नरेंद्र मोदी

घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए बनने लगा माहौल

सन १९९० में कश्मीरी पंडितो को कट्ट्रपंथियों के दबाव में मजबूरन अपना घर छोड़कर घाटी को अलविदा कहना पड़ा था, मगर आज २७ साल बाद उन्हें पुन अपने घर वापसी का रास्ता मिल गया है। २० जनवरी २०१७ को जम्मू कश्मीर विधान सभा में सभी दलों की सर्वसहमति के पश्चात् घाटी के पंडितो को विस्थापित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस प्रस्ताव के पारित होने के ठीक २७ वर्ष

परिवार और राजनीति के बीच अंतर का आदर्श स्थापित करते प्रधानमंत्री मोदी

गत दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कहा गया कि भाजपा इन चुनावों में अवश्य जीत हासिल करेगी, लेकिन इसके लिए मेहनत की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने यह हिदायत भी दी कि पार्टी नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट न मांगें। इस बयान के गहरे और व्यापक निहितार्थ हैं, जिन्हें समझने की आवश्यकता है। दरअसल आज देश

नोटबंदी की विफलता का बेसुरा राग

नोटबंदी को लेकर पिछले पचास दिनों में जमकर सियासत हुई । व्यर्थ के विवाद उठाने की कोशिश की गई । केंद्र सरकार पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए गए । केंद्र सरकार पर एक आरोप यह भी लग रहा है कि इस योजना से कालाधन को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि उसका स्रोत नहीं सूखेगा । इस तरह का आरोप लगाने वाले लोग सामान्यीकरण के दोष के शिकार हो जा रहे हैं । अर्थशास्त्र का एक बहुत ही

अपने पचास दिनों में हर तरह से लाभकारी रही है नोटबंदी

नोटबंदी के पचास दिन पूरे हो चुके हैं। बीते 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर करने का निर्णय सुनाया था। निश्चित रूप से यह फैसला देश में छुपे काले धन और नक़ली नोटों के कारोबार पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था। अतः आम जनता द्वारा इसका खुलकर स्वागत किया गया और नोट बदलवाने के लिए कतारों की मुश्किल से दो-चार होने

भाजपा की अध्ययन परंपरा और वर्तमान परिदृश्य

गोयबल्स थ्योरी कहती है कि एक झूठ को सौ बार बोलो तो वह सच लगने लगता है। इस देश के तथाकथित बुद्धिजीवी जमात ने ऐसे अनेक झूठ हजार बार बोले हैं। उन्हीं में से एक बड़ा झूठ यह भी कि राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग, खासकर संघ और भाजपा वाले, पढ़ते-लिखते नहीं है। यह कोरा झूठ कम से कम हजार बार, सैकड़ों तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा बोला गया होगा। 21 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

वर्तमान समय में देश की जरूरत हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी इस देश की वक्ती ज़रूरत हैं। आपने उनका गोवा में दिया गया भाषण सुना क्या ? उनकी शारीरिक भाषा देखी, आंखें देखीं और शब्दों के परे जो कुछ भी वह बयान कर रहे थे, वह देख पाए क्या ? क्या वह किसी थके आदमी की भाषा हो सकती है, किसी हारे हुए इंसान की बॉडी-लैंग्वेज लग रही है क्या, किसी चिंतित, गुस्साए, खीझे आदमी का भाषण वैसा हो सकता है क्या ? इन सब का जवाब एक शब्द में है- नहीं।

सेना के जवानों संग दीपावली मनाने की शानदार पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सकारात्मक दिशा में नवीन प्रयोगों और नवाचारों के लिए विश्व भर में ख्यातिलब्ध हैं। हमेशा सकारात्मक दिशा में कुछ नया करने की सतत कोशिश नरेंद्र मोदी को औरों से अलग बनाती है। दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों से यह अपील की है कि वे सीमा पर हर पल तैनात हमारी सेना के जवानों को शुभकामना संदेश भेजें। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर एक चार मिनट

मोदी सरकार की नीतियों से हर क्षेत्र में बदल रही देश की तस्वीर!

मोदी सरकार के अबतक के कार्यकाल पर एक दृष्टि डालें तो उसने गरीबों के हित में अनेक योजनाएं प्रारंभ की। गरीब परिवारों के लिए बैंकों के दरवाजे खुले, उनका बैंक अकाउंट खोला गया। गरीबों के बैंक अकाउंट को जीवन ज्योति बीमा, जीवन सुरक्षा बीमा और अटल पेंशन योजना के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा कवच से जोड़ा गया। डीबीटी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि गरीबों की सब्सिडी सीधे उनके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगति के नए आयाम गढ़ता भारत

भारत में नरेन्द्र मोदी के पूर्व जितने प्रधानमंत्री हुए थे, उनका जन्म आजादी के पहले हुआ था। नरेन्द्र मोदी भारत की आजादी के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। वे नयी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। आजादी के बाद जितने लोग पैदा हुए हैं, वे उन्हें सहज अपना प्रतिनिधि मानते हैं। देश में अब तक 15 प्रधानमंत्री बने हैं, उनमें से प्रधानमंत्री बनने से पूर्व वी.पी. सिंह और एचडी देवगौड़ा क्रमशः उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के