मोदी

गौतम नवलखा का वर्तमान ही नहीं, अतीत भी डरावना है

न्याय का रास्ता भले ही कानून से तय होता है किंतु इसकी बुनियाद ‘भरोसे’ पर टिकी होती है। यानी न्याय प्रणाली में आस्था रखने वालों को यह भरोसा होता कि जो भी निर्णय आएगा वो उचित और नैतिक होगा। अगर यह भरोसा टूट जाए तो क्या न्याय व्यवस्था चल पाएगी भले ही कानून कितने ही ‘अनुकूल’ क्यों न हों?

कोरोना से लड़ाई में फ़ेक न्यूज़ फैलाने में जुटे वैचारिक गिरोह से सावधान रहने की जरूरत

पूरी दुनिया के साथ हमारा देश भी वर्तमान समय में एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है। ऐसे मुश्किल दौर में हम सभी को एक ज़िम्मेदार नागरिक होने का परिचय देते हुए देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। सरकार द्वारा ज़ारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हम अपने ज़िम्मेदार होने का सबूत दे सकते हैं।

कोरोना संकट से निपटने के लिए मोदी के नेतृत्व में विश्व को राह दिखाता भारत

संपूर्ण विश्व इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। कोरोना वायरस संपूर्ण मानवता के लिए एक बड़े संकट के तौर पर उभर कर आया है जिससे सफलतापूर्वक निपटने का कोई ठोस समाधान अभी तक सामने नहीं आ पाया है । कोरोना वायरस ने न केवल जनसामान्य के लिए स्वास्थ्य का संकट खड़ा किया है

कोरोना से लड़ाई में विश्व के सबसे बेहतर नेता सिद्ध हो रहे मोदी

पूरी दुनिया पहली बार विषाणुजनित महामारी के बहुत बड़े संकट से जूझ रही है। अमेरिका और चीन जैसे देश पस्त हो चुके हैं। लेकिन पूरी दुनिया की नजर एक ही शख्स पर है। लोग उम्मीद लगाये बैठे थे कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महामारी से कैसे निपटते हैं। संतोषजनक है कि मोदी अबतक इस विषय में एकदम सजग और तत्परतापूर्वक निर्णय लेने वाले प्रधानमंत्री सिद्ध हुए हैं।

सावधानी और सकारात्मकता के सहारे ही होगी कोरोना से जीत

बीते 5 अप्रैल को देश एक विराट और अनूठे आयोजन का साक्षी बना। हर वर्ष दीपावली के अवसर पर ही घरों में दीये जलते हैं, लेकिन इस बार दीपावली के पहले ही घर-घर दीयों की रोशनी नजर आई, इसलिए यह अनूठा आयोजन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहृवान पर देशवासियों ने अपने घरों, बालकनी, आंगन, देहरी पर दीये जलाए और कोरोना से लड़ाई के इस मुश्किल दौर में

विज्ञान ही नहीं, अध्यात्म के जरिये भी कोरोना से लड़ रहा भारत

शक्ति कोई भी हो दिशाहीन हो जाए तो विनाशकारी ही होती है लेकिन यदि उसे सही दिशा दी जाए तो सृजनकारी सिद्ध होती है। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री ने 5 अप्रैल को सभी देशवासियों से एकसाथ दीपक जलाने का आह्वान किया जिसे पूरे देशवासियों का भरपूर समर्थन भी मिला। जो लोग कोरोना से भारत की लड़ाई में प्रधानमंत्री के इस कदम का वैज्ञानिक उत्तर खोजने में लगे हैं वे

कोरोना आपदा ने समझाया कि क्यों जरूरी है नागरिकों का डाटाबेस

जो लोग मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया, बैंक खातों-राशन कार्डों को आधार  संख्‍या से जोड़ने, प्रत्‍यक्ष नकदी हस्‍तांतरण जैसी अनूठी मुहिम का निजता के हनन के नाम पर विरोध कर रहे थे उन्‍हें बताना चाहिए कि यदि ये उपाय न किए गए होते तो क्या कोरोना आपदा के समय करोड़ों लोगों के बैंक खातों तक तुरंत मदद पहुंच पाती?

कोरोना संकट : प्रधानमंत्री के सार्थक आह्वान पर विपक्ष की नकारात्मक राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल, रविवार को रात्रि नौ बजे नौ मिनट तक देशवासियों से एक दीया-मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने की अपील क्या कर दी कि देश की मोदी विरोधी राजनीति में जलाजला सा आ गया। सबसे पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया पर आकर घोषित किया कि वे दिया नहीं जलाएंगे।

कोरोना के अंधकार के विरुद्ध प्रकाश का प्रदर्शन हमारी एकता तो दिखाएगा ही, मनोबल भी बढ़ाएगा

कोरोना की आपदा से निपटने के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठा रही है, लेकिन बाकी सब चीजों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय एकता को भी इस लड़ाई में कोरोना को परास्त करने के लिए जरूरी चीज मानते हैं। इस एकता के प्रदर्शन के लिए ही उन्होंने रविवार को रात नौ बजे नौ मिनट तक सभी से अपने द्वार पर प्रकाश करने का आह्वान किया है।

‘संकट की इस घड़ी में हर तरह से देश के नागरिकों के साथ खड़ी है मोदी सरकार’

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से आम जनता को बचाने के लिए केंद्र एवं राज्‍य सरकारें हर संभव प्रयास कर रही हैं। राजधानी दिल्‍ली एवं इससे सटे नोएडा में गत दो-तीन दिनों से बड़ी संख्‍या में मजदूरों का पलायन जारी था। इनमें से अधिकांश लोग किसी अफवाह के चलते बाहर निकल आए थे। अधिकांश का कहना था कि उनके मकान मालिक उनके किराये को लेकर परेशान कर