कांग्रेस

2019 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बात किस आधार पर कह रही हैं, सोनिया गांधी !

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसके लिए मायावती और अखिलेश यादव ने चुनावी समझौता कर लिया। अच्छा ही किया, लेकिन गजब यह है कि अखिलेश ने ये समझौता करते वक़्त अपने दोस्त राहुल गाँधी को पूछा तक नहीं। उत्तर प्रदेश में राहुल और अखिलेश की जोड़ी सोशल मीडिया पर खूब हिट रही थी. लेकिन साल भर में ऐसा क्या हो गया कि दोस्त, दोस्त न रहा ?

पूर्वोत्‍तर में अबकी ‘वोट बैंक’ नहीं, ‘विकास’ की राजनीति का सिक्‍का चला है!

पूर्वोत्‍तर भारत में भारतीय जनता पार्टी को मिल रही कामयाबी के राजनीतिक मायने के साथ-साथ आर्थिक मायने भी हैं जो इस शोर में दब से गए हैं। आजादी के बाद अधिकांश सरकारों के लिए पूर्वोत्‍तर बेगाना ही रहा। उनके लिए गुवाहाटी ही पूर्वोत्‍तर का आदि और अंत दोनों था। जनजातियों में वर्गीय संघर्ष को बढ़ावा देकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने और बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को सुनियोजित तरीके से बसाकर

पकौड़े पर राजनीति छोड़ कांग्रेस यह बताए कि साठ सालों में बेरोजगारी ख़त्म क्यों नहीं हुई ?

रोजगार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पकौड़े के उदाहरण वाले बयान पर संसद से सड़क तक सियासत जारी है। कोई पकौड़े तल रहा है, तो कोई रेहड़ी पर पकौड़ा बेचकर अपनी सूखती राजनीति को पानी देने की कवायद में जुटा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पकौड़ा ब्रेक ले रहे हैं। लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि विपक्ष का कोई नुमाइंदा यह नहीं बता रहा है कि बेरोजगारी की समस्‍या ने इतना विकराल कैसे धारण किया? देखा जाए

मुद्दाहीन कांग्रेस के वैचारिक दिवालियेपन को दिखाता है पकौड़ा प्रकरण !

देश की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। यह उथल-पुथल बहुत वैचारिक, गंभीर या निर्णायक न होकर सतही, हंगामे वाली और व्‍यर्थ की है। विपक्ष इस फिजूल हंगामे का सञ्चालन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों एक साक्षात्‍कार में देश में स्‍वरोजगार को लेकर एक टिप्‍पणी की जिसके बाद मुद्दों को तरस रहे विपक्ष ने बेसिर पैर की प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करना शुरू कर दी। प्रधानमंत्री ने यह कहा था कि

मोदी विरोध के चक्कर में राष्ट्रहित से खिलवाड़ कर रही कांग्रेस !

कांग्रेस समय-समय पर अपनी फजीहत खुद ही करवा लेती है। इस बार तो हद ही हो गयी, कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ऐसा वीडियो शेयर किया जिसके बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस की खूब आलोचना हुई। कांग्रेस द्वारा पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू के साथ गले मिलते हुए वीडियो को लेकर एक बेहद छिछले स्तर का वीडियो बनाकर शेयर किया

हार की हकीकत से मुंह चुरा रहे, राहुल गांधी !

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं। पिछली बार यानी उत्‍तरप्रदेश चुनाव की तरह इस बार भी परिणाम में भाजपा का परचम लहराया और कांग्रेस को मुंह की खाना पड़ी। 18 दिसंबर को हुई मतगणना के दिन सुबह से पूरे देश की निगाहें आरंभिक रूझानों की तरफ थीं। जैसे-जैसे बाद के रूझान आते गए, परिणाम की तस्‍वीर साफ होने लगी। शाम तक सब कुछ स्‍पष्‍ट और घोषित हो गया।

2जी घोटाला : आरोपियों के बरी होने से घोटाला कैसे झूठा हो गया ?

यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सामने आए एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ के घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा, कनिमोझी, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदोलिया समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कुछ भी साबित कर पाने में नाकाम

गुजरात चुनाव : मंदिर दौड़ और जातिवादी गठजोड़ के बावजूद क्यों नहीं जीत सकी कांग्रेस ?

कांग्रेस के नवनियुक्‍त अध्‍यक्ष राहुल गांधी की मंदिर दौड़ और जातिवादी नेताओं से गठजोड़ के बावजूद कांग्रेस को गुजरात में पराजय का मुंह देखना पड़ा। 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी आज इतनी कमजोर हो गई है कि वह गुजरात में अकेले चुनाव में उतरने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाई और हार्दिक पटेल, अल्‍पेश ठाकोर, जिग्‍नेश मेवानी जैसे जातिवादी नेताओं से गठजोड़ करने पर मजबूर हुई। इसके बावजूद उसकी दाल नहीं

गुजरात चुनाव में बदल गया भारतीय राजनीति का वैचारिक धरातल

हाल ही में संपन्न हुए गुजरात चुनाव वैसे तो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में किसी राज्य के सामान्य चुनाव जैसा ही था, परन्तु एक राजनीतिक विश्लेषक की नज़र से देखा जाए तो स्पष्ट होता है कि शायद ये चुनाव सामान्य नहीं था। भारतीय राजनीती के वैचारिक परिद्रश्य से तो कतई ये चुनाव सामान्य नहीं था, कभी जिनके पूर्वजों ने सोमनाथ के जीर्णोद्धार का विरोध किया था, उनके वंशज उसी सोमनाथ बाबा के सामने साष्टांग

गुजरात चुनाव में उतरा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का नकाब

भारतीय जनता पार्टी 22 साल गुजरात में सत्ता में काबिज रहने के बाद फिर से पांच साल के लिए राज्य में राज करेगी। गुजरात में भाजपा की जीत पर कभी भी संदेह नहीं था। देखा जाए तो बहस का मुद्दा यही था कि उसे पहले से थोड़े ज्यादा या कम वोट/सीट मिलेंगी या नहीं? कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के साथ ही अपने धर्मनिरपेक्षता के चोले को उतारकर फेंक दिया। गुजरात चुनाव में मुसलमानों के वोटों को पाने की कोई