बिहार

यूपी में आमने-सामने आए लालू-नीतीश, क्या होगा महागठबंधन का भविष्य ?

जैसे-जैसे यूपी चुनाव नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। लेकिन, इस यूपी चुनाव की सरगर्मी में अभी एक ऐसा समीकरण बना है, जिससे इसीसे सटे राज्य बिहार की सियासत में एक बड़े संभावित परिवर्तन का संकेत मिल रहा है। गौरतलब है कि बिहार में कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के बीच गठबंधन की सरकार चल रही

काटजू के बयान से ज्यादा ‘जंगलराज’ से शर्मिंदा होता है बिहार, नीतीश जी!

नेताओं के लिए बड़ा आसान होता है कि कोई भावनात्मक मुद्दा पकड़ लो और तुरंत अपने को राज्य और लोगों का हितैषी साबित कर दो। वो भी बिना कुछ किए धरे। यह सियासत का वह शॉर्टकट है, जिसे अपनाकर ज़मीन से कटे और जनता की नज़रों से गिरे हुए नेता भी चमक जाते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस शॉर्टकट के पुराने खिलाड़ी हैं। जब-जब उनकी छवि पर ग्रहण लगता है और उनके अस्तित्व पर

सत्ता के लोभ में ‘जंगलराज’ के सामने हथियार डाल दिए हैं नीतीश!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल तक ‘सुशासन बाबू’ के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब उनकी यह छवि पीछे छूटने लगी है। बिहार में अब सुशासन की चर्चा नहीं, अपराध की बहार है। शहाबुद्दीन की वापसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में अपराध पर लगाम लगाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाकामयाब साबित हो रहे हैं। बिहार सरकार में शामिल राजद के विधायकों/मंत्रियों ने जिस तरह

‘सुशासन’ के मुंह पर ‘जंगलराज’ का झन्नाटेदार तमाचा

यह लेखक जिस वक्त और जहां बैठकर यह बातें टाइप कर रहा है, उसके ठीक एक दिन पहले इस जगह से केवल दो किमी दूर, राजधानी पटना में सरेशाम एक प्रेस फोटोग्राफर के बेटे को गोली मार दी गयी है। उसी दिन दो और हत्याएं महज पांच किलोमीटर के दायरे में हुई हैं। इसी ख़बर

‘संघ मुक्त भारत’ पर नहीं, अपराध मुक्त बिहार पर सोचिये नीतीश जी!

जब कोई शासक अंधी महत्त्वाकांक्षा और सस्ती लोकप्रियता का शिकार हो जाए तो जनता के हित साधने और विधायी ज़िम्मेदारी निभाने की बजाय ‘जुमले’ गढ़ने लगता है। संघ एक विचार है और विचार कभी मरता नहीं। संघ भी एक विचार है, एक सांस्कृतिक आंदोलन है, समाज के भीतर कोई संगठन नहीं, बल्कि समाज का संगठन है

अगर यही राष्ट्रवाद के उभार का दौर है तो सोचिये राष्ट्रवाद के बुरे दिन कैसे रहे होंगे!

यह बात दुनिया भर के विद्वान कह रहे हैं कि यह भारत के अंदर राष्ट्रवाद के उभार का समय है। लेकिन, इसी समय में जेएनयू की एक छात्रा देवी सरस्वती का अपमान करने के लिए भारत भूषण अग्रवाल सम्मान से सम्मानित की जाती है। इस बात पर यकिन नहीं किया जा सकता है कि पुरस्कार के निर्णायक को कवयित्री के अश्लील रचना का ज्ञान ना हो।

फिर जंगलराज के साये में बिहार

उमेश चतुर्वेदी यह संयोग ही है कि छह मई को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि उनकी बहुचर्चित शराबबंदी योजना से राय में अपराध की घटनाओं में 27 फीसद की कमी आ गई, इसके ठीक दो दिन बाद उनके ही एक एमएलसी के बेटे ने महज रास्ता ना देने के चलते एक