गुहा का गुजरात विरोध उनके मोदी विरोधी एजेण्डे का ही विस्तार है
रामचंद्र गुहा इतिहास के जानकार माने जाते हैं, खुद को महात्मा गाँधी का अनुयायी कहते हैं, लेकिन उसी गुजरात, जहाँ गांधी का जन्म हुआ था, को निशाना बनाने में लगे हैं।
जिनकी सरकारों ने कभी सीमा पर ध्यान नहीं दिया, वे सीमा सुरक्षा को लेकर पीएम पर किस मुंह से सवाल उठा रहे हैं?
यह देश का सौभाग्य ही है कि उसने ऐसे कुचक्रों एवं भ्रामक प्रचारों को अस्वीकृत कर निर्वाचित नेतृत्व को और अधिक सशक्त बनाकर अपनी प्रगति का पथ प्रशस्त किया।
हिन्दू साम्राज्य दिवस : छत्रपति शिवाजी और उनका लोकाभिमुख शासन
शिवाजी का राज्याभिषेक जिसे आज हम हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाते हैं, केवल किसी व्यक्ति विशेष के सिंहासन पर बैठने की घटना भर नहीं थी बल्कि वह समाज और राष्ट्र की भावी दिशा तय करने वाली एक युगांतकारी घटना भी थी।
रूस से लेकर रोम और इंडोनेशिया से अफ्रीका तक फैली हैं सनातन संस्कृति की जड़ें
दक्षिण पूर्व एशिया के देश वियतनाम में खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग मिलना ना सिर्फ पुरातात्विक शोध की दृष्टि से एक अद्भुत घटना है अपितु भारत के सनातन धर्म की सनातनता और उसकी व्यापकता का एक अहम प्रमाण भी है।
मोदी 2.0 : वैचारिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने वाला एक साल
नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को हम वैचारिक संकल्प की कसौटी पर परखें तो समझ में आता है कि आज़ादी के उपरांत जनसंघ के समय से जो वादें पार्टी करती आ रही थी, उन्हें पूरा करने का यश नरेंद्र मोदी को प्राप्त हुआ है।
कांग्रेस सरकारों की उपेक्षा का नतीजा है भारत-चीन सीमा विवाद
देखा जाए तो आज जो स्थिति बनी है वह कांग्रेसी सरकारों की लंबे अरसे की उपेक्षा का नतीजा है। इसी को देखते हुए 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी ने चीन सीमा से लगते इलाकों में सड़क और दूसरी आधारभूत परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी
संकट के समय भी चुनावी राजनीति में उलझी है कांग्रेस
आजादी के बाद से ही कांग्रेसी सरकारें गरीबों के कल्याण का नारा लगाकर अपनी और अमीरों की तिजोरी भरती रही हैं। यही कारण है कि बिजली, पानी, अस्पताल, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से दूर रहीं।
कोरोना संकट : ममता की नफरत की राजनीति में पिसता बंगाल
ममता ने केंद्र के प्रति अपनी नफरत की राजनीति को ऐसे संवेदनशील दौर में भी भुनाना जारी रखा है और इसका सबसे अधिक नुकसान बंगाल की जनता का ही हो रहा है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान : दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर चल रही मोदी सरकार
दीनदयाल उपाध्याय का राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक दर्शन भारतीयता के मूल से निकला हुआ दर्शन है, किन्तु वैचारिक मदभेदों के कारण देश में लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेसनीत सरकारों ने उन विचारों की उपेक्षा की, जिसका दुष्परिणाम हम बढ़ते पूंजीवाद, व्यवस्थाओं के केन्द्रीकरण, आयात पर निर्भरता, असंतुलित औद्योगीकरण के रूप में देख सकते हैं।