संघ

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ कांग्रेस का बौद्धिक और भाषाई स्तर भी गिरता जा रहा है !

हमेशा की तरह अपने बेसिर-पैर के बचकाने बयानों को लेकर थोथी लोकप्रियता बटोरने वाले कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी फिर सुर्खियों में हैं। इस बार भी कारण वही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रचार करने गए राहुल ने इस बार नैतिकता व मर्यादा की सीमाएं पार करते हुए अशालीन टिप्‍पणी कर दी। उन्‍होंने कहा कि संघ व भाजपा में महिलाओं से भेदभाव होता है। मैंने संघ की महिलाओं को कभी शॉर्ट्स में नहीं

गौरी लंकेश की हत्या पर बोलने वाले बुद्धिजीवी केरल की वामपंथी हिंसा पर मुंह में दही क्यों जमा लेते हैं?

300 से अधिक राजनीतिक हत्याएं और हजारों लोग हिंसा के शिकार। चौंकाने वाला आंकड़ा है। मगर, यह आंकड़ा न तो कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएस प्रभावित इराक या सीरिया का है और ना ही तालिबान प्रभावित किसी देश का है। यह आंकड़ा उस देश का है, जहाँ एक वामपंथी और घोषित रूप से हिंदुत्व विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर ऐसा बवाल मचाया जाता है कि मानों देश में सब कुछ असुरक्षित है। वहीं

आरोप लगाकर गायब होने में माहिर हैं रामचंद्र गुहा

एक पत्रकार या इतिहासकार से यह अपेक्षा रहती है कि वो अपनी खबरों और शोध के पुख्ता प्रमाण भी दे। तब उसके काम को प्रतिष्ठा मिलती है। लेकिन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस मामूली-सी बात को भूल गए हैं। गुहा के साथ यह परेशान बढ़ती जा रही है। अब उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या में संघ का हाथ बता दिया है। जब कर्नाटक पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, तो गुहा को कैसे पता चल गया कि गौरी लंकेश

गौरी लंकेश मामले में मीडिया ने रिपोर्टिंग नहीं की, सीधे जज बन गयी !

पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या ने सभी सोचने-समझने वालों के मनो-मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया, एक सभ्य समाज में इस तरह की हत्या स्वीकार्य नहीं है। इस मुद्दे पर विचार करने से पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि गौरी लंकेश शुद्ध तरीके से एक लेफ्टिस्ट विचारधारा का समर्थन करने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट थीं। उनके निशाने पर पिछले कई सालों से बीजेपी और संघ परिवार रहा था, इस तथ्य को स्वीकार

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने की तमीज भी खोती जा रही है कांग्रेस !

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकार गौरी लंकेश हत्‍याकांड के मामले पर बयानबाजी करने में जिस प्रकार की जल्‍दबाजी दिखाई व बड़बोलापन प्रकट किया उससे उनकी राजनीतिक नासमझी पर मुहर ही लगी है। उन्‍होंने इस मामले का पूरी तरह राजनीतिकरण करते हुए भाजपा व आरएसएस पर आधारहीन होकर आरोप लगाए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा व आरएसएस के खिलाफ जो भी बोलता है, उस पर हमला

आशीष कुलकर्णी ने नया क्या कहा, कांग्रेस का ‘हिन्दू विरोधी’ चेहरा तो पहले से ही उजागर है !

देश भर में विभिन्‍न मोर्चों पर लगातार हार के बाद अपना जनाधार खोती जा रही कांग्रेस पार्टी को शुक्रवार को एक और झटका लग गया। कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार और समन्वय केंद्र के सदस्य आशीष कुलकर्णी ने इस्‍तीफा देकर सबको चौंका दिया। यह इस्‍तीफा उन्‍होंने गुपचुप तरीके से नहीं दिया, बल्कि पुरजोर तरीके से आरोपों की बौछार करते हुए दिया। यह इस्‍तीफा इसलिए भी अहम है, क्‍योंकि आशीष कांग्रेस के वार रूम

केरल की वामपंथी हिंसा पर कब टूटेगी ‘असहिष्णुता गिरोह’ की खामोशी ?

केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएगी? एक तरफ वामपंथी बौद्धिक गिरोह देश में असहिष्णुता की बहस चलाकर मोदी सरकार को घेरने का असफल प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर उनके समान विचारधर्मी दल की केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में असहमति की आवाज उठाने वालों को मौत के

केरल में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कब टूटेगी मानवाधिकारवादियों की खामोशी ?

केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकताओं के कत्लेआम का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोकतंत्र में मतभेद संवाद से दूर होते हैं, हिंसा के सहारे विरोधियों का खात्मा नहीं किया जाता। राजनीतिक हिंसा तो अस्वीकार्य है ही। पर, केरल में लेफ्ट फ्रंट सरकार को यह समझ नहीं आता। केरल में भाजपा और संघ के जुझारू और प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस

स्मृति-शेष : सच्चे अर्थों में भारत की ऋषि परंपरा के उत्तराधिकारी थे अनिल माधव दवे

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे, देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में थे, जिनमें एक बौद्धिक गुरूत्वाकर्षण मौजूद था। उन्हें देखने, सुनने और सुनते रहने का मन होता था। पानी पर्यावरण, नदी और राष्ट्र के भविष्य से जुड़े सवालों पर उनमें गहरी अंर्तदृष्टि मौजूद थी। उनके साथ नदी महोत्सवों, विश्व हिंदी सम्मेलन-भोपाल, अंतरराष्ट्रीय विचार महाकुंभ-उज्जैनसहित कई आयोजनों में काम करने का मौका मिला। उनकी विलक्षणता

सीपीएम कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे – हमारे विरुद्ध आओगे तो हम तुम्हारे हाथ, पैर, सिर काट लेंगे !

ताज़ा घटना दिनांक 30 अप्रैल की है जब संघ के एक नवनिर्मित सेवा केंद्र को कन्नूर में उद्घाटन के महज २४ घंटों के अन्दर ही वामपंथी गुंडों के द्वारा तहस नहस कर दिया गया। इस केंद्र का शुभारम्भ जे नन्द कुमार जी ने किया था। रात्रि के तीसरे पहर में हुए आक्रमण में कार्यालय के अन्दर रखी सारी वस्तुएं तोड़ डाली गयीं; खिड़कियाँ, दरवाजे एवं ईमारत में लगे शीशे तोड़ डाले गए। भवन की बाहरी