आर्थिक सुधार

‘विपक्षी दल भले न मानें, पर दुनिया मान रही कि मोदी राज में मजबूत हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था’

देश की अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती देने की दिशा में मोदी सरकार के क़दमों का लगातार असर दिख रहा है। भारत के नाम पर बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। एशिया प्रशांत देशों के बीच अब हमारा देश विकास क्रम में अव्‍वल राष्‍ट्र बनकर उभरा है। गत चार वर्षों में पैसिफिक देशों के बीच भारत ने सबसे तेज गति से उन्‍नति की है।

मोदी सरकार के साहसिक क़दमों से बदल रही देश के अर्थतंत्र की तस्वीर

महाभारत के शांतिपर्व में एक श्लोक है- स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद् यल्लोकहितं भवेत्, अर्थात राजा को अपने प्रिय लगने वाले कार्य की बजाय वही कार्य करना चाहिए जिसमे सबका हित हो। केंद्र की मोदी सरकार के गत साढ़े चार वर्ष के कार्यों का मूल्यांकन करते समय महाभारत में उद्धृत यह श्लोक और इसका भावार्थ स्वाभाविक रूप से जेहन में आता हैl दरअसल

मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों से बढ़ा कर संग्रह, विकास दर में हो रहा इजाफा !

निवेश एवं व्यय बढ़ाने की सरकारी कोशिशों की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछली सात तिमाहियों के सर्वाधिक स्तर 7.7 प्रतिशत पर पहुँच गई। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल के चार वर्षों में सबसे कम 6.7 प्रतिशत रही। हालाँकि, वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही

मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों का दिखने लगा असर, चीन से आगे बढ़ा भारत!

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार भारत द्वारा किये जा रहे आर्थिक सुधारों का सकारात्मक परिणाम दिखने लगा है। आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक (प्रथम) डेविड लिप्टन के अनुसार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को अमलीजामा पहनाने से प्रणाली को पारदर्शी और कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। लिप्टन के मुताबिक, बैंकों की समस्याओं से निपटने के लिये उठाये गये कदम समीचीन एवं महत्वपूर्ण हैं।

मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को वैश्विक स्वीकार्यता

पिछला सप्ताह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए काफी बेहतर रहा। एक तरफ़ सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को लेकर आया प्यू का सर्वेक्षण जहाँ मोदी और बीजेपी को आश्वस्त करता है, वहीं नोटबंदी और जीएसटी के बेज़ा विरोध में जुटे विपक्ष को अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने

आर्थिक संपन्नता और स्वतंत्रता की दिशा में ठोस कदम है जीएसटी

अगर स्वतंत्र भारत के शुरूआती चार दशकों का इतिहास देखें तो हम पायेंगे कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार की समाजवादी एवं साम्यवादी आर्थिक नीतियों ने एक बंद अर्थव्यवस्था विकसित की थी, जहाँ परमिट और लायसेंस की प्रणाली हमारी आर्थिक सुगमता में बाधक की तरह काम करती रही। वह नीतियों इस देश की मूल अर्थ चिन्तन के अनुरूप नहीं थीं,