कोरोना से लड़ने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी गतिशील रखने की कवायदों में जुटी सरकार

देश में सरकार न केवल कोरोना संकट से मजबूती से लड़ रही है, बल्कि उसके साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को भी गतिशील रखने की दिशा में प्रयासरत है। सरकार के प्रयत्नों से लगता है कि देश इस आपदा उबरने में जल्द-ही कामयाब होगा तथा अर्थव्यवस्था भी शीघ्र ही गति पकड़ेगी।

कोरोना महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रही है, हालाँकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को इस संकट से यथासंभव बचाने की कोशिश सरकार द्वारा लगातार की जा रही है। इसके लिए कई कदम उठाए हैं और आगे भी उठाए जाने की उम्मीद है। सरकार ने विगत दिनों वंचित तबके के लोगों, मजदूरों और कामगारों को राहत देने के लिये 1.75 लाख करोड़ रूपये के पैकेज का ऐलान किया था, जिसकी एक बड़ी राशि का वितरण लाभार्थियों के बीच किया जा चुका है।

लॉक डाउन के 40 दिन बीत चुके हैं। कोरोना वायरस की भारत में संक्रमण की गति दूसरे देशों की अपेक्षा कम है। देश में कई जिले और क्षेत्र अभी भी रेड जोन से बाहर हैं। अब आमजन भी कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिये मानसिक रूप से तैयार लग रहे हैं। लंबे समय तक लॉक डाउन को लागू करना संभव नहीं है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से राज्यों और केंद्र सरकार को राजस्व मिलना बंद हो गया है।

मौजूदा स्थिति से निजात पाने के लिये देश में आर्थिक गतिविधियों को शुरू करना आवश्यक है, जिसके लिये उद्यमियों को एक आर्थिक पैकेज देने की जरुरत है साथ ही साथ उद्यमी सुचारू रूप से काम करें और घरेलू व विदेशी निवेशक भारत में निवेश करने के लिये प्रेरित हों, इसके लिये भी सुधारवादी कदम उठाने की जरूरत है। सरकार इन बिंदुओं पर विचार कर भी रही है।

फोटो साभार : India Today

माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार एक आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी, जो पहले के पैकेज से कई मामलों में अलग और बेहतर होगा। पैकेज के स्वरूप को अंतिम रूप देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। प्रस्तावित पैकेज इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि भारतीय उद्यमियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने में मदद मिले।

पैकेज में कृषि क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों को शुरू करने और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को राहत देने की बात कही जा रही है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि देश में घरेलू और विदेशी निवेशक निवेश करने में रुचि दिखाएँ। सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को सिर्फ मौजूदा संकट से ही बाहर नहीं निकालना चाहती है, बल्कि वह इससे जुड़ी तमाम बाधाओं को दूर करके उसे नई ऊँचाइयों पर पहुँचाना चाहती है।    

इसलिये, प्रधानमंत्री की अगुआई में कैबिनेट मंत्रियों की एक टीम बनी है। प्रधानमंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निवेशकों को आकर्षित करने के लिये उन्हें बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये कहा है। प्रधानमंत्री ने रक्षा और खनन क्षेत्र में भी निवेश लाने के लिये उन्हें रणनीति बनाने के लिये कहा है।

वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री, वाणिज्य व उद्योग मंत्री, गृह मंत्री और संबंधित अधिकारियों से प्रधानमंत्री ने विचार-विमर्श किया है। सभी मंत्रालयों को कहा गया है कि वे आपस में विमर्श करके समयबद्ध तरीके से निवेश संवर्धन और औद्योगिक विकास की राह में मौजूद तमाम बाधाओं को दूर करने के लिए काम करें।  

समयबद्घ तरीके से नीतियों और उपायों को अमलीजामा पहनाने के लिये प्रधानमंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को शिद्दत से काम करने के लिये कहा है। “प्लग एंड प्ले” व्यवस्था के तहत सरकार चाहती है कि निवेशकों को सभी तरह की मंजूरियां देने के साथ-साथ मुफ्त में जमीन भी उपलब्ध कराई जाये।

प्रस्ताव है कि कंपनियों को सिर्फ प्लांट लगाना होगा। अन्य व्यवस्था सरकार करेगी। सरकार ठेके पर भी उद्यमियों को काम करने का अवसर देगी, ताकि उत्पादन प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

सांकेतिक चित्र (साभार : The Economic Times)

दरअसल विचार करें तो सरकार इस आपदा को एक अवसर के रूप में देख रही है। इसमें दो राय नहीं है कि कोरोना के संक्रमण में चीन की नकारात्मक भूमिका को देखते हुए विश्व के अनेक देश चीन में निवेश नहीं करना चाहते हैं। अभी चीन की सबसे बड़ी ताकत सस्ता श्रम है। इसी वजह से चीन के तैयार उत्पादों की लागत कम होती है। भारत में भी सस्ता श्रम उपलब्ध है, जो कुशल भी हैं और तकनीकी रूप से भी सभी तरह के कामों को करने में सक्षम हैं।

ऐसे में अगर भारत निवेश के लिये जरूरी बुनियादी सुविधाएँ और विविध सरकारी तंत्रों के बीच समन्वय, पारदर्शिता, कार्यों के निष्पादन में तेजी लाने में सफल होता है तो निश्चित रूप से बड़ी संख्या में विदेशी निवेशक भारत का रुख कर सकते हैं।

निवेश बढ़ाने के लिये सरकार को नये कारोबार को शुरू करने में लगने वाला समय, खरीद-फरोख्त वाले उत्पादों के लिये वेयरहाउस बनाने में लगने वाला समय, उसकी लागत व प्रक्रिया, किसी कंपनी के लिये बिजली कनेक्शन में लगने वाला समय, व्यवसायिक संपत्तियों के निबंधन में लगने वाला समय, निवेशकों के पैसों की सुरक्षा गारंटी, कर संरचना का स्तर, कर के प्रकार व संख्या, कर जमा करने में लगने वाला समय, निर्यात में लगने वाला समय एवं उसके लिये आवश्यक दस्तावेज़, दो कंपनियों के बीच होने वाले अनुबंधों की प्रक्रिया और उसमें लगने वाले खर्च आदि में सरकार को रियायत देनी होगी।

इन सब बिन्दुओं की दिशा में सरकार ने हाल-फिलहाल में कई आर्थिक सुधार किए है और वह इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। जाहिर है, देश में सरकार न केवल कोरोना संकट से मजबूती से लड़ रही है, बल्कि उसके साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को भी गतिशील रखने की दिशा में प्रयासरत है। सरकार के प्रयत्नों से लगता है कि देश इस आपदा उबरने में जल्द-ही कामयाब होगा तथा अर्थव्यवस्था भी शीघ्र ही गति पकड़ लेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)