नेशनलिस्ट ऑनलाइन

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जबकि बलूचिस्तान को पाकिस्तान ने जबरन कब्जा रखा है : मज़दक दिलशाद बलूच

मजदक दिलशाद बलूच, बलूच आन्दोलन से जुड़े हुए बलूच नेता हैं एवम् वर्तमान में कनाडा मे निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बचपन में ही पाकिस्तान के अत्यचार के कारण इनका परिवार बलूचिस्तान छोड़ने को मजबूर हो गया था। आपकी माता नीला क़ादिरि बलुच “विश्व बलूच वुमन फ़ोरम्” की अध्यक्षा हैं एवम् आपके पिता मीर

मोदी सरकार ले आई कड़ा क़ानून, अब बैंकों का कर्ज डकारने वालों की खैर नहीं!

संसद का मानसूत्र सत्र कई मायनों में बेहद अहम रहा है। इस सत्र में कई ऐसे विधेयक पास हुए हैं, जो सालों से लंबित थे। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने बैंकों की एनपीए के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और सार्थक कानून पास किया है। इस विधेयक को सरकार ने लंबी चर्चा के उपरांत आखिरकार पास करा लिया। ‘द इंफोर्समेंट ऑफ़ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ़ डेबिट्स लॉस एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स’ नामक यह विधेयक अगस्त के दूसरे हफ्ते में संसद के दोनों सदनों द्वारा पास हो गया।

क्या खुद को ‘एंटी नेशनल’ मानती हैं बरखा दत्त, एक युवा पत्रकार का सवाल!

विगत दिनों वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी द्वारा मीडिया के एक धड़े को ‘एंटी नेशनल’ कहा गया था, जिसके बाद बरखा दत्त आदि कई बड़े पत्रकार अर्नब के खिलाफ लामबंद नज़र आए…

मोदी सरकार के इन कदमों से वैश्विक बाजारों में भी बजेगा भारत का डंका!

उदारीकरण के दौर में जिस तरह विदेशी सामान भारतीय बाजार में छा गए उस तरह विदेशी बाजारों में भारतीय सामानों की धूम नहीं मची। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमारे यहां उत्‍पादन लागत ज्‍यादा आती है, जिससे हमारे सामान घरेलू के साथ-साथ विदेशी बाजारों में प्रतिस्‍पर्धा नहीं कर पाते हैं।

किस हिन्दू राजा का बसाया नगर है दिल्ली, जानिए क्या है इतिहास ?

दिल्ली शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे थे। समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास आठ शहर लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद और शाहजहांनाबाद बसते रहे। ऐतिहासिक दृष्टि से दिल्ली का इतिहास हिंदू तोमर राजा अनंगपाल के इस क्षेत्र पर अधिकार करने से शुरू होता है। उसने गुड़गांव जिले में अरावली की पहाडि़यों पर सूरजकुंड के समीप अपनी राजधानी अनंगपुर बनायी।

कोर्ट के फैसले के बाद अब रार छोड़ें और दिल्ली में कुछ काम भी करें केजरीवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार की अपील पर जो फैसला सुनाया है, वह उसके लिए झटका भी है और बचाव का रास्ता भी। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के असल प्रशासक दिल्ली के उपराज्यपाल ही है। जिस 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली में विधानसभा है और सरकार बनी है, उसके मुताबिक दिल्ली का उपराज्यपाल ही दिल्ली का असल प्रशासक है और वह केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन प्रशासन चलाता है। रही बात विधानसभा की तो उसकी वह हैसियत नहीं है, जो हैसियत संघ के दूसरे राज्यों की है।

डिजिटल इण्डिया की दिशा में तेजी से बढ़ती मोदी सरकार, स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई की सुविधा

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से ही देश के….

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की गर्जना से ऐसे डरा पाकिस्तान कि कर दिया ब्लैक आउट!

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की बैठक..

केजरीवाल सरकार की अराजकता पर कोर्ट का अंकुश, उपराज्यपाल ही हैं दिल्ली के असली बॉस

दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा उपराज्यपाल से अधिकारों के टकराव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सरकार को फटकार लगाते हुए स्पष्ट किया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की कैबिनेट की सलाह के मुताबिक काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं। केजरीवाल सरकार ने अधिकार क्षेत्र के बंटवारे को लेकर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था।

राष्ट्र-प्रथम: अगर जापान पर बुद्ध ने भी आक्रमण कर दिया तो राष्ट्रहित में युद्ध को तैयार हैं जापानी बच्चे!

स्विट्जरलैंड की 77 प्रतिशत आबादी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित भारी-भरकम राशि (लगभग 1,75000 वयस्कों तथा 45000 अवयस्कों के लिए) लेने से मना कर दिया! अमेरिका ने अपनी मानवाधिकारवादी एवं लोकतांत्रिक छवि को दाँव पर लगा 9/11 की घटना को अंजाम देने वाले समुदाय के लिए कठोर जाँच-प्रक्रिया की पद्धत्ति अपनाई और वहाँ के नागरिकों ने इसके विरुद्ध कोई ह-हल्ला नहीं हुआ।