डॉ दिलीप अग्निहोत्री

किसान सम्मान निधि : किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक कारगर कदम

प्रधानमंत्री ने इस योजना की शुरुआत गोरखपुर से की। किसानों के कल्याण की यह अभूतपूर्व योजना है। मोदी ने कहा कि जिन किसानों को आज पहली किश्त नहीं मिली है, उन्हें आने वाले हफ्तों में पहली किश्त की राशि मिल जाएगी।

प्रयागराज : कुम्भ से प्रवाहित हुई विकास की धारा

कुंभ का ऐतिहासिक महत्व विश्व प्रसिद्ध है। इस प्रकार का आयोजन अन्यत्र कहीं भी नहीं होता है। यह उचित है कि प्रत्येक सरकारें अपने स्तर पर इसके निर्बाध आयोजन का प्रयास करती रही हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसे यहीं तक  सीमित नहीं रखा। उसने अपने को भावनात्मक रूप से भी कुम्भ से जोड़ा है। यह अंतर तैयारियों में भी दिखाई दिया।

महारैली : साबित हुआ कि विपक्षी दलों के पास मोदी विरोध के सिवा और कोई एजेंडा नहीं है!

कोलकाता की विपक्षी महारैली में कहने को लगभग बीस पार्टियों की भागीदारी हुई, लेकिन इनमें से किसी का भी पश्चिम बंगाल की राजनीति में महत्व नहीं है। रैली का पूरा इंतजाम ममता बनर्जी ने अपने लिए किया था। उन्होंने एक तीर से दो निशाने साधने के प्रयास किया। पहला तो वह अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार शुरू करना चाहती थीं। इसके लिए भीड़ जुटाई गई। दूसरा, वह

क्या देश की छवि खराब करने दुबई गए थे राहुल गांधी?

कभी अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए। इसका निहितार्थ था कि राजनीतिक विरोध की एक सीमा होनी चाहिए। जहां राष्ट्रहित का प्रश्न हो वहां केवल आपसी सहमति का प्रदर्शन होना चाहिए।

आखिर क्यों विशेष है इस बार का कुम्भ आयोजन?

प्रत्येक सरकार अपने स्तर से कुंभ मेले की तैयारियां करती है। लेकिन इस बार तैयारियों के साथ आस्था का भी समावेश हुआ है। योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में चली तैयारियों में ऐसा होना भी था। योगी का दावा है कि पचास वर्षों में पहली बार तीर्थयात्रियों को इतना शुद्ध जल स्नान हेतु मिलेगा। पहली बार तीर्थयात्री पौराणिक अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन कर सकेंगे।

मोदी की नीतियों से देश के साथ-साथ विदेशनीति के मोर्चे पर भी कारगर साबित हो रही सौर ऊर्जा

सौर ऊर्जा का क्षेत्र नया नहीं है। प्राचीन भारत में ही इसके महत्व का प्रतिपादन हो गया था। ऋषियों ने सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना। संभव है कि वह सौर ऊर्जा से भी परिचित रहे होंगे। परतंत्रता के दौर में इस ज्ञान को नजरअंदाज किया गया। स्वतंत्रता के बाद इस दिशा में व्यापक शोध की आवश्यकता थी। लेकिन बहुत समय बाद इसकी सीमित शुरुआत की गई। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री

साक्षात्कार में दिखा लोकसभा चुनाव के लिए मोदी का आत्मविश्वास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने साक्षात्कार में सत्ता और सियासत से संबंधित सभी ज्वलंत विषयों पर विचार व्यक्त किये हैं। इसमें उन्होंने अपनी उपलब्धियों और विपक्ष की नकारात्मक राजनीति पर विशेष जोर दिया है। इससे दो बातें उजागर हुई हैं। पहली यह कि वह उपलब्धियों के बल पर आम चुनाव में उतरने का मन बना चुके हैं। इसके अनुरूप उनका आत्मविश्वास भी दिखाई दिया।

आक्रांताओं को रौंदने वाले राजा सुहेलदेव का सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास कार्यो के शिलान्यास व उद्घाटन के लिए अनेक बार पूर्वी उत्तर प्रदेश की यात्रा पर आए हैं। लेकिन इस बार उनकी यात्रा का सामाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्व था। यह सराहनीय है कि भारत सरकार ने विजेता भारतीय राजा सुहेल देव को उचित सम्मान दिया। गाजीपुर में प्रधानमंत्री ने राजा सुहेलदेव पर  डाक टिकट जारी किया। इससे

सामान्य आवागमन के साथ-साथ रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है बोगीबील सेतु

दशकों से लंबित अनेक परियोजनाओं को नरेंद्र मोदी ने अपने एक कार्यकाल में ही अंजाम तक पहुँचाया है। इस फेहरिस्त में एक नया नाम जुड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बना भारत का सबसे बड़ा रेल व सड़क सेतु राष्ट्र को समर्पित किया। यह परियोजना दो दशक से लंबित थी।

‘राजनीति के महानायक और देश के सर्वमान्य नेता थे अटल बिहारी वाजपेयी’

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन का अधिकांश समय विपक्ष में बिता। इस रूप में उन्होंने मर्यादा का नया अध्याय कायम किया। यह बताया कि सत्ता पक्ष का जोरदार विरोध भी मर्यादा की सीमा में रहते हुए किया जा सकता है। वह दो वर्ष विदेश मंत्री और छह वर्ष प्रधानमंत्री रहे। इस रूप में उन्होंने सत्ता को देशहित का माध्यम बनाया। विदेशमंत्री के रूप में मजबूत विदेश