रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया

सरकार के प्रयासों से सुधर रही बैंकों की हालत, कम हो रहा एनपीए

सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप कई कॉरपोरेट ऋणदाताओं ने दिसंबर, 2018 की तीसरी तिमाही में अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया है, जिससे बैंकों के एनपीए में कमी आई है। एनपीए में कमी आने और वसूली में तेजी आने से आने वाले दिनों में बैंकों की वित्तीय स्थिति में और भी सुधार आने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 की तीसरी

आरबीआई द्वारा रेपो दर में कमी से अर्थव्यवस्था को और अधिक गति मिलने की संभावना

रिजर्व बैंक ने नये गवर्नर की अगुआई में रेपो दर में कटौती करके समीचीन फैसला किया है। अब बारी है बैंकों की। अगर बैंक कर्ज ब्याज दर में कटौती करते हैं तो इसका सीधा फायदा कर्जदारों को मिल सकता है साथ ही साथ इससे रोजगार सृजन में इजाफा तथा अर्थव्यवस्था को भी और अधिक गति मिल सकती है।

99 प्रतिशत नोटों के वापस आ जाने से नोटबंदी विफल कैसे हो गयी?

भारतीय रिजर्व बैंक ने 29 जुलाई को 1 जुलाई, 2017 से 30 जून, 2018 की अवधि की अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 2000 रूपये के नोट शामिल हैं का कुल मुद्रा संरचना में 80.6% हिस्सा है। विमुद्रीकरण के पहले बड़े मूल्य वर्ग की मुद्रा, जिसमें 500 और 1000 रूपये के नोट शामिल थे का कुल मुद्रा संरचना में