महाराष्ट्र

सिमटते दायरे के बावजूद आत्‍ममंथन से कतराती कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी आज अपने अस्‍तित्‍व के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्‍यक्ष बने थे तब देश को उम्‍मीद थी कि अब कांग्रेस में एक नए युग का सूत्रपात होगा और पार्टी पुरानी सोच से आगे बढ़ेगी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्‍त के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से त्‍यागपत्र दे दिया

ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है!

देश के दो अहम राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया अपने मध्यान्ह पर है। यहाँ के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सियासत के समीकरणों को साधने के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की प्रक्रिया को भी लगभग पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को एक ही चरण में दोनों राज्यों में मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम हमारे सामने होंगे। ऐसे में अब चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन का समय शेष रह गया है।

उड़ीसा और महाराष्ट्र निकाय चुनावों में भी नोटबंदी पर लगी जनता की मुहर

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार को गरीब विरोधी सरकार बताने वाली कांग्रेस पार्टीं का वजूद धीरे-धीरे भारतीय राजनीति के नक़्शे में सिमटता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपाध्यक्ष अमित शाह की ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की बात सही साबित होती नज़र आ रही है। नोटबंदी जैसे काले धन को ख़त्म करने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले कदम को गरीब और किसान विरोधी बताकर कांग्रेस व अन्य विपक्षी