चीन

भारत के विकास की गति को और अधिक रफ़्तार देगा जापान का ये साथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिवसीय जापान यात्रा पर हैं। मोदी के इस दौरे के दौरान दोनों देशों द्वारा असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस करार के बाद भारत को जापान से परमाणु बिजली प्लांट की स्थापना, जरूरी ईंधन, उपकरण और तकनीक आदि मिलने का रास्ता खुला है। दोनों देशों के बीच इस समझौते पर बातचीत का दौर लंबे समय से चल रहा था। पिछले साल जब जापान के प्रधानमंत्री भारत

दक्षिणी चीन सागर में चीनी मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने कसी कमर

पाकिस्तान के प्रति मोदी सरकार की शानदार कूटनीति, जिसने उसे न केवल एशिया बल्कि पूरे विश्व में भी अलग-थलग करके रख दिया है, का परिचय देने के बाद बाद अब मोदी सरकार चीन के प्रति भी कठोर रुख अख्तियार करने के मूड में दिख रही है। अब भारत दक्षिणी चीन सागर में चीन की मनमानियों पर लगाम लगाने के लिए कमर कस चुका है। इसीलिए चीन के बड़े प्रतिद्वंद्वी जापान के साथ मिलकर दक्षिणी

अब होगा पाक पर भारत की बलूचिस्तान नीति का असली वार!

प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों द्वारा जबसे बलूचिस्तान में की जा रही हैवानियत को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेने की शुरुआत की गई है, तबसे पाकिस्तान हर तरह से एकदम बैकफुट पर नज़र आ रहा है। इसके अलावा उसके द्वारा कब्जाए गए कश्मीर का मुद्दा भी भारत अब पूरे दमखम के साथ उठा रहा है, इस बात ने पाकिस्तान को अलग हलकान किया हुआ है। चीन, अमेरिका जैसे उसके वैश्विक साझीदार

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व का असर, जी-२० में पहली पंक्ति में मिली भारत को जगह!

यह संयोग ही है कि चौदह साल बाद दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री को ग्रुप-२० समिट में पहली कतार में खड़ा होने का अवसर मिला है। इसके पूर्व वर्ष २००२ में जब ग्रुप-२० समिट का आयोजन भारत में किया गया था, तो मेहमान देश होने के नाते भारत के प्रधानमंत्री पहली पंक्ति में खड़े हुए थे। यह संयोग ही है कि तब भी देश में भाजपा-नीत राजग की सरकार थी और आज चौदह साल बाद जब विदेशी जमीन पर किसी

चीनी आक्रामकता का कूटनीतिक जवाब है पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा दोनों देशों की रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को नया मुकाम देने की दिशा में एक बहुआयामी पहल है। इस यात्रा से जहां दोनों देशों के ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मदद मिलेगी, वहीं कूटनीतिक तौर पर चीन की बढ़ती आक्रामकता पर लगाम कसने में भी यह यात्रा सहायक सिद्ध होगी। बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा जितना

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व में चीन को पछाड़ सफलता की नई इबारत लिखेगा भारत!

चीन ने जिस तरह से, अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा का अपमानजनक स्वागत किया है उससे एक बात साफ़ है कि चीन आगे के समय में अमेरिका

चीनी आक्रामकता के जवाब में मोदी सरकार ने अपनाई एक्ट ईस्ट नीति!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्‍तान मामले में पाकिस्‍तान को जैसी पटखनी दी, उसकी कल्‍पना उसने सपने में भी नहीं की होगी। अब प्रधानमंत्री उसी प्रकार की पटखनी चीन को देने में जुट गए हैं। गौरतलब है कि लंबे अरसे से चीन भारत को चारों ओर से घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसके लिए वह भारत के पड़ोसी देशों को मोहरा बनाने से भी बाज नहीं आया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण-पूर्व

मोदी सरकार की बड़ी सामरिक सफलता है लिमोआ समझौता, चीन-पाक हुए हलकान!

गत दिनों भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) यानी लिमोआ समझौता संपन्न हुआ। भारतीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर और अमेरिकी सुरक्षा सचिव एश्टन कार्टर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर कर सैद्धांतिक तौर पर इसे अंतिम रूप दिया। ज्ञात हो कि बीते जून में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तब उसने भारत को प्रमुख रक्षा सहयोगी का दर्जा दिया था। यह

सामरिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है लिमोआ समझौता!

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 29 अगस्त को अमरीका में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेण्डम ऑफ़ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह समझौता सामरिक दृष्टिकोण से एक अलग तरह का महत्व रखता है। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से भारत और अमेरिका दुनिया भर में फैले एक दूसरे के सैन्य ठिकानों से रसद सहायता साझा कर सकेंगे।

मोदी सरकार का आक्रामक रुख, पाकिस्तान हुआ पस्त और चीन भी हलकान!

मोदी सरकार पर सत्ता में आने के कुछ समय बाद से ही विपक्षियों द्वारा यह आरोप लगाया जाता रहा है कि इस सरकार की पाकिस्तान और चीन को लेकर कोई विदेशनीति नहीं है। हालाकि ज्यादातर ये आरोप लगाने वाली मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस शायद ये भूल जाती है कि जब वो खुद सत्ता में थी, तब देश ने पाक और चीन के प्रति उसकी भी विदेशनीति खूब देखी थी।