कांग्रेस

नेशनल हेराल्ड केस : आयकर विभाग की जांच से इतना घबरा क्यों रही है कांग्रेस ?

नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा यंग इंडियन कंपनी की जांच आयकर विभाग से कराए जाने का आदेश दिए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ गयी है। उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अब कंपनी को अपने दस्तावेज आयकर विभाग को सौंपने ही होंगे। बता दें कि इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद सोनिया और

कांग्रेस सरकारों की उपेक्षा से पिछड़े पूर्वोत्तर राज्यों को सँवारने में जुटी मोदी सरकार

शिलांग के स्‍वयंसेवी संगठन “भारत सेवाश्रम संघ” के शताब्‍दी समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सभी संसाधनों के बावजूद पूर्वोत्‍तर के पिछड़ने का कोई कारण नहीं है। देखा जाए तो पूर्वोत्‍तर के पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस की “बांटो और राज करो” वाली नीति जिम्‍मेदार रही है। वोट बैंक की राजनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए कांग्रेस ने यहां के कबीलों को आपस में लड़ाकर अपना हित साधा। इसी

आख़िर किन कारणों से आज अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर में पहुँच गयी है कांग्रेस ?

कांग्रेस अस्थिरता के दौर से गुज़र रही है। किसी भी पदाधिकारी की नियुक्ति होती है और कुछ ही दिन बाद उसे बदल दिया जाता है। ऐसा लगता है जैसे पार्टी को पता ही नहीं है कि उसे जाना किधर है और करना क्या है। जागरूक होता मतदाता अब कांग्रेस की वोटबैंक की राजनीति, तुष्टिकरण की कोरी बातों में नहीं आना चाहता। वह सकारात्‍मकता, प्रगति और समकालीनता चाहता है। तुष्टिकरण की

मोदी ऐसे नेता बन चुके हैं, जिनका विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं है!

पूरे विपक्षी खेमे में कोई एक नेता ऐसा नहीं दिखता जो मोदी के जवाब में खड़ा हो सके। ऐसे में, ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी के आगे विपक्ष एकदम लाजवाब हो गया है। उसके पास न तो कोई नेता है और न ही कोई एजेंडा। दरअसल विपक्ष की इस दुर्गति के लिए काफी हद तक विपक्ष की नकारात्मक राजनीति ही जिम्मेदार है, जिससे जनता का उसके प्रति

बस कहने भर के लिए राष्ट्रीय पार्टी रह गयी है कांग्रेस !

कांग्रेस अब सिर्फ कहने को देश की एक राष्ट्रीय पार्टी रह गई है। वास्तव में तो वह एक ऐसे कालखंड में प्रवेश कर चुकी है, जहाँ वह अब सिर्फ छह राज्यों – कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिजोरम, मेघालय में अपने बूते पर और बिहार में जूनियर पार्टनर के तौर पर सत्ता में मौजूद है। वहीं मोदी और अमित शाह की जोड़ी का कमाल ऐसा है कि

कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में सवालों के घेरे में मनमोहन सिंह

कॉमनवेल्थ घोटाले की वजह से वैश्विक स्तर पर देश की जो जगहँसाई हुई, यह बात किसी से छुपी नहीं है। उस वक्त यह खेल महोत्सव लूट महोत्सव का रूप ले लिया था। कांग्रेस का हर नेता मनमाने ढंग से लूट-खसोट मचाया हुआ था। भ्रष्ट अधिकारीयों की मिलीभगत के चलते आज़ाद भारत का सबसे बड़ा खेल समारोह देश के सबसे बड़े खेल घोटाले में तब्दील हो गया; परन्तु, उसवक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर बात की तरह इस पर भी मौन की चादर ओढ़े सोते रहे।

भाजपा की जीत से बौखलाए विपक्षी दलों का ईवीएम राग

‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ एक पुरानी और प्रचलित कहावत है, जो वर्तमान में ईवीएम को लेकर विपक्ष द्वारा मचाए जा रहे फ़िज़ूल के हंगामे पर एकदम सटीक बैठती है। एक तरफ यूपी की पराजय से सपा, बसपा तो दूसरी तरफ पंजाब में हुई हार से आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल

पस्त संगठन और मस्त नेताओं के बीच बदहाल कांग्रेस

2014 के बाद से जब भी कोई चुनाव होता है और उसमें कांग्रेस को हार मिलती है तो राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े होने लगते हैं । राजनीतिक विश्लेषकों के अलावा कांग्रेस के नेता भी उनके नेतृत्व को लेकर प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं, लेकिन संगठन की चूलें आदि कसने के नाम पर सवाल उठाने लगते हैं । इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल गांधी में एक सौ तीस साल पुरानी पार्टी की अगुवाई को लेकर कोई स्पार्क

गोवा में भाजपा के सरकार गठन पर सवाल उठाने से पहले अपने अतीत में झांक ले कांग्रेस !

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद यूपी, उत्तराखण्ड और पंजाब इन तीन राज्यों में तो जनता ने पूर्ण बहुमत का जनादेश दिया; मगर, गोवा और मणिपुर में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा हो गयी। कांग्रेस इन दोनों ही राज्यों में नंबर एक दल है, लेकिन पूर्ण बहुमत के जादुई आंकड़े को नहीं छू सकी है। इन राज्यों के अन्य दल व निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के साथ आने के संकेत नहीं दे रहे।

मोदी-शाह के तिलिस्म से अबूझ विपक्ष

पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गए हैं। हार-जीत के कयास अब नतीजों में तब्दील होकर देश के सामने है। पांच राज्यों में से दो, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, जहाँ भाजपा के पास सत्ता नहीं थी उनमे भाजपा ने सत्ता में मजबूती से वापसी की है। पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य मणिपुर, जहाँ भाजपा न के बराबर थी वहां भाजपा ने सबसे ज्यादा 36.3 फीसद वोट हासिल किया है और 21 सीटें भी हासिल की है। गोवा राज्य में