सोनिया गांधी

चीन तो पीछे हट गया, कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सतही राजनीति करने से कब पीछे हटेगी?

भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रहा गतिरोध चीन के पीछे हटने के साथ समाप्त हो चुका है और डोकलाम प्रकरण के बाद एकबार फिर साबित हो गया है कि ये नए दौर का भारत है, जो अपनी राष्ट्रीय अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा।

सरकारी बंगलों में रहना और फिर उन्हें अपना बना लेना नेहरू-गांधी परिवार की पुरानी परिपाटी है

भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को उनका सरकारी बंगला खाली करने का आदेश जारी किया गया है।

’सरकार से जवाब माँगना छोड़े, राजीव गांधी फाउंडेशन मामले में उठ रहे सवालों का जवाब दे कांग्रेस’

जिस तरह से राजीव गांधी फाउंडेशन का प्रकरण सामने आया है और कांग्रेस का चीनी चंदे का कनेक्शन खुला है, उसने नए सवाल खड़े किए हैं।

कोरोना से लड़ाई में लॉकडाउन का महत्व विपक्ष भले न समझे, मगर आम लोगों ने बखूबी समझ लिया है

इस वीडियो का यह सन्देश विपक्ष को भी समझ लेना चाहिए कि कोरोना से लड़ाई में आम लोग सरकार और उसके लॉकडाउन आदि निर्णयों के साथ है, विपक्षी दल चाहें जो कहते रहें।

संकट के समय भी चुनावी राजनीति में उलझी है कांग्रेस

आजादी के बाद से ही कांग्रेसी सरकारें गरीबों के कल्‍याण का नारा लगाकर अपनी और अमीरों की तिजोरी भरती रही हैं। यही कारण है कि बिजली, पानी, अस्‍पताल, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से दूर रहीं।

आपदा की इस घड़ी में तो अपनी वोटबैंक की संकीर्ण राजनीति से बाज आए कांग्रेस!

घर लौट रहे मजदूरों को किराया देने की घोषणा कर वाहवाही लूटने का उतावलापन दिखाने वाली कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्षा सोनिया गांधी को पहले यह बताना चाहिए कि केंद्र व राज्‍यों में पचास साल तक कांग्रेस के एकछत्र शासन के बावजूद देश का संतुलित विकास क्‍यों नहीं हुआ?

‘जब पूरा देश कोरोना के खिलाफ लड़ रहा, तब कांग्रेस केंद्र सरकार से लड़ रही है’

देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस गंभीर वैचारिक द्वंद्व में फंस चुकी है। अनुच्छेद-370 समाप्‍त करने, नागरिकता कानून और राष्‍ट्रीय नागरिकता रजिस्‍टर (एनआरसी) पर तो उसके नेताओं में परस्पर विरोध था ही, अब कोरोना संकट में भी पार्टी के अंतर्विरोध उभरकर सामने आ रहे हैं।

नेहरू-गांधी परिवार के चंगुल से निकले बिना कांग्रेस का उद्धार नहीं हो सकता

पिछले कुछ समय से कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कौन है, ये बहुत से लोगों को ठीक से पता भी नहीं होगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी को इतना हिला दिया कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ समय के लिए अज्ञातवास पर ही चले गए, वापस आये तो इस इरादे के साथ कि वह कभी दोबारा कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनेंगे।  

कांग्रेस में बढ़ता ही जा रहा परिवारवादी राजनीति का वर्चस्व

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में आने से साबित हो गया कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी परिवारवाद से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। वैसे तो  ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की उपेक्षा के कई कारण हैं लेकिन सबसे अहम कारण है, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के लिए रास्ता साफ़ रखना।

नागरिकता संशोधन क़ानून : अफवाहों के जरिए खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशते विपक्षी दल

दिल्‍ली के रामलीला मैदान की रैली वैसे तो दिल्‍ली की 1731 अनधिकृत कालोनियों के 40 लाख निवासियों को मालिकाना हक देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्‍यवाद देने हेतु आयोजित की गई थी लेकिन इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विरोधियों की जमकर खबर ली। उन्‍होंने कहा तुष्‍टीकरण और वोट बैंक की राजनीति करने वाले अफवाहों के जरिए अपनी खोई हुई राजनीतिक