ब्लॉगवाणी

कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति का परिणाम था हलाल प्रमाणपत्र, मोदी सरकार ने किया समाप्त

तुष्‍टीकरण की नीतियों के चलते कांग्रेसी सरकारों ने हलाल को एक भोजन पद्धति से आगे बढ़ाकर एक समानांतर अर्थव्‍यवस्‍था में तब्‍दील कर दिया था।

कोरोना काल में योगी सरकार के प्रबंधन की दुनिया भर में हो रही प्रशंसा

टाइम मैगजीन के लेख में यूपी में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों पर नियंत्रण और रिकवरी दर में लगातार वृद्धि को लेकर योगी सरकार के प्रयासों की तारीफ की गई है।

भारत को भारत की दृष्टि से देखने-समझने और समझाने वाले अनूठे राजनेता थे अटल जी

अटल जी सही मायनों में आधुनिक भारत के शिल्पी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारतवर्ष के विकास की आधारशिला रखी और आर्थिक उन्नति की सुदृढ़ नींव खड़ी की।

माधव गोविंद वैद्य : समाज एवं राष्ट्र को समर्पित जीवन

माधव गोविंद वैद्य उपाख्य बाबूराव जी वैद्य प्रचारक श्रेणी के ही गृहस्थ कार्यकर्त्ता थे। वैसे भी आद्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार संघ को ऐसे तपोनिष्ठ गृहस्थ कार्यकर्त्ताओं का ही संगठन मानते थे।

जेएनयू में प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण

संघर्ष एक शास्वत सत्य है जो हर महान कार्य में संलग्न होता ही है। जेएनयू में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की स्थापना भी इस सत्य को स्थापित करती है।

अमित शाह के बंगाल दौरे के निहितार्थ

पिछले अनेक चुनावों में हमने देखा है कि अमित शाह ने जब भी कोई चुनावी लक्ष्य तय किया है, तो अधिकांश बार वे कामयाब रहे हैं। अबकी बंगाल की बारी है।

कोरोना के प्रभाव से मुक्त होकर सुधर रहे सामाजिक-आर्थिक हालात

कोरोना महामारी के बाद अब देश के सामाजिक-आर्थिक हालात फिर से सुधरने लगे हैं और जल्दी-ही चीजें पूरी तरह सामान्य होने की उम्मीद की जा सकती है।   

नरेंद्र मोदी : विशाल जनसमर्थन से युक्त नेतृत्व के बीस वर्ष

13 सितम्बर 2013 को नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर भाजपा ने घोषित किया था। मोदी ने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनते ही सबसे पहले  नारा दिया  272 प्लस

नए श्रम कानूनों के लागू होने से देश के आर्थिक विकास को लगेंगे पंख

उक्त श्रम क़ानूनों के लागू होने एवं इसके सही तरीक़े से सफलता पूर्वक क्रियान्वयन के बाद स्वस्थ, सुखी एवं संतुष्ट श्रमिक के सपने को भी साकार किया जा सकेगा

हिंदी पत्रकारिता में भाषा का संकटकाल

गंभीरतापूर्वक अवलोकन करें तो वर्तमान हिंदी पत्रकारिता में भाषा को लेकर कई प्रकार की समस्याएँ नज़र आती हैं। इनमें से एक बड़ी समस्या अंग्रेज़ी शब्दों के प्रति अत्यधिक आकर्षण की है।