पॉलिटिकल कमेंटरी

‘मोदी सरकार की नीति और नीयत दोनों ठीक हैं, इसलिए जनता का विश्वास बरक़रार है’

26 मई, 2014 का दिन था, जब नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आज (26 मई, 2018) उनके कार्यकाल को 4 वर्ष पूरे हो गए हैं। 16 मई, 2014 वो तारीख थी, जिस दिन आम चुनावों के बाद हिन्दुस्तान की नई सियासी इबारत लिखी जा रही थी। लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को जनादेश दिया था और विशाल बहुमत के साथ एक गैरकांग्रेस दल की सरकार बनने जा

आर्थिक मजबूती, पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीतियों के चार वर्ष!

विगत चार सालों में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये अनेक कदम उठाये हैं। देखा जाये तो मोदी सरकार द्वारा किये गये विकासात्मक कार्यों की एक लंबी फेहरिस्त है। नवंबर, 2016 में विमुद्रीकरण करने का निर्णय लेना मोदी सरकार द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था। इस निर्णय से नकसलवाद, आतंकवाद, कालेधन एवं कर चोरी पर रोक तो लगी ही,

भारत-रूस संबंधों से सिर्फ इन दोनों देशों को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को हो सकता है लाभ !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गत दिनों संपन्न हुई ताजा अनौपचारिक रूस यात्रा को बेहद ही खास माना जा रहा है, क्योंकि दोनों नेताओं की यह मुलाकात निकट भविष्य में भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की दशा व दिशा तय करेगी। हालांकि मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकातों का दौर इस पूरे साल चलने वाला है।

जेडीएस से गठबंधन करके कांग्रेस ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है !

कर्नाटक के घटनाक्रमों से एक बार फिर साबित हो गया कि कांग्रेस के लिए सत्‍ता साधन न होकर साध्‍य है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार, विशेषकर नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने की मजबूरी के तहत बनने जा रही कांग्रेस-जनता दल (एस) सरकार कितनी टिकाऊ साबित होगी, यह तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा, लेकिन इतना तो तय है कि ये गठबंधन करके कांग्रेस ने

सुरक्षा, विकास और राष्ट्रीय गौरव के चार वर्ष !

केंद्र में भाजपा की सरकार के चार वर्ष पूरे हो गए हैं। भाजपा ने यह मुकाम पूर्ण एवं प्रचंड बहुमत से हासिल किया था। दूसरे अर्थों में इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि जनता की पूरे मन से भाजपा को ही सत्‍ता में लाने की उत्‍कट कामना थी, जो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के रूप में परिणित हुई। आज चार वर्षों बाद भाजपा ने उन सारे मतदाताओं का धन्‍यवाद अपनी उपलब्धियों एवं कार्यों के ज़रिये कर दिया है जिन्‍होंने पूरे

राजनीतिक ही नहीं, सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रही मोदी की नेपाल यात्रा !

विदेश नीति के क्षेत्र में मित्र देशों का विशेष महत्व होता है। लेकिन, कुछ देश इस श्रेणी से भी ऊपर होते हैं। इन्हें बन्धु देश कहते हैं। इनके बीच साझा सांस्कृतिक विरासत होती है, जिसे कभी अलग नहीं किया जा सकता। भारत और नेपाल के संबन्ध इसी श्रेणी में आते हैं। यह सही है कि इसमें अनेक उतार-चढ़ाव भी हुए हैं। चीन समर्थित माओवाद ने भी इन संबंधों में कड़वाहट घोलने का प्रयास किया। इसके वावजूद रिश्तों की मूल

न्यायपालिका पर आरोप लगाकर लगातार अपनी फजीहत करवा रही कांग्रेस !

प्रधान न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव संबन्धी कांग्रेस की याचिका याची पक्ष द्वारा वापस लेने के अनुरोध के बाद खारिज हुई। इसके सूत्रधार कपिल सिब्बल अब क्या करेंगे, यह देखने के लिए इंतजार करना होगा। लेकिन, इस प्रकरण के प्रत्येक कदम पर कांग्रेस की फजीहत हुई है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश पर कदाचार का कोई आरोप नहीं था। इन आरोपों के अलावा किसी स्थिति में संविधान किसी न्यायाधीश को

कर्नाटक चुनाव : विकास के मुद्दे पर विफल कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति !

यह अजीब है कि कांग्रेस को प्रत्येक चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की याद सताने लगती है। शायद उसे लगता होगा कि संघ पर हमला बोलकर वह अपना समीकरण दुरुस्त कर लेगी। लेकिन, वह मतदाताओं के मिजाज को समझने में विफल हो रही है। लोग जानते हैं कि सच्चाई क्या है। झूठ का सहारा लेकर लोगों को भ्रमित नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण

कर्नाटक चुनाव : नामदार पर भारी पड़ रहा कामदार !

कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कामदार शब्द कारगर साबित हुआ। धर्म विभाजन के सहारे चुनाव में उतरी कांग्रेस को इससे कांटा लगा है। क्योंकि, कामदार शब्द ने विकास को प्रमुख मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस अपने को इसमें घिरा महसूस कर रही है। उसकी सरकार के लिए विकास के मुद्दे पर टिके रहना संभव होता, तो चलते-चलते विभाजन का मुद्दा न उठाती। यह उसकी कमजोरी का प्रमाण है। मोदी ने इसे

कर्नाटक चुनाव : मोदी के मैदान में उतरते ही कांग्रेस के माथे पर पसीना आने लगा है !

प्रधानमंत्री मोदी के मैदान में आते ही कर्नाटक चुनाव के सारे गणित बदलने लगे हैं। लिंगायत कार्ड खेलकर जो कांग्रेस अपनी ताल ठोंक रही थी, मोदी के आते ही उसके माथे पर पसीना दिखाई देने लगा है। कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है। जैसा कि सभी जानते हैं कि मोदी का चुनावी अंदाज़ तूफानी होता है और वह अपने तर्ज़ पर चुनावी अभियान का संचालन करते हैं।