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केरल में सन 1968 से चल रहा एकतरफा (कम्यूनिस्ट) आक्रमण : जे. नंदकुमार

पुस्तक मेले में पिछले दिनों ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रवादी पत्रकारिता’ विषय पर ‘मीडिया स्कैन’ के आयोजन में चर्चा के दौरान केरल में कम्यूनिस्टों का जो चेहरा सामने आया, उस पर चर्चा होनी चाहिए। केरल से यह खबर आती है कि आग से झुलस कर एक नेता की मौत। नेता गैर-कम्यूनिस्ट पार्टी का होता है। यह खबर बनती है, लेकिन क्या वास्तव में खबर इतनी ही है या इसके पीछे विचारधारा का कोई संघर्ष है।

यूपी चुनाव : भाजपा की लहर से भयभीत विपक्षियों ने शुरू की एकजुट होने की कवायद

यूपी विधानसभा चुनावों की बिसात बिछ चुकी है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना दांव खेलने के लिए तैयार हो चुकी है। एक तरफ यूपी में मुख्य विपक्षी दल बसपा है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी खो चुकी साख को वापस पाने के लिए जद्दोजहद करने में लगी हुई है। सत्तारूढ़ सपा में मचे दंगल ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रखा है। सपा में जो दंगल मचा है, उसे लेकर लोगों में भ्रम ही घुमड़

भाजपा की विकासवादी राजनीति के आगे पस्त पड़ती विपक्ष की नकारात्मक राजनीति

राहुल गाँधी समेत कई अन्य विपक्षी नेताओ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर रिश्वत लेने जैसा गंभीर आरोप लगाते हुए कुछ दस्तावेज कथित तौर पर सुबूत के रूप में पेश किये थे, जिस आधार पर वकील प्रशांत भूषण ने एसआईटी जाँच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाल दी, जिसे न्यायालय ने खारिज़ कर दिया है। न्यायालय द्वारा प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई से इनकार के बाद विपक्ष को एक और बड़ा झटका

परिवार और राजनीति के बीच अंतर का आदर्श स्थापित करते प्रधानमंत्री मोदी

गत दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कहा गया कि भाजपा इन चुनावों में अवश्य जीत हासिल करेगी, लेकिन इसके लिए मेहनत की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने यह हिदायत भी दी कि पार्टी नेता अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट न मांगें। इस बयान के गहरे और व्यापक निहितार्थ हैं, जिन्हें समझने की आवश्यकता है। दरअसल आज देश

पाँचों राज्यों के विधानसभा चुनावों में सबसे दमदार नज़र आ रही भाजपा !

चुनाव की रणभेरी बजते ही, चुनावी युद्ध के मैदान में महारथियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। एक तरफ भाजपा का विकास का मुद्दा है तो दूसरी तरफ अन्य दलों का जातिवाद, क्षेत्रवाद, सम्प्रदायवाद का मुद्दा। परंपरागत चुनाव से इतर इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग प्रतीत हो रहा है। माना जा रहा है कि यह चुनाव परिणाम कई राजनीतिक पार्टियों की दशा और दिशा भी तय कर सकता है।

परिवारवादी राजनीति पर प्रधानमंत्री का कड़ा संदेश

भारतीय राजनीति में परिवारवाद की बहस एकबार फिर चर्चा में है। चर्चा की वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिया गया एक बयान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने परिवार वालों के टिकट के लिए पार्टी नेता दबाव न बनाएं। भाजपा की आंतरिक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया यह

बरकती के फतवे से सवालों के घेरे में ममता सरकार और वामपंथी बुद्धिजीवी

कोलकाता के एक मस्जिद के कथित शाही इमाम बरकती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ फतवा जारी किया । बरकती ने बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस में अपमानजनक फतवा जारी किया जिसके पीछे बैनर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बड़ी-सी तस्वीर लगी थी । बरकती ने हिंदी और अंग्रेजी में अपमानजनक फतवा जारी किया । यह मानना मेरे लिए मुमकिन नहीं है कि इस मसले की जानकारी पुलिस

लाल आतंक : केरल में वामपंथी हिंसा के शिकार बने भाजपा कार्यकर्ता सी. राधाकृष्णन

जी हाँ ! 291, अब तक केरल में सन 1969 से संघ और जनसंघ/भाजपा के कुल 291 कार्यकर्ता मारे गए हैं उनमें से 228 केवल वामपंथी हिंसा के शिकार बन चुके हैं । केरल के कन्जिकोड, पालाघाट के एक सामान्य से भाजपा कार्यकर्ता, चदयनकलायिल राधाकृष्णन का नाम वामपंथियों द्वारा किये जा रहे राजनैतिक हत्याओं की फेहरिश्त में 6 जनवरी 2017 को जुड़ गया । राधाकृष्णन केरल में राजनैतिक शहादत को

यूपी चुनाव : भाजपा के पक्ष में दिख रही लोकसभा चुनाव जैसी लहर

संभवतः इस सप्ताह चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दे। सभी पार्टियाँ पूरी तैयारी के साथ प्रदेश के चुनावी दंगल में उतरने के लिए बेताब हैं, सभी दल अपनी–अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं, किन्तु लोकतंत्र में असल दावेदार कौन होगा इसकी चाभी जनता के पास होती है। सत्ता की चाभी यूपी की जनता किसे सौंपती है यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। लेकिन, यूपी में जो

सियासी ड्रामे से विफलताओं पर परदा डालने की क़वायद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में चल रहा सत्ताधारी परिवारवादी कुनबे का सियासी ड्रामा आखिरकार उसी बिंदु पर खत्म हुआ जिस पर उसे खत्म होना था। सियासी ड्रामे का यह अंतिम चरण कहा जा सकता है। इसके पहले भी अक्तूबर महीने में यह उठा-पटक तेज हुई थी। उस समय सपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष