पॉलिटिकल कमेंटरी

जम्मू-कश्मीर : अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद पहले से बेहतर हुए हालात

इसमें कोई संदेह नहीं है कि कश्‍मीर से अनुच्‍छेद-370 को हटाया जाना केंद्र सरकार का एक बड़ा व ऐतिहासिक कदम था। इस कार्यवाही के बाद से ही विपक्ष ने एक तरह से ऐसा माहौल बनाया हुआ था कि कश्‍मीर में जन जीवन प्रभावित हो गया है और वहां बुनियादी सुविधाओं को लेकर अराजकता फैल गई है।

कांग्रेस आलाकमान के लिए शुभ संकेत नहीं हैं हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे

2014 के लोक सभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गईं थी लेकिन चाटुकार संस्‍कृति के हावी होने के कारण विरोध की आवाज दब गई। जिन नेताओं ने बागी तेवर दिखाया उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया। इसके बाद कई राज्‍यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना पड़ा लेकिन हाईकमान संस्‍कृति के खिलाफ बोलने का दुस्साहस बहुत कम कांग्रेसियों ने दिखाया।

एग्जिट पोल में महाराष्ट्र-हरियाणा में फिर भाजपा सरकार, विपक्ष की हालत पस्त

सबसे पहले ये बता देना ज़रूरी है कि एग्जिट पोल्स नतीजे नहीं होते, नतीजों के रुझान भर होते हैं। इसी लिहाज़ से हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों को भी देखा जाना चाहिए, जहाँ विधानसभा के लिए संपन्न हुए चुनाव में विपक्ष की हालत लचर ही दिख रही है। अभी तक जितने भी एग्जिट पोल्स आये हैं, उनका इशारा साफ़ है कि विपक्ष का प्रदर्शन पहले के मुकाबले और ज्यादा गिरा है।

जिम्मेदार विपक्ष की तरह व्यवहार करना कब सीखेगी कांग्रेस?

नोटबंदी 2016 में हुई थी और जीएसटी 2017 में पारित हुआ। इन दोनों निर्णयों के बाद हुए ज्यादातर राज्यों के चुनावों सहित इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस खासकर उसके युवराज राहुल गांधी ने इसे खूब मुद्दा बनाया। राफेल का राग भी गाया गया। लेकिन इन मुद्दों का कोई असर नहीं रहा और अधिकांश चुनावों में भाजपा को विजय प्राप्त हुई। लोकसभा चुनाव में तो पार्टी ने

सिमटते दायरे के बावजूद आत्‍ममंथन से कतराती कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी आज अपने अस्‍तित्‍व के लिए संघर्ष कर रही है। 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्‍यक्ष बने थे तब देश को उम्‍मीद थी कि अब कांग्रेस में एक नए युग का सूत्रपात होगा और पार्टी पुरानी सोच से आगे बढ़ेगी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्‍त के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से त्‍यागपत्र दे दिया

हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव : नेतृत्व से लेकर संगठन तक बदहाली से जूझती कांग्रेस

हरियाणा कांग्रेस चौराहे पर खड़ी है। जैसे-जैसे मतदान की तारीख करीब आ रही है, पार्टी में और अधिक खामियां व अंतर्कलह सतह पर आ रही है।  हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी है। इस्तीफे के बाद उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर कई गंभीर सवाल उठाए। उनके इस रुख से कांग्रेस पार्टी की रही सही उम्मीदों को पलीता लग सकता है।

ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है!

देश के दो अहम राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया अपने मध्यान्ह पर है। यहाँ के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सियासत के समीकरणों को साधने के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की प्रक्रिया को भी लगभग पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को एक ही चरण में दोनों राज्यों में मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम हमारे सामने होंगे। ऐसे में अब चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन का समय शेष रह गया है।

महात्मा गांधी ने कहा था, ‘जितने धर्मों को मैं जानता हूँ, उनमें हिंदुत्व ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है’

आज जब राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को लेकर बेमानी बहस होती है, ऐसे समय में हमारे लिए इन विषयों पर राष्ट्रपिता गांधीजी के विचारों को जानना भी जरूरी हो जाता है। आज अगर कोई हिंदुत्व या राष्ट्रवाद की बात करता है, तो उसे एक ख़ास विचारधारा से जुड़ा हुआ मानकर नीचा दिखाने का प्रयत्न किया जाने लगता है। लेकिन देखा जाए तो महात्मा गांधी राष्ट्रवाद और अपनी धार्मिक

संयुक्त राष्ट्र महासभा में विकास और विश्व-बंधुत्व की भावना से पुष्ट नए भारत का संबोधन

संयुक्त राष्ट्र महासभा के यह संबोधन जहां एक तरफ इमरान की बौखलाहट, सतहीपन के चलते तो दूसरी तरफ पीएम मोदी की सकारात्‍मकता, दूरदर्शिता, प्रगतिशीलता और मुदुभाषिता के चलते बरसों तक याद किए जाते रहेंगे। सही अर्थों में वैश्विक मंच से पीएम मोदी ने विकास और जगकल्याण की भावना से पुष्ट ‘नए भारत’ का संबोधन दिया है, वहीं इमरान

‘हाउडी मोदी’ में दिखी आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका की मजबूत जुगलबंदी

पाकिस्तान इन दिनों भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और पश्चिमी देशों से माली मदद हासिल करने के लिए भला बनकर  पूरी दुनिया को भ्रमित करना चाहता है। लेकिन भारत की कोशिशों से अब अमेरिका सहित पूरी दुनिया को पता चल चुका है कि आतंकवाद का मरकज़ पाकिस्तान ही है, वहीं आतंक की विषबेल को खाद और पानी दिया जा रहा है, अतः उसके प्रति अब कोई भी देश किसी रियायत को तैयार नहीं है