प्रहलाद सबनानी

जैविक खेती के विकास पर मोदी सरकार दे रही विशेष ध्यान

केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में जैविक खेती के विकास हेतु कई प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं। बड़े-बड़े आदिवासी क्षेत्रों, वर्षा सिंचित क्षेत्रों एवं ऐसे क्षेत्र जहाँ उर्वरक का कम उपयोग होता है, उन्हें जैविक खेती क्षेत्रों में प्रोत्साहित/विकसित किया जा रहा है। इस प्रकार, 30 लाख हैक्टेयर नए क्षेत्र में जैविक खेती प्रारम्भ किए जाने की योजना है। अंडमान

बुनियादी ढाँचे के विकास को गति दे रही केंद्र सरकार

भारत सरकार ने देश में बुनियादी ढाँचे को विकसित करने एवं देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य से बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वर्ष 2025 तक 103 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने का निर्णय लिया है। इसके लिए हाल ही में देश में पहली बार एक “राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा पाइप लाइन” बनाई गई है। जिसके अंतर्गत देश में पूँजी निवेश का पूरा ख़ाका तैयार किया

ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाने में कामयाब मोदी सरकार

हाल ही में अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान ने एक समीक्षा प्रतिवेदन जारी किया है जिसमें बताया गया है कि भारत में  95 प्रतिशत लोगों के घरों में बिजली मुहैया कराई जा चुकी है और 98 प्रतिशत परिवारों की, खाना पकाने के लिए, स्वच्छ ईंधन तक पहुँच बन गई है। साथ ही, उक्त समीक्षा प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेश की मात्रा भी बढ़ी है, जिससे भारत में ऊर्जा के क्षेत्र की दक्षता में सुधार हुआ है। उसकी वजह से ऊर्जा की क़ीमतों में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है एवं ऊर्जा की क़ीमतें सस्ती हुई

मिशन मोड में चल रही प्रधानमंत्री आवास योजना, तय समय से पहले पूरा होने की उम्मीद

प्रधानमंत्री आवास योजना को लागू किए जाने की रफ्तार देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह योजना अपने तय समय से पहले ही पूरी हो जाएगी। इसी कड़ी में केंद्र के शहरी एवं विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत एक करोड़वें घर को मंजूरी का लक्ष्य दिनांक 27 दिसम्बर 2019 को हासिल कर लिया गया है।

समय की आवश्यकता है अटल भूजल योजना

भारत में कृषि से सम्बंधित पानी की कुल माँग का 65 प्रतिशत और घरों में पानी की कुल माँग का 85 प्रतिशत हिस्सा भूजल प्रदान करता है। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता शहरीकरण और बढ़ते औद्योगीकरण के कारण भूजल पर दबाव बहुत बढ़ता जा रहा है। आज देश के सीमित जल संसाधन ख़तरे में आ गए हैं। देश के ज़्यादातर हिस्सों में अधिकतम एवं अनियंत्रित तरीक़े से भूजल का दोहन