नवोदित सक्तावत

कोरोना से लड़ाई में सधे हुए कदमों के साथ जीत की ओर बढ़ता भारत

अब तक देश में लगभग 3.7 करोड़ सेंपल की जांच हो चुकी है। इसके साथ ही संक्रमण की दर गिरकर मात्र 8.60 प्रतिशत रह गई है।

आत्मनिर्भर भारत का अर्थ विदेशी आयात रोकना नहीं, अपनी क्षमता और सृजनात्मकता को बढ़ाना है

जहां तक आत्‍मनिर्भर होने की बात है, यह केवल कोई सरकारी अभियान नहीं बल्कि स्‍वावलंबन की वह भावना है जो स्‍वदेशी निर्माण को बढ़ावा देती है।

सनातन सांस्कृतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन के साथ-साथ विकास की धारा को भी गति देगा मंदिर निर्माण

कहना होगा कि राम मंदिर का निर्माण भारत के सनातन सांस्कृतिक मूल्‍यों का प्रतिस्‍थापन तो है ही, इससे विकास की धारा को भी गति मिलेगी।

अनुच्छेद-370 हटने के बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर की तस्वीर

यह कहना गलत नहीं होगा कि इस एक साल में कश्‍मीर की छवि इसकी पूर्ववर्ती छवि से विपरीत बनती जा रही है। जो क्षेत्र विध्‍वंस, पिछड़ेपन का पर्याय बन गया था, वह अब प्रगति के सोपान चढ़ रहा है।

पद्मनाभस्वामी प्रकरण : न्याय और आस्था दोनों का सम्मान करने वाला है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

ये मामला न्‍यायपालिका के पास था, इसलिए निष्‍पक्ष न्‍याय हुआ, अन्‍यथा केरल की वामपंथी सरकार के स्वामित्व में जाकर इस मंदिर की क्या दशा होती, यह कहना कठिन है।

एप बैन : चीन पर मोदी सरकार की ये डिजिटल स्ट्राइक देश के युवाओं के लिए एक अवसर है

ये सारे एप देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी थे। इन कारणों को मापदंड बनाकर इन्‍हें प्रतिबंधित किया गया। इन्‍हें लेकर सरकार को लंबे समय से शिकायतें प्राप्‍त हो रही थीं।

कोरोना से लड़ाई में लॉकडाउन का महत्व विपक्ष भले न समझे, मगर आम लोगों ने बखूबी समझ लिया है

इस वीडियो का यह सन्देश विपक्ष को भी समझ लेना चाहिए कि कोरोना से लड़ाई में आम लोग सरकार और उसके लॉकडाउन आदि निर्णयों के साथ है, विपक्षी दल चाहें जो कहते रहें।

कोरोना से निपटने में बुरी तरह विफल साबित हो रही ममता सरकार, बदहाली के आंसू रो रहा बंगाल

कोरोना के मसले पर ममता का रुख शुरू से उदासीन रहा है। सवाल है कि ममता बनर्जी को यह बात समझने में क्‍या अड़चन रही होगी कि कोरोना वायरस एक संक्रामक रोग है जो सभी के लिए समान रूप से खतरनाक है।

अविवेकपूर्ण निर्णयों से समस्या पैदा कर अब किस मुंह से केंद्र से मदद मांग रहे केजरीवाल ?

केजरीवाल कब क्‍या देखकर निर्णय लेते हैं, यह समझ से परे होता है। उनके बयान भी कम चौंकाने वाले नहीं होते। उन्‍होंने पिछले दिनों बड़ी अटपटी बात कही कि दिल्‍ली सरकार यहां के अस्‍पतालों में बाहरी राज्‍यों के मरीजों का इलाज नहीं करेगी।

केंद्र को नसीहत देने की बजाय महाराष्ट्र की स्थिति पर अपना रुख स्पष्ट करें राहुल गांधी

केंद्र को नसीहत देने और उससे सवाल पूछने की बजाय राहुल गांधी को महाराष्ट्र जैसे राज्यों की स्थिति पर रुख स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि सत्ता में भागीदार रहते हुए वे इनकी जवाबदेही से बच नहीं सकते।