चीन

प्रधानमंत्री मोदी के लद्दाख दौरे से साबित हो गया कि ये 1962 का भारत नहीं, 2020 का ‘नया भारत’ है

1962 के विपरीत प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ सेना को अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस कर रहे हैं बल्‍कि सेना को स्‍थिति से निपटने के लिए पूरी छूट भी दे रखी है।

एप बैन : चीन पर मोदी सरकार की ये डिजिटल स्ट्राइक देश के युवाओं के लिए एक अवसर है

ये सारे एप देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी थे। इन कारणों को मापदंड बनाकर इन्‍हें प्रतिबंधित किया गया। इन्‍हें लेकर सरकार को लंबे समय से शिकायतें प्राप्‍त हो रही थीं।

’सरकार से जवाब माँगना छोड़े, राजीव गांधी फाउंडेशन मामले में उठ रहे सवालों का जवाब दे कांग्रेस’

जिस तरह से राजीव गांधी फाउंडेशन का प्रकरण सामने आया है और कांग्रेस का चीनी चंदे का कनेक्शन खुला है, उसने नए सवाल खड़े किए हैं।

राजीव गांधी फाउंडेशन प्रकरण : क्या चंदे के लिए कांग्रेस ने देश के हितों की बलि चढ़ा दी ?

यह चीन से कांग्रेस पार्टी को मिले चंदे की करामात है कि यूपीए सरकार ने चीन से आयातित वस्‍तुओं पर आयात शुल्‍क में लगातार कमी की।

बात-बात में तानाशाही का रोना रोने वाले वामपंथी चीन के विस्तारवादी रुख पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं?

जो वामपंथी कला-संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भी तथाकथित साम्राज्यवाद आदि का आए दिन हौव्वा खड़ा किए रहते हैं, वे चीन की विस्तारवादी रवैय्ये पर एक शब्द भी नहीं बोलते!

भारत-चीन प्रकरण: विदेश नीति के मामले में तो अपनी अपरिपक्व बयानबाजी से बाज आएं राहुल गांधी

घरेलू राजनीति में अपरिक्‍वता का परिचय देने वाले राहुल गांधी जिस तरह विदेशी मामलों में राजनीतिक लाभ के लिए गलतबयानी कर रहे हैं, वह देश के लिए घातक है।

जिनकी सरकारों ने कभी सीमा पर ध्यान नहीं दिया, वे सीमा सुरक्षा को लेकर पीएम पर किस मुंह से सवाल उठा रहे हैं?

यह देश का सौभाग्य ही है कि उसने ऐसे कुचक्रों एवं भ्रामक प्रचारों को अस्वीकृत कर निर्वाचित नेतृत्व को और अधिक सशक्त बनाकर अपनी प्रगति का पथ प्रशस्त किया।

मोबाइल निर्यात बाजार में भारत की दस्‍तक

अब तक अग्रणी मोबाइल आयातक के रूप में शुमार भारत जल्‍दी ही मोबाइल निर्यातक की श्रेणी आ जाए तो आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। दरअसल मोदी सरकार 370 अरब डॉलर के वैश्‍विक मोबाइल बाजार में चीन-वियतनाम को टक्‍कर देने की रणनीति पर काम कर रही है।

कांग्रेस सरकारों की उपेक्षा का नतीजा है भारत-चीन सीमा विवाद

देखा जाए तो आज जो स्‍थिति बनी है वह कांग्रेसी सरकारों की लंबे अरसे की उपेक्षा का नतीजा है। इसी को देखते हुए 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी ने चीन सीमा से लगते इलाकों में सड़क और दूसरी आधारभूत परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी

भारत सहित विश्व व्यापार पर कैसा होगा कोरोना संकट का प्रभाव ?

भारत में परिस्थितियाँ, अन्य विकासशील देशों की तुलना में, थोड़ी अलग हैं।  भारत में एक बहुत बड़ा बाज़ार उपलब्ध है। स्थानीय स्तर पर निर्मित किए जाने वाले विभिन्न उत्पादों को आसानी से भारत में ही खपाया जा सकता है। भारत को आर्थिक विकास के सम्बंध में बहुत अधिक चिंता करने की शायद आवश्यकता नहीं है।