नवोदित सक्तावत

परीक्षा पर चर्चा : देश की समस्याएँ हल करने वाले प्रधानमंत्री ने जब छात्रों की समस्याएँ सुलझाईं !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपनी एक नई छवि को लेकर चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं। एक राजनेता, सत्‍तारूढ़ दल के वरिष्‍ठ नेता और एक राष्‍ट्र के प्रमुख होने से इतर उनकी एक अनूठी छवि सामने आई है। एक ऊर्जावान एवं सक्रिय नेता के रूप में तो देश-दुनिया ने उनका रूप देखा ही है, इन दिनों वे एक शिक्षा-मित्र के तौर पर भी नज़र आ रहे हैं। इस बात का जि़क्र करने के लिए एक आयोजन विशेष का संदर्भ तो है ही, लेकिन

मुद्दाहीन कांग्रेस के वैचारिक दिवालियेपन को दिखाता है पकौड़ा प्रकरण !

देश की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। यह उथल-पुथल बहुत वैचारिक, गंभीर या निर्णायक न होकर सतही, हंगामे वाली और व्‍यर्थ की है। विपक्ष इस फिजूल हंगामे का सञ्चालन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एक साक्षात्‍कार में देश में स्‍वरोजगार को लेकर एक टिप्‍पणी की जिसके बाद मुद्दों को तरस रहे विपक्ष ने बेसिर पैर की प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करना शुरू कर दी। प्रधानमंत्री ने यह कहा था कि

इखलाक-जुनैद की हत्या पर जागने वाली असहिष्णुता अंकित-चन्दन की हत्या पर सो क्यों जाती है ?

बीते शुक्रवार को पश्चिमी दिल्‍ली के ख्‍याला क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एक 23 वर्षीय हिंदू युवक की मुस्लिमों ने सरेआम गला रेतकर हत्‍या कर दी। अंकित सक्‍सेना नाम का यह लड़का यू ट्यूब चैनल एवं फोटोग्राफी के प्रोफेशन में था। अपनी पड़ोसी मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था। चूंकि अंकित हिंदू था, इसलिए मुस्लिम लड़की के परिजनों को इस रिश्‍ते पर आपत्ति थी और इसके चलते ही उन्‍होंने अंकित को

बोफोर्स घोटाला : अगर सब पाक साफ़ है, तो सीबीआई की अपील से कांग्रेस इतनी असहज क्यों है !

बहुचर्चित बोफोर्स मामला एक बार फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर, अभी इस बिंदु पर, निर्णय होना शेष है कि यह प्रकरण दोबारा चलाया जाना चाहिये या नहीं। इधर, बोफोर्स मामले के फिर से सुर्खियों में आते ही कांग्रेस असहज होने लगी है जो स्‍वाभाविक है। असल में यह केस सदा से कांग्रेस को भयभीत करता आया है। जब वर्ष 1987 में स्‍वीडिश कंपनी बोफोर्स ने तोप खरीदी का सौदा प्राप्‍त करने के लिए दलाली दी

मोदी सरकार के नेतृत्व में एशियाई महाशक्ति के रूप में उभरता भारत

यह सप्‍ताह भारत के विदेशी मामलों के लिए बहुत अच्‍छा रहा। अव्‍वल तो दावोस में हुए विश्‍व इकानामिक फोरम में भारत की सशक्‍त मौजूदगी दिखी तो दूसरी तरफ भारत की मेजबानी में आसियान सम्‍मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ। राजधानी स्थित राष्‍ट्रपति भवन में हुए इस सम्‍मेलन में आसियान नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परस्‍पर हितों के मुद्दों पर वार्ता की। इस भारत-आसियान शिखर सम्‍मेलन में

लाभ का पद प्रकरण : ‘आप’ जैसे विचार विहीन दल का ये हश्र चौंकाता नहीं है !

आम आदमी पार्टी के लिए कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दिनों राज्‍यसभा के टिकट दो धनाढ्य लोगों को दिए जाने के बाद से ही लगातार आंतरिक एवं बाहरी विरोधी झेल रही पार्टी को अब सबसे बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 20 विधायकों की सदस्‍यता खत्‍म होने की कगार पर है। यह मामला लाभ के पद का है, जिसे लेकर निर्वाचन आयोग ने राष्‍ट्रपति से इन जनप्रतिनिधियों की सदस्‍यता समाप्‍त करने की

अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में सफलता के नए आयाम गढ़ता भारत

नया साल देश के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता और उपलब्धियां लेकर आया है। अपने सफल प्रक्षेपणों के लिए ख्‍यात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने फिर एक उपग्रह का सफल प्रक्षेपण कर दिखाया है। यह उपग्रह कार्टोसेट टू सीरीज का था, जिसे पीएसएलवी के माध्‍यम से लॉन्‍च किया गया। यह तो उपलब्धि है ही, लेकिन इससे बड़ी और अहम उपलब्धि ये रही कि इस प्रक्षेपण के साथ ही इसरो द्वारा प्रक्षेपित

अहंकार में चूर केजरीवाल यह नहीं समझ रहे कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती !

आम आदमी पार्टी में एक बार फिर से घमासान मचा हुआ है। इस बार फिर से सत्‍ता को ही लेकर खींचतान मची और उसके परिणामस्‍वरूप पार्टी के भीतर आंतरिक कलह फिर प्रकट हो गई। पार्टी ने इसी सप्‍ताह राज्‍यसभा के लिए अपने तीन प्रत्‍याशी तय किए। 16 जनवरी को चुनाव होना है और परिणाम आएंगे। इनमें बाहरी प्रत्‍याशी सुशील गुप्‍ता और नारायण गुप्‍ता को स्‍थान दिया गया। संजय सिंह पहले से थे।

तीन तलाक बिल : मोदी सरकार का ऐतिहासिक सामाजिक सुधार

तीन तलाक जैसी कुप्रथा को लेकर आखिर सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठा ही लिया। लोकसभा में तीन तलाक का बिल ध्‍वनिमत से पारित होते ही सदन ने इतिहास रच दिया। मुस्लिम महिलाएं अपने आत्‍मसम्‍मान की यह लड़ाई सु्प्रीम कोर्ट में जीतने के बाद अब लोकसभा से भी जीत हासिल कर चुकी है। बिल के लिए तमाम संशोधन खारिज हुए और यह पारित किया गया। निश्‍चित ही भारतीय संसद और मुस्लिम कौम के इति

हार की हकीकत से मुंह चुरा रहे, राहुल गांधी !

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। पिछली बार यानी उत्‍तरप्रदेश चुनाव की तरह इस बार भी परिणाम में भाजपा का परचम लहराया और कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी। 18 दिसंबर को हुई मतगणना के दिन सुबह से पूरे देश की निगाहें आरंभिक रूझानों की तरफ थीं। जैसे-जैसे बाद के रूझान आते गए, परिणाम की तस्‍वीर साफ होने लगी। शाम तक सब कुछ स्‍पष्‍ट और घोषित हो गया।