़ों की संख्या में मजदूरों एवं कामगारों को भूखे मरने की नौबत आ जाती।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान को ग्रामीण विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, खनन मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, सीमा सड़क मंत्रालय, दूरसंचार मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के सयुंक्त प्रयासों से चलाया जा रहा है। इन 12 मंत्रालयों को इस अभियान से इसलिये जोड़ा गया है, ताकि रोजगार सृजन करने वाले क्षेत्रों की व्यापकता में वृद्धि हो।

इन मंत्रालयों के तहत आने वाले क्षेत्रों में इस अभियान के तहत प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को रोजगार दिया जा रहा है। उदहारण के तौर पर इस अभियान के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्र का निर्माण, सामुदायिक केंद्र का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्र में सड़क निर्माण व मरम्मत, ग्रामीण आवास का निर्माण, बागवानी लगाना एवं उसका रखरखाव, जल संरक्षण से जुड़े कार्य, मिट्टी कटाई के काम, कुओं का निर्माण, वृक्षारोपण का काम, ग्रामीण कनेक्टिविटी का काम, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े कार्य, खेत एवं तालाबों का निर्माण, पशु शेड के तहत पोल्ट्री, बकरी, गाय व भैंस के लिये शेड का निर्माण, वर्मी-कम्पोस्ट संरचनाओं का निर्माण आदि कार्य प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों के द्वारा किया जा रहा है। जहाँ पर पंचायत भवन नहीं है, वहाँ पंचायत भवन का निर्माण भी प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों के द्वारा किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत अबतक 12,072 करोड़ रूपये की राशि प्रवासी मजदूरों या कामगारों को रोजगार देने में खर्च की जा चुकी है और लगभग 15 करोड़ कार्यदिवस इस अभियान के अंतर्गत सृजित हो चुके हैं।

इस अभियान की मदद से 1,751 स्वच्छता परिसर, 1,43,951 ग्रामीण आवास, 12,968 पशुओं के लिये शेड, 7,662 कृषि तालाब, 2,806 बकरियों के लिये शेड, 51,984 जल संरक्षण एवं मिट्टी की कटाई के कार्य, 36,266 हेक्टेयर में वृक्षारोपण, 3,074 श्यामा प्रसाद मुखर्जी मिशन से जुड़ी गतिविधियां, 9,219 ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन आदि परिसंपत्तियां सृजित हुई हैं।

रेलवे ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत अब तक उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड के 116 चिह्नित जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में 737 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की है, जिससे 2,20,413 कार्य दिवस का सृजित हुए हैं।

सांकेतिक चित्र (साभार : The Financial Express)

रेलवे ने इस अभियान के तहत 160 बुनियादी संरचना परियोजनाओं को चिह्नित किया है। माना जा रहा है कि अक्टूबर महीने के अंत तक रेलवे के प्रयासों से लगभग आठ लाख कार्य दिवस सृजित होंगे, जिसपर करीब 1,800 करोड़ रुपये की राशि खर्च किये जाने का प्रस्ताव है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार 125 दिनों के अंदर सरकार लगभग 25 योजनाओं को 116 जिलों तक पहुँचाना चाहती है। सरकार का लक्ष्य है कि इन सभी योजनाओं का लाभ प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत दिया जाये।

गरीब कल्याण रोजगार का ऑनलाइन वेब पोर्टल बनाया गया है। यह वेब पोर्टल प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को इस अभियान की जिलावार जानकारी प्रदान करता है। साथ ही, यह 6 राज्यों के 116 जिलों में चल रहे कार्यों को पूरा करने की प्रगति की निगरानी रखने में भी मदद करता है।

इस योजना का फ़ायदा उठाने के लिये वेब पोर्टल पर प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। सरकार की योजना इस अभियान को सफल बनाने के लिये लगभग 50 हज़ार करोड़ रूपये खर्च करने की है, ताकि अधिक से अधिक प्रवासी मजदूर एवं कामगार इस अभियान से लाभान्वित हो सकें।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान की मदद से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने के लिये ग्रामीण उत्पादों पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। चिन्हित 6 राज्यों के जिलों में ऐसे अनेक स्थानीय उत्पाद हैं, जिन्हें बढ़ावा देने से कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा एवं लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान को सफल बनाने के लिये सभी हितधारकों एवं 12 मंत्रालयों के बीच समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। इस अभियान के तहत मजदूरों एवं कामगारों को उनकी कार्यकुशलता के आधार पर काम दिया जा रहा है।

सरकार चाहती है कि सभी मजदूरों एवं कामगारों को उनके गुण, कुशलता एवं विशेषज्ञता के आधार पर काम दिया जाये। ऐसा करने से मजदूर एवं कामगार अपना सर्वश्रेष्ठ दे पायेंगे और इससे किये जाने वाले कार्यों की उत्पादकता एवं गुणवत्ता दोनों में इजाफा होगा।

कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान से प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है। लोगों को रोजगार मिल रहा है। इस तरह, सरकार के रोजगार सृजन वाले इस अभियान से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति में इजाफा हो रहा है साथ ही साथ कोरोना महामारी के नकारात्मक असर को भी कम करने में मदद मिल रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)