पॉलिटिकल कमेंटरी

लाल बत्ती के अंत से लोकतान्त्रिक मूल्यों को मिलेगी और मजबूती

लाल बत्ती एक ऐसे संस्कृति के रूप में उभर चुकी थी, जिसने नेताओं व अधिकारियों को इस मानसिकता से ग्रस्त कर दिया था कि वह शासक हैं और जनता पर शासन करेंगे जो लोकतंत्र के मूल चरित्र के खिलाफ़ था। अक्सर यह देखने को मिलता कि जब भी हमारे द्वारा चुने गये प्रतिनिधि अथवा लाल बत्ती से लैस शासन-प्रशासन के लोग अपने काफिले के साथ सड़क से गुजरते थे, तब उनके लिए ट्रेफिक

ये हैं वो बातें जो बनाती हैं नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता !

मोदी की छवि एक विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। वे स्‍वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ऐसी तमाम बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके

राजनीतिक पंडितों के लिए अकल्पनीय हैं मोदी और अमित शाह के लक्ष्य-बिंदु

राजनीतिक पंडितों के लिए जो अकल्पनीय है, वो मोदी और शाह के लक्ष्य बिंदु हैं। और, उन लक्ष्यों को लगातार भाजपा हासिल भी करती जा रही है। आमतौर पर किसी भी सरकार के तीन साल बाद लोकप्रियता कम होती है, लेकिन मोदी इस मामले में भी परंपरागत धारणाओं को धता साबित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े नेता के तौर पर प्रतिष्ठित होते नरेंद्र मोदी

महात्मा गांधी जननेता के रूप में एक ऐसा आदर्श रहे हैं, जिसके नज़दीक पहुँचना भी उनके बाद के किसी नेता के लिए सम्भव न हो सका। अब नरेंद्र मोदी ‘गांधी के बाद कौन’ वाले सवाल का जवाब बनने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर और फिर देश के प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपना व्यक्तित्व नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया है।

चुनाव आयोग की ईवीएम हैक करने की चुनौती पर गोल-मोल बातें क्यों बना रहे केजरीवाल ?

चुनाव आयोग ने इन्हें ईवीएम हैक करने की चुनौती दी है, तो इनसे कुछ ठोस जवाब देने नहीं बन रहा । दरअसल तकनीकी विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि ईवीएम से किसी तरह कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती । इसलिए चुनावी आयोग की चुनौती पर अब केजरीवाल गोल-मोल बातें बना रहे हैं ।

योगी सरकार की कार्यशैली दिखाती है कि यूपी के अच्छे नहीं, बहुत अच्छे दिन आने वाले हैं !

योगी आदित्यनाथ ने चंद दिनों में ही अपनी कार्यशैली से सबको प्रभावित किया है । उन्होंने अब तक जिन बड़ी समस्याओं पर गौर किया है, वह हैं – किसानों की क़र्ज़माफ़ी समेत उनकी अन्य समस्याओं के समाधान की दिशा में कदम उठाना, उत्तर प्रदेश के शिक्षा तंत्र की एक बड़ी समस्या, 10-12वीं की परीक्षा में अब तक होती आई बेतहाशा नक़ल को रोकना ।

आम आदमी पार्टी के ख़त्म होते जनाधार से बौखलाहट में केजरीवाल

आम आदमी पार्टी अपना जनाधार तेज़ी से खोती जा रही है। यदि इस पार्टी को अपना वजूद बचाए रखना है, तो उसे नाटकीयता और भ्रामक बातों, दावों, नारों से ऊपर उठना होगा। याद कीजिये 2014 में दिल्‍ली का मुख्‍यमंत्री बनने के बाद सत्‍ता छोड़कर जब अगले साल केजरीवाल दोबारा सत्तारूढ़ हुए तब उनके बड़े-बड़े वादों को देखते हुए दिल्ली के मतदाताओं ने उन्हें पूर्ण बहुमत दिया।

कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में सवालों के घेरे में मनमोहन सिंह

कॉमनवेल्थ घोटाले की वजह से वैश्विक स्तर पर देश की जो जगहँसाई हुई, यह बात किसी से छुपी नहीं है। उस वक्त यह खेल महोत्सव लूट महोत्सव का रूप ले लिया था। कांग्रेस का हर नेता मनमाने ढंग से लूट-खसोट मचाया हुआ था। भ्रष्ट अधिकारीयों की मिलीभगत के चलते आज़ाद भारत का सबसे बड़ा खेल समारोह देश के सबसे बड़े खेल घोटाले में तब्दील हो गया; परन्तु, उसवक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर बात की तरह इस पर भी मौन की चादर ओढ़े सोते रहे।

भारतीय राजनीति के चाणक्य अमित शाह से मात खाते विरोधी

शाह अक्सर बताते हैं कि वे चाणक्य और वीर सावरकर से प्रेरणा लेते हैं। उनका कहना है कि अगर कोई भारतीय राजनीति को समझना और भारत पर शासन करना चाहता है, तो उसे इन दो युग-निर्माताओं के दर्शन को आत्मसात करना होगा। अमित शाह की राजनीति व कामकाज में इन व्यक्तियों की प्रेरणा को स्पष्ट देखा जा सकता है। दिलचस्प बात है कि जिन लोगों को चाणक्य के बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता में सरकार के प्रति विश्वास जगाया है!

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हर प्रकार से एक अन्धकार में था। संप्रग-नीत सत्ता भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी थी, जिसके कारण देश का आर्थिक ढांचा चरमरा रहा था और यह सब देखकर समाज में घनघोर निराशा व्याप्त थी। ऐसे समय में देश के सामने गुजरात के विकास मॉडल की उजली तस्वीर लेकर नरेंद्र मोदी आए।