सोनिया गांधी

प्रधानमंत्री मोदी के प्रति असभ्य भाषा कांग्रेस की कार्य-संस्कृति बन गई है

खड़गे ने मोदी के प्रति जिस अभद्र भाषा का प्रयोग किया वह किसी आवेश में नहीं निकली है। यह तो कांग्रेस की अप-संस्‍कृति ही है जिसके संवाहक खड़गे भी बने हुए हैं।

वंशवादी राजनीति से मुक्ति की दिशा में बढ़ रहा है देश

प्रधानमंत्री मोदी विकास की राजनीति के जरिए लोकतंत्र के सबसे बड़े दुश्मन यानी वंशवादी राजनीति को ठिकाने लगाने में जुटे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है।

बिजली केंद्रित अर्थव्यवस्था बनाने में जुटी मोदी सरकार

अब मोदी सरकार देश की समूची अर्थव्यवस्था को बिजली केंद्रित बनाने बनाने में जुटी है। उम्मीद है कि सरकार इस लक्ष्य को भी अवश्य प्राप्त कर लेगी।

भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले हिंदू-हिंदुत्व की बात किस मुंह से कर रहे हैं ?

राहुल गांधी ने जिस ढंग से हिंदुत्व को हिंदू से अलग करके स्‍वयं की परिभाषा थोपने की जो कोशिश की है, वह विचित्र और भ्रामक है।

लगातार पराजय के बाद भी बदलाव को तैयार नहीं कांग्रेस

कई राज्‍यों में कांग्रेस की विपक्ष की हैसियत भी नहीं बची है। हाल ही में संपन्‍न हुए पांच राज्‍यों के चुनाव में दो और राज्‍यों में कांग्रेस का विपक्ष का ओहदा छिन गया।

चीन को खदेड़ने के लिए पंद्रह मिनट मांगने वाले राहुल की कांग्रेस साठ सालों तक क्या कर रही थी ?

चीन को खदेड़ने के लिए 15 मिनट मांगने वाले राहुल गांधी को पहले पिछले साठ सालों में कांग्रेसी सरकारों द्वारा की गई भूलों पर देश से माफी मांगनी चाहिए।

‘कांग्रेस तेजी से जिस रास्ते पर बढ़ रही है, वो पतन के अलावा और कहीं नहीं जाता’

कांग्रेस के अंदर नेतृत्व के प्रति असंतोष और निराशा का भाव बढ़ रहा है, लेकिन इस परिवारवाद की पट्टी आँखों पर बांधे पार्टी इस बात की अनदेखी करने में लगी है।

वंशवाद, अहंकार और अदूरदर्शिता के भँवर में फँसकर पतन की ओर बढ़ती कांग्रेस

चाटूकारों और अवसरवादियों की भीड़ और उनकी विरुदावलियाँ किसी नेतृत्व के अहं को तुष्ट भले कर दें, पर इनसे वे सर्वस्वीकृत, सार्वकालिक, और महान नहीं बनते।

अतीत से सबक न ले रही कांग्रेस के लिए भविष्य और कठिन होने वाला है

सोमवार को कांग्रेस की बैठक में से एक के बाद एक आए बयानों का सार यही है कि इस पार्टी के लिए गांधी परिवार ही सबकुछ है।

आंतरिक कलह के लिए भाजपा पर उंगली उठाकर अपनी कमियां छिपाना चाहती है कांग्रेस

कांग्रेस अपने इस आंतरिक संकट का ठीकरा भाजपा पर फोड़ रही है, जबकि इसके लिए वो खुद जिम्मेदार है। परन्तु आत्मचिंतन करने को तैयार नहीं।