पॉलिटिकल कमेंटरी

राहुल के बोल से सवालों के घेरे में कांग्रेस

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की सेना से जुड़ा एक निंदनीय बयान दिया है। ऐसे समय में जब देश के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक एवं स्थिर देश भारत के समर्थन में हैं, राहुल गांधी ने ऐसी बहस को जन्म देने का काम किया है जिससे न सिर्फ सरकार बल्कि सेना का भी अपमान होता है। पता नहीं किन सन्दर्भों और प्रमाणों के आधार पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी

अगर सेना के साथ सरकार को भी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का श्रेय मिल रहा तो इसमें गलत क्या है ?

गत महीने श्रीनगर के उड़ी में पाक-प्रेरित आतंकी हमला हुआ और हमारे १८ जवान शहीद हो गए। इसके बाद देश में आक्रोश का माहौल पनपा। प्रधानमंत्री मोदी ने भरोसा दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। बदला लिया जाएगा। फिर उच्चस्तरीय बैठकों का दौर चलता रहा। दस दिन गुजर गए। कुछ नहीं हुआ। सरकार पर सवाल उठाए जाने लगे। मोदी विरोधियों द्वारा छप्पन इंच की छाती के बयान का मज़ाक

मोदी सरकार की विदेशनीति की बड़ी सफलता, दुनिया में बेनकाब हो रहा पाक का नापाक चेहरा

उरी आतंकी हमले के बाद केरल के कोझिकोड में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं। पहली कि उरी में शहीद हुए हमारे जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा और उनके भाषण की दूसरी महत्वपूर्ण बात यह थी कि हम आतंकवाद को पनाह देने वाले एकमात्र देश (पाकिस्तान) को दुनिया के पटल पर अलग-थलग कर देंगे। इस बयान को दिए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए और

यूपी में आमने-सामने आए लालू-नीतीश, क्या होगा महागठबंधन का भविष्य ?

जैसे-जैसे यूपी चुनाव नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। लेकिन, इस यूपी चुनाव की सरगर्मी में अभी एक ऐसा समीकरण बना है, जिससे इसीसे सटे राज्य बिहार की सियासत में एक बड़े संभावित परिवर्तन का संकेत मिल रहा है। गौरतलब है कि बिहार में कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच गठबंधन की सरकार चल रही

भारत की सर्जिकत स्ट्राइक से सहमा पाकिस्तान

उड़ी हमला पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी साबित होगा यह किसी ने भी नहीं सोचा था। भारत को चोट पर चोट देने की पाकिस्तान की एक आदत सी बन गयी थी, जिसमें उसे पूरी तरह विश्वास था कि भारत की तरफ से कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। पाकिस्तान पहले से ही कड़ी निंदा और सबूत वाले डोजियर को रद्दी की टोकरी में फेंकने का आदी रहा और भारत उसे बार-बार डोजियर सौंपने का। पाकिस्तान एक

विश्व बिरादरी में पाक को अलग-थलग करने की दिशा में बढ़ती भारतीय विदेश नीति

अभी ज्यादा समय नहीं हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए कहा था कि हमें बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार के हनन का प्रश्न दुनिया के पटल पर अवश्य उठाना चाहिए। इसके बाद से ही बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन और भारत के सहयोग के प्रति धन्यवाद की खबरें आने लगीं थीं। पाकिस्तान अलग-थलग पड़ने लगा था। दुनिया

भारतीय विदेश नीति से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब होता पाकिस्तान

उड़ी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही गरमा-गरमी के दरम्यान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र में होने वाले भाषण पर सबकी नजर थी। नवाज शरीफ इस बार के सम्मेलन को भारत के खिलाफ काफी कुछ हासिल करने वाला मान कर चल रहे थे, लेकिन नवाज का आतंकवादी बुरहान वानी को कश्मीरी युवा नेता करार देना उड़ी हमले पर संवेदना प्रकट न करना, ज्यादातर समय गैर

कैराना प्रकरण में फिर बेनकाब हुए सेकुलर, खुली नकली सेकुलरिज्म की पोल!

गत जून महीने में उत्तर प्रदेश के कैराना कस्बे में तीन सौ से ऊपर हिन्दू परिवारों के पलायन की बात सामने आई थी। स्थानीय भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना में बहुसंख्यक हुए समुदाय विशेष के लोगों के खौफ के कारण हिन्दू परिवार वहाँ से पलायन को मजबूर हुए हैं। भाजपा सांसद के इस दावे का तब देश की तथाकथित सेकुलर बिरादरी जिसमें नेता से लेकर बुद्धिजीवी तक शामिल थे, ने खूब

उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को हर स्तर पर पटखनी देने में जुटी मोदी सरकार!

उड़ी में पाक प्रायोजित आतंकी हमले में सेना २१ जवानों के शहीद होने के बाद से देश में आक्रोश का माहौल है। इसका बदला लेने और पाकिस्तान को सबक सिखाने जैसी बातें कही जा रही हैं। केंद्र की मोदी सरकार भी इस हमले से बेहद दुखी और पाकिस्तान के प्रति एकदम सख्त दिख रही है। हालांकि मोदी सरकार पाकिस्तान के प्रति सख्ती तो इस हमले से पहले ही दिखा रही थी, लेकिन अब वो सख्ती बहुत

अन्दर ही अन्दर दरक चुका है जेएनयू में कम्युनिस्टों का दुर्ग

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एक बार पुनः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को छात्रों का भारी समर्थन प्राप्त हुआ। आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई के चुनाव से हटने के बाद विद्यार्थी परिषद् एवं कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई आमने-सामने थी। इस सीधे मुकाबले में विद्यार्थी परिषद् ने भारी अंतर से अध्यक्ष, सचिव एवं सह-सचिव का पद जीत लिया। इस तरह से विद्यार्थी परिषद् दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्ष