वित्तीय समावेशन का शानदार उदाहरण बनी प्रधानमंत्री जन-धन योजना

जिस देश में सरकारी योजनाएं नेताओं-भ्रष्ट अधिकारियों की लूट का जरिया बनती रही हों, वहां देश भर में बैंकिंग प्रणाली का विकास और योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खातों में भेजना कठिन कार्य था, लेकिन मोदी सरकार ने इस असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को मात्र नौ वर्षों में हासिल कर लिया। यह एक बड़ा कारण है कि मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

मोदी सरकार की पिछले नौ वर्षों की एक बड़ी उपलब्धि यह है कि बैंक, बीमा, रसोई गैस, शौचालय, बिजली जैसी जो मूलभूत सुविधाएं पहले शहरों तक सीमित थीं, वे आज बिना किसी भेदभाव के सभी देशवासियों को सरलता से उपलब्ध हैं। यहां 28 अगस्त 2023 को 9 साल पूरे करने वाली प्रधानमंत्री जन धन योजना का उल्लेख प्रासंगिक है।

28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) शुरू की गई जिसका उद्देश्य हर ऐसे परिवार को जीरो बैंक बैलेंस खाता उपलब्ध कराना था जो बैंकिंग सेवा से नहीं जुड़े थे। 16 अगस्त 2023 को पीएमजेडीवाई के तहत खुले बैंक खातों की संख्या 50 करोड़ हो गई जो एक बड़ी उपलब्धि है।

इन बैंक खातों में न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा मुफ्त रुपये डेबिट कार्ड, दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं।

पीएमजेडीवाई के तहत खुले बैंक खातों की एक विशेषता यह है कि 56 प्रतिशत बैंक खाते महिलाओं के हैं। इतना ही नहीं 67 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों में खुले हैं। आज इन बैंक खातों में 2.03 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि केंद्र को धन के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिली, फर्जी खाते खत्म हुए और सरकारी योजनाओं के लाभ को लक्षित वर्गों तक पहुंचाने में सहायता मिली।

उदाहरण के लिए सरकार ने कोविड महामारी के दौरान जन-धन खातों का इस्तेमाल किया और ग्रामीण परिवारों के खातों में तत्काल डीबीटी के माध्यम से धन भेजा। मात्र दस दिनों के भीतर 20 करोड़ से अधिक महिलाओं के बैंक खातों में राशि भेजी गई।

आज इन बैंक खातों का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं की सब्सिडी, छात्रवृत्ति, पेंशन, आपदा सहायता जैसी अनगिनत योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाने में किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 में सरकार ने विभिन्न योजनाओं के 7.16 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए जो 2013-14 में हस्तांतरित राशि (7367 करोड़ रुपये) की तुलना में 100 गुना ज्यादा है जब प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण (डीबीटी) शुरू किया गया था।

स्पष्ट है यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है। इस योजना ने समाज के सभी वर्गों विशेषकर वंचित वर्ग के समावेशी विकास में योगदान दिया है। पहले विरोधी पीएमजेडीवाई योजना पर व्यंग्य करते हुए कहते थे कि ये खाते खाली पड़े हैं लेकिन अब जीरो बैंक बैलेंस खातों की संख्या मात्र 8 प्रतिशत रह गई। आज इन बैंक खातों में 2.03 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। पीएमजेडीवाई खाताधारकों को 34 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए हैं।

जिस देश में सरकारी योजनाएं नेताओं-भ्रष्ट अधिकारियों की लूट का जरिया बनती रही हों, वहां देश भर में बैंकिंग प्रणाली का विकास और योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खातों में भेजना कठिन कार्य था, लेकिन मोदी सरकार ने इस असंभव से दिखने वाले लक्ष्य को मात्र नौ वर्षों में हासिल कर लिया। यह एक बड़ा कारण है कि मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)