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माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला खोले जाने के प्रस्ताव का बेजा विरोध

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विशनखेड़ी में बनने वाले नए परिसर में गौशाला खुलने का प्रस्ताव सामने आया नहीं कि कांग्रेस, माकपा सहित एक विशेष समूह द्वारा इस फैसले का बेजा विरोध शुरू हो गया है। मीडिया ने इस मसले को तरजीह तो दी है, लेकिन कुछेक बड़े समाचार चैनलों और अख़बारों ने तथ्यों के साथ न केवल छेड़छाड़ की बल्कि समूचे प्रकरण को अलग रंग देने की कोशिश भी

सर्वोच्च न्यायालय ने जब तीन तलाक पर जवाब माँगा था, तब अगर कांग्रेस सरकार होती तो क्या होता ?

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने केवल मुस्लिम महिलाओं को आजादी ही नहीं दी है, वरन् इससे धर्मनिरपेक्षता के दावेदार भी बेनकाब हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले की सुनवाई के प्रारम्भिक चरण में ही केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कल्पना कीजिये कि तब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार होती तो क्या होता। क्या ऐसा जवाब दाखिल करने का साहस वो दिखा सकती थी, जैसा वर्तमान भाजपा सरकार ने दिखाया। यदि

तीन तलाक पर रोक के बाद जश्न मना रही मुस्लिम महिलाएं, मौलानाओं के चेहरे हुए गमगीन !

सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद खबरिया टीवी चैनलों पर बैठे मौलवियों के गमगीन चेहरे और फैसले के स्वागत में देश के अलग-अलग भागों में जश्न मनाती मुसलमान औरतों के चेहरे के फर्क समझिए। फैसले से दोनों की जिंदगी बदलने वाली है। जहां मौलवी खारिज होंगे अपने समाज में, वहीं मुसलमान औरतें बेहतर भविष्य की तरफ बढ़ेंगी। दरअसल तीन तलाक के खिलाफ आवाजें हमेशा

आशीष कुलकर्णी ने नया क्या कहा, कांग्रेस का ‘हिन्दू विरोधी’ चेहरा तो पहले से ही उजागर है !

देश भर में विभिन्‍न मोर्चों पर लगातार हार के बाद अपना जनाधार खोती जा रही कांग्रेस पार्टी को शुक्रवार को एक और झटका लग गया। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार और समन्वय केंद्र के सदस्य आशीष कुलकर्णी ने इस्‍तीफा देकर सबको चौंका दिया। यह इस्‍तीफा उन्‍होंने गुपचुप तरीके से नहीं दिया, बल्कि पुरजोर तरीके से आरोपों की बौछार करते हुए दिया। यह इस्‍तीफा इसलिए भी अहम है, क्‍योंकि आशीष कांग्रेस के वार रूम

आतंकवाद पर हर तरफ से हमले की रणनीति से पस्त होते जा रहे आतंकियों के हौसले !

आज भारत लगातार आतंकवाद से डटकर मुक़ाबला कर रहा है। भारत में आतंकवाद से सीधे तौर पर प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर में इन दिनों आतंकियों की शामत आई हुई है। एक तरफ सेना लगातार आतंकियों पर हमला बोल रही है, तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा पाकिस्तान से फंड लेकर आतंकियों को पालने-पोसने वाले अलगाववादियों की नकेल कसने में लगी है। इधर अमेरिका ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल

पाकिस्तानी चीफ जस्टिस के इस बयान से समझा जा सकता है कि वहाँ हिन्दुओं की क्या दशा होगी !

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार का नाम आपने कभी नहीं सुना होगा। लेकिन वे इन दिनों खबरों में है। उन्होंने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में हिन्दू शब्द बोलने तक से इंकार कर दिया था। आप यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने हिन्दू शब्द का प्रयोग तक नहीं किया अपने एक भाषण के दौरान। पाकिस्तान की स्थापना विषय पर आयोजित एक सेमिनार में वे कह रहे थे कि पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर टू नेशनल थ्योरी

‘भारत छोड़ो आंदोलन में पूरा देश अंग्रेजों को खदेड़ने में जुटा था और वामपंथी उनके साथ खड़े थे’

जो वामपंथी आज राष्‍ट्रवाद का लबादा ओढ़कर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ जैसे राष्‍ट्रवादी संगठन को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, उन वामपंथियों की सोच राष्‍ट्रीय भावनाओं से अलग ही नहीं एकदम विपरीत रही है। भारतीय इतिहास वामपंथियों की राष्‍ट्रविरोधी कथनी-करनी के उदाहरणों से भरा पड़ा है। देश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान उस लड़ाई को कमजोर करने की वामपंथियों द्वारा भरसक कोशिश की गयी। दूसरे शब्दों में कहें

डोलाम विवाद : भारत ने सेना की तैनाती बढ़ाकर चीन को दिया कठोर सन्देश

डोकलाम सीमा पर भारत व चीन के बीच तनाव दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। इसी सप्‍ताह चीन ने लगातार अलग-अलग माध्‍यमों से भारत को धमकी देकर डोकलाम से अपनी सेना हटाने के लिए कहा और चीन के कथित रक्षा विशेषज्ञ भी जंग की धमकी देने से बाज नहीं आए। इन सब तनावपूर्ण स्थितियों के बीच एक अहम सूचना यह सामने आई है कि भारत ने चीन की परवाह न करते हुए सेना हटाने की बजाय उल्‍टे और सेना

अलगाववादियों पर हो रही कार्रवाई का घाटी में क्या होगा असर ?

इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान से फंडिंग का खुलासा होने के बाद देश में अशांति फ़ैलाने से लेकर कई संगीन अपराधों के लिए अब अलगाववादी नेताओं के कई करीबियों को हिरासत में लिया गया है। देश की सुरक्षा के लिहाज से यह एक बेहद जरूरी कदम था। ईडी ने आतंकी फंडिंग केस में शब्बीर शाह के एक करीबी कथित हवाला डीलर असलम वानी को श्रीनगर से गिरफ्तार किया। साथ ही शब्बीर शाह को भी

केरल की वामपंथी हिंसा पर कब टूटेगी ‘असहिष्णुता गिरोह’ की खामोशी ?

केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएगी? एक तरफ वामपंथी बौद्धिक गिरोह देश में असहिष्णुता की बहस चलाकर मोदी सरकार को घेरने का असफल प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर उनके समान विचारधर्मी दल की केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में असहमति की आवाज उठाने वालों को मौत के