कोरोना संकट में अपने सधे हुए क़दमों से स्थिति को नियंत्रित रखने में कामयाब योगी सरकार

कोरोना संक्रमण से लड़ाई के दौरान ही बीते 20 अप्रैल को योगी के पिता के निधन का दुखद समाचार प्राप्‍त हुआ लेकिन उन्‍होंने राजधर्म निभाते हुए निजी शोक की घड़ी में भी अपना धैर्य नहीं खोया। प्रदेश के 23 करोड़ देशवासियों की सेवा में उन्होंने पिता की अंत्‍येष्टि में न जाने का निर्णय लेकर समाज के सामने एक आदर्श स्‍थापित किया। इन बातों से पता चलता है कि वे अपने राज्‍य की सलामती को लेकर कितने कृत संकल्पित भाव से कार्य कर रहे हैं।

कोरोना वायरस की महामारी की जकड़ में देश व दुनिया का हर आम व खास है। शहरी क्षेत्रों में संक्रमण के हॉटस्‍पॉट को नियंत्रित करना राज्‍यों के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश के लिए यह चुनौती बढ़ जाती है क्‍योंकि यहां जिलों की संख्‍या और आबादी अन्‍य राज्‍यों की तुलना में अधिक है। इस समय लॉकडाउन का तीसरा दौर चल रहा है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं प्रबंधन कौशल का परिचय देते हुए राज्‍य में हालात को काबू में रखा हुआ है। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था।

जब देश में लॉकडाउन घेाषित हुआ था तब चार दिन पहले ही बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर ने बड़ी लापरवाही दिखाई और स्‍वयं संक्रमित होते हुए भी सार्वजनिक रूप से घूमकर, लोगों से मिलकर हजारों की जान को खतरे में डाल दिया। गनीमत है कि उस समय देश में संक्रमण प्राथमिक स्‍टेज पर था, अन्‍यथा यदि यह मास ट्रांसमिशन की श्रेणी में होता तो बेकाबू हो सकता था। यूपी जैसे देश की सर्वाधिक और घनी आबादी वाले राज्‍य में इसे लेकर लोगों के मन में भय था कि यदि समय पर हालात कंट्रोल नहीं हुए तो संक्रमण भयानक रूप ले सकता है और स्थिति संभाले नहीं संभलेगी।

साभार : NewIndianExpress

लेकिन योगी आदित्‍यनाथ ने मोर्चा संभालते हुए हर स्थिति पर नजर बनाए रखी। उन्‍होंने बैठकों का दौर जारी रखा, अधिकारियों के साथ मिलकर ना केवल नीतियां बनाईं बल्कि धरातल पर उनका क्रियान्‍वयन भी सुनिश्चित किया। लॉक डाउन में गरीबों को राहत देने के लिए उनके खाते में 1000 रुपये भेजने का काम सफलतापूर्वक किया गया। आंकड़ों के मुताबिक़ तक़रीबन 29 लाख मजदूरों के खाते में यह सहायता राशि भेजी गयी है।   

कोरोना संक्रमण से लड़ाई के दौरान ही योगी के पिता के निधन का दुखद समाचार प्राप्‍त हुआ लेकिन उन्‍होंने राजधर्म निभाते हुए निजी शोक की घड़ी में भी अपना धैर्य नहीं खोया। प्रदेश के 23 करोड़ देशवासियों की सेवा में उन्होंने पिता की अंत्‍येष्टि में न जाने का निर्णय लेकर समाज के सामने एक आदर्श स्‍थापित किया। इन बातों से पता चलता है कि वे अपने राज्‍य की सलामती को लेकर कितने कृत संकल्पित भाव से कार्य कर रहे हैं।

योगी ने केवल राज्य के भीतरी हालात ही नहीं संभाले बल्कि यूपी के जो श्रमिक अन्‍य राज्‍यों से यहां आने के लिए पैदल ही चल पड़े थे, उनकी भी व्यवस्था की। लॉक डाउन के दो दिन बाद ही दिल्ली से मजदूरों का जत्था पैदल ही निकल पड़ा था, जिसे योगी सरकार ने ले जाकर क्वारंटाइन में रखा और उनकी समस्त व्यस्थाएं की। राजस्‍थान के कोटा में फंसे प्रदेश के दस हजार छात्रों को उनके गृहक्षेत्र तक सकुशल पहुंचाने का भी काम सरकार ने किया है।

कोचिंग के छात्र-छात्राओं को उनके घर तक पहुंचाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में देश के अन्य राज्यों में फंसे प्रदेश के मजदूर तथा गरीब लोग हैं। इनके लिए वे जनकल्‍याणकारी नीतियों का भी ध्‍यान रख रहे हैं। सभी राज्यों से प्रदेश के प्रवासी कामगारों/श्रमिकों को वापस अपने क्षेत्र लाने के लिए प्रभावी व्यवस्था की गई। इस क्रम में एक बड़ा अभियान हेल्‍पलाइन नंबर्स जारी करने के रूप में सामने आया। सरकार ने सभी सम्बन्धित राज्य सरकारों से प्रवासी श्रमिकों के नाम, पते, टेलीफोन नम्बर और स्वास्थ्य परीक्षण आदि की डिटेल मांगी है।

साभार : Deccen Herald

राज्‍य के भीतर भी हर वर्ग, हर व्‍यक्ति के लिए बुनियादी इंतजाम जुटाने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। इस क्रम में सबसे पहले  होम क्‍वारंटाइन के लिए लोगों की निगरानी करने के लिए निगरानी समितियों का गठन किया जा रहा है। इन समितियों में युवक मंगल दल, नेहरू युवा केंद्र, एनएसएस, एनसीसी आदि का सहयोग लिया जाएगा। समिति सदस्‍य क्‍वारंटाइन सेंटर अथवा शेल्‍टर होम से प्रवासी मजदूरों का हेल्‍थ चेकअप करके उन्‍हें घर भेजेंगे एवं उन्‍हें राशन की एक किट भी प्रदान करेंगे।

एक अनुमान के अनुसार उत्‍तर प्रदेश में करीब 10 लाख लोगों के लिए क्‍वारंटाइन सेंटर एवं कम्‍युनिटी किचन तैयार किए जा रहे हैं ताकि बाहर से आने वाले अप्रवासी श्रमिकों को यहां पर रोका व ठहराया जा सके। राजधानी दिल्‍ली से सटे उप्र के औद्योगिक क्षेत्र नोएडा एवं गाजि़याबाद से छात्रों व कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

जहां तक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की बात है, योगी आदित्‍यनाथ ने इस दिशा में भी अन्‍य मुख्‍यमंत्रियों से कुछ हटकर काम किया है। वे स्‍वयं अस्‍पतालों में जाकर वहां की व्‍यवस्‍थाएं देख रहे हैं। राज्‍य में पीपीई किट, एन-95 मॉस्‍क समेत अन्‍य सुरक्षा उपकरणों की उपलब्‍धता सुनिश्‍चित की गई है। लॉकडाउन का सख्‍ती से पालन कराया जा रहा है। इस काम में पुलिस प्रशासन पूरी तरह सहयोग कर रहा है।

इस समय सबसे अधिक संवेदनशील बिंदु बाहर से आने वाले लोगों का है, क्‍योंकि उन्‍हें स्‍वयं नहीं पता कि वे संक्रमित हैं या नहीं। एक संक्रमित व्‍यक्ति कई को चपेट में ले सकता है। इसलिए इस समय हर प्रवेश स्‍थान पर इंफ्रा रेड थर्मामीटर जरूरी है ताकि प्रवासियों के शरीर का तापमान जांचा जा सके। उनके कार्यों एवं निर्णयों में उनका संकल्‍प परिलक्षित हो रहा है कि वे किस प्रकार एक-एक कदम सोच-समझकर से रख रहे हैं और सधे हुए कदमों से अपने प्रदेश को महामारी से बचाने में अबतक सफलतापूर्वक जुटे हुए हैं।

योगी की सजग और सूझबूझ भरी कार्यशैली का ही परिणाम है कि यूपी जैसे देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य में अबतक कम आबादी वाले देश के राज्यों की तुलना में मामले कम हैं और स्थिति नियंत्रित है। निश्चित ही योगी ने जिस तरह इस स्थिति को संभाला है, वो देश के सभी राज्यों और मुख्यमंत्रियों के लिए प्रेरणादायक है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)