कामकाज

‘विपक्षी दल भले न मानें, पर दुनिया मान रही कि मोदी राज में मजबूत हो रही भारतीय अर्थव्यवस्था’

देश की अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती देने की दिशा में मोदी सरकार के क़दमों का लगातार असर दिख रहा है। भारत के नाम पर बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। एशिया प्रशांत देशों के बीच अब हमारा देश विकास क्रम में अव्‍वल राष्‍ट्र बनकर उभरा है। गत चार वर्षों में पैसिफिक देशों के बीच भारत ने सबसे तेज गति से उन्‍नति की है।

नए आधार वर्ष के कारण जीडीपी के बदले आंकड़ों पर सवाल क्यों?

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के 9 सालों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी। सीएसओ ने संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान 4 वर्षों की विकास दर में 1 प्रतिशत से अधिक की कटौती की है।

अच्छे दिन : ‘भारत में संपत्ति का लोकतांत्रिकरण हो रहा है’

सितंबर तिमाही के लिये जीडीपी आंकड़े कुछ दिनों के बाद जारी किये जाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले अर्थशास्त्री एवं देश व विदेश के वित्तीय संस्थान जीडीपी के आंकड़ों के गुलाबी होने का अनुमान लगा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.2% से 7.9% के बीच रह सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 7.4% की दर से विकास

जीसैट-29 : दुश्मन देशों के समुद्री जहाजों पर अब आसमान से नजर रखेगा भारत

अभी पिछले साल की ही बात है जब एक ही बार में 104 सेटेलाइट्स सफलतापूर्वक लांच करके भारत ने इतिहास रचा था और अपनी काबिलियत का लोहा सम्पूर्ण विश्व में मनवाया था। इस सफलता के बाद हम उन चंद देशों की सूची में शामिल हो गये हैं, जिनका खुद का सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है। उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पुनः देश को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।

59 मिनट लोन योजना से एमएसएमई कारोबारियों के लिये लोन लेना हुआ आसान

देश में फिलहाल 6.3 करोड़ से ज्यादा एमएसएमई यूनिट कार्य कर रही हैं, जिनमें 11.1 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। देश की जीडीपी में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान करीब 30 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि यदि इस क्षेत्र को मजबूत किया जाये तो देश में रोजगार सृजन, आर्थिक आत्मनिर्भरता, समावेशी विकास, विनिर्माण में तेजी आदि को संभव बनाया जा सकता है।

मोदी सरकार के साहसिक क़दमों से बदल रही देश के अर्थतंत्र की तस्वीर

महाभारत के शांतिपर्व में एक श्लोक है- स्वं प्रियं तु परित्यज्य यद् यल्लोकहितं भवेत्, अर्थात राजा को अपने प्रिय लगने वाले कार्य की बजाय वही कार्य करना चाहिए जिसमे सबका हित हो। केंद्र की मोदी सरकार के गत साढ़े चार वर्ष के कार्यों का मूल्यांकन करते समय महाभारत में उद्धृत यह श्लोक और इसका भावार्थ स्वाभाविक रूप से जेहन में आता हैl दरअसल

विपक्षी विरोध से इतर तथ्य तो यही बताते हैं कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है!

आज से दो वर्ष पूर्व, यही 8 नवम्बर की तारीख थी, जब देश में काले धन, नकली नोट जैसी आर्थिक विसंगतियों पर चोट करने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में इस निर्णय का ऐलान किया जिसके बाद सब तरफ उथल-पुथल का एक अलग ही माहौल बन गया। निस्संदेह नोट बदलने के लिए लगने वाली लम्बी कतारों

मोदी सरकार के ठोस उपायों से बढ़ रहा है उद्यमशीलता का दायरा

1991 में शुरू हुई नई आर्थिक नीतियों की प्रक्रिया गठबंधन सरकारों के दौर में आकर ठहर गई। यही कारण था कि उदारीकरण का रथ महानगरों और राजमार्गों से आगे नहीं बढ़ पाया। इसका नतीजा यह हुआ कि खेती-किसानी घाटे का सौदा बन गई और गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा। उद्यमशीलता के महानगरों तक सिमट जाने के कारण देश भर में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी।

मोदी सरकार की नीतियों से आर्थिक मजबूती की ओर देश

भारत ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में एक बार फिर छलांग लगाई है। इसका मतलब है कि भारत के आर्थिक सुधार कारगर हो रहे हैं। ऐसे में अर्थव्यवस्था से जुड़ी रिजर्व बैंक सहित अन्य संस्थाओं को सुधार कार्यो में साझा प्रयास करने चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि संवैधानिक संस्थाएं लोगों के कल्याण के लिए हैं।

59 मिनट लोन योजना: छोटे उद्यमियों को मजबूती देने की दिशा में सरकार की बड़ी पहल

किसी भी उद्योग को स्‍थापित करने, संचालित करने के लिए विशाल पूंजी की आवश्‍यक्‍ता होती है। यह पूंजी जुटाने के लिए कारोबारी हमेशा जद्दोजहद में रहते हैं। सक्षम निवेशक तो यह पूँजी जुटा लेते हैं, लेकिन नए या साझेदारी में निवेश करने वालों के सामने कर्ज लेने का ही विकल्‍प होता है जिसकी प्रक्रियात्मक जटिलताएं उद्यमियों को हतोत्साहित कर देती हैं।