मोदी

शहीदों के राष्ट्र-निर्माण के स्वप्न को पूर्ण करने में ही है आज़ादी की सार्थकता!

भारत आज अपनी आजादी की 70 वीं सालगिरह मना रहा है। लाल किले पर तिरंगा फहर चुका है । सन् 1947 को आज ही के दिन भारत ने लगभग 200 वर्षों की अंग्रेजी दासता के बंधनों को तोड़ कर आजादी का प्रथम सूर्योदय देखा था। आजादी के इस आंदोलन में कितनी शहादतें हुई, ये अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है। देश के हर गांव के ही आस-पास ऐसी कई कहानियां होगी, जिनसे हम आज भी अनजान हैं।

स्वतंत्र भारत की पहली राजनीतिक चूक थी पटेल की बजाय नेहरू का प्रधानमंत्री बनना!

आज देश 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। लेकिन देश में यह पुरानी बहस चलती रहती है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के स्थान पर अगर सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री बने होते तो आज देश की तस्वीर क्या होती? बड़ी संख्या में लोगों की ऐसी धारणा है कि अगर ऐसा हुआ होता तो न तो आज कश्मीर समस्या रहती और न ही तब चीन द्वारा भारत पर आक्रमण की जुर्रत की जाती।

मोदी सरकार ले आई कड़ा क़ानून, अब बैंकों का कर्ज डकारने वालों की खैर नहीं!

संसद का मानसूत्र सत्र कई मायनों में बेहद अहम रहा है। इस सत्र में कई ऐसे विधेयक पास हुए हैं, जो सालों से लंबित थे। इसी कड़ी में मोदी सरकार ने बैंकों की एनपीए के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और सार्थक कानून पास किया है। इस विधेयक को सरकार ने लंबी चर्चा के उपरांत आखिरकार पास करा लिया। ‘द इंफोर्समेंट ऑफ़ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ़ डेबिट्स लॉस एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स’ नामक यह विधेयक अगस्त के दूसरे हफ्ते में संसद के दोनों सदनों द्वारा पास हो गया।

मोदी के बयान के बाद फिर बोला बलूचिस्तान, ‘हम लेके रहेंगे आजादी!’

एक भारतीय के नाते खबरिया चैनल पर इस तरह की बहस सुनने का यह पहला अनुभव था। जिसमें पाकिस्तान पैनलिस्ट सफकात सईद को बलूचिस्तानी पैनलिस्ट तारिक फतह कहते हैं- ‘‘तुम अपने पूर्वजो को भूल सकते हो। मैं नही भूल सकता। इस नाते मैं हिन्दूस्तानी हूं। तुम पाकिस्तानी भी हिन्दूस्तानी हो। अफगानी भी हिन्दूस्तानी हैं। बलूचिस्तानी भी हिन्दूस्तानी है।’’

सुन लो पाकिस्तान, अब तो मोदी भी बोल दिए ‘वो कश्मीर हमारा है’

इस बात को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब दिल्ली में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लेखकों से ‘विचारधारा और राजनीति’ के मुद्दे पर संवाद कर रहे थे। उस संवाद चर्चा के दौरान एक लेखक ने बेबाकी से पूछा कि राजनीति में विचारधारा के प्रश्न पर आप क्या कहते हैं ? इसके जवाब में शाह ने कहा कि विचारधारा को लेकर हम कोई समझौता नहीं कर सकते हैं। हमारी बुनियाद ही विचारधारा आधारित है और हम उसी पर टिके हैं।

क्या खुद को ‘एंटी नेशनल’ मानती हैं बरखा दत्त, एक युवा पत्रकार का सवाल!

विगत दिनों वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी द्वारा मीडिया के एक धड़े को ‘एंटी नेशनल’ कहा गया था, जिसके बाद बरखा दत्त आदि कई बड़े पत्रकार अर्नब के खिलाफ लामबंद नज़र आए…

प्रधानमंत्री मोदी ने देश को समर्पित की कुडनुकुलम परियोजना की पहली यूनिट, ख़त्म होगा ऊर्जा संकट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयत्र की पहली यूनिट देश…

गोरक्षा पर मोदी को नहीं समझे तो आप विरोधियों के जाल में फंस चुके हैं!

गोरक्षा की आड़ में निंदनीय घटनाओं को अंजाम दे रहे तथाकथित गोरक्षकों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी के गहरे निहितार्थ हैं। उतावलेपन से प्रधानमंत्री के बयान की गंभीरता को समझना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री के बयान के महत्त्व को समझने के लिए गंभीरता, धैर्य और वास्तविकता को स्वीकार करने का सामर्थ्य चाहिए।

जानिये क्यों है भाजपा ‘पार्टी विद अ डिफरेंस’!

उसवक़्त मेरे पास मोबाइल तो नहीं, मगर एक डायरी हुआ करती थी, जिसमें कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक लोगों के लैंडलाइन नं थे। तब शायद मोबाइल होना बड़ी बात थी। यही कोई 4:30-5:00 बजे का वक्त रहा होगा। मैंने बड़े संकोच और द्वन्द्व के साथ एक टेलीफोन बूथ पर जाकर एक लैंडलाइन नं डायल किया, दूसरी तरफ से जो आवाज आई, उसकी आत्मीयता और अपनेपन ने मेरी सारी झिझक, सारा संकोच क्षण भर में दूर कर दिया।

कोर्ट के फैसले के बाद अब रार छोड़ें और दिल्ली में कुछ काम भी करें केजरीवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार की अपील पर जो फैसला सुनाया है, वह उसके लिए झटका भी है और बचाव का रास्ता भी। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के असल प्रशासक दिल्ली के उपराज्यपाल ही है। जिस 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली में विधानसभा है और सरकार बनी है, उसके मुताबिक दिल्ली का उपराज्यपाल ही दिल्ली का असल प्रशासक है और वह केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन प्रशासन चलाता है। रही बात विधानसभा की तो उसकी वह हैसियत नहीं है, जो हैसियत संघ के दूसरे राज्यों की है।