विवेक शुक्ला

रामनवमी विशेष : कम्पनियों के सीईओज को लेनी चाहिए राम के जीवन से सीख

श्रीराम का जीवन यूँ तो न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के भी अनेक देशों में आदर्श के रूप में स्थापित और स्वीकृत है. लेकिन, यहाँ आज की जरूरतों के संदर्भ में एक अलग दृष्टिकोण से हम उसकी विवेचना करें तो श्रीराम का जीवन किसी कंपनी के सीईओ के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। राम अगर किसी बड़ी कंपनी के सीईओ होते तो खासे सफल रहते।

देश के लिए हर तरह से घातक हैं रोहिंग्या, नहीं दी जा सकती शरण !

रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण देने की मांग हो रही है। ये कथित मानवतावादी जान लें कि राष्ट्रीय सुरक्षा नाम की चीज भी होती है। देश पहले ही कश्मीर, नक्सली, गरीबी, बेरोजगारी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में, देश अपने सीमित संसाधनों को रोहिंग्या पर लुटाने के लिए तैयार नहीं है। खुद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जरदारी ने रोहिंग्याओ को पाकिस्तान में शरण देने का विरोध किया है। बांग्लादेश रोहिंग्याओ को

आरोप लगाकर गायब होने में माहिर हैं रामचंद्र गुहा

एक पत्रकार या इतिहासकार से यह अपेक्षा रहती है कि वो अपनी खबरों और शोध के पुख्ता प्रमाण भी दे। तब उसके काम को प्रतिष्ठा मिलती है। लेकिन, इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस मामूली-सी बात को भूल गए हैं। गुहा के साथ यह परेशान बढ़ती जा रही है। अब उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या में संघ का हाथ बता दिया है। जब कर्नाटक पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, तो गुहा को कैसे पता चल गया कि गौरी लंकेश

गौरी लंकेश की हत्या पर कर्नाटक सरकार से सवाल पूछने से क्यों बच रहे, कॉमरेड ?

कर्नाटक जैसा देश का एक शानदार और प्रगतिशील राज्य जिस तेजी से गर्त में मिल रहा है, उसे सारे देश को गंभीरता से लेना होगा। बैंगलुरू में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में घुसकर हत्या से सारा देश का मीडिया जगत सन्न है। वो जुझारू पत्रकार थीं। गौरी के कातिलों को पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

डोकलाम में भारत ने कायदे से चीन को उसकी औकात दिखा दी है !

भारत ने इस बार कायदे से चीन को समझा दिया कि हमें 1962 वाला कमजोर और निरीह देश मत समझना। अगर जंग की तो इतनी मार खाओगे कि पानी नहीं मिलेगा। भारत के आत्मविश्वास के आगे धूर्त चीन पस्त हो गया। उसने अपने कदम वापस खींच कर समझदारी दिखाई। दोनों पड़ोसियों के ताजा विवाद ने कुछ बिन्दुओं को साफ कर दिया। जैसे कि चीन घनघोर विस्तारवादी देश है। विश्व समुदाय को चीन की इस हरकत

तीन तलाक पर रोक के बाद जश्न मना रही मुस्लिम महिलाएं, मौलानाओं के चेहरे हुए गमगीन !

सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक पर आए ऐतिहासिक फैसले के बाद खबरिया टीवी चैनलों पर बैठे मौलवियों के गमगीन चेहरे और फैसले के स्वागत में देश के अलग-अलग भागों में जश्न मनाती मुसलमान औरतों के चेहरे के फर्क समझिए। फैसले से दोनों की जिंदगी बदलने वाली है। जहां मौलवी खारिज होंगे अपने समाज में, वहीं मुसलमान औरतें बेहतर भविष्य की तरफ बढ़ेंगी। दरअसल तीन तलाक के खिलाफ आवाजें हमेशा

पाकिस्तानी चीफ जस्टिस के इस बयान से समझा जा सकता है कि वहाँ हिन्दुओं की क्या दशा होगी !

पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार का नाम आपने कभी नहीं सुना होगा। लेकिन वे इन दिनों खबरों में है। उन्होंने कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में हिन्दू शब्द बोलने तक से इंकार कर दिया था। आप यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने हिन्दू शब्द का प्रयोग तक नहीं किया अपने एक भाषण के दौरान। पाकिस्तान की स्थापना विषय पर आयोजित एक सेमिनार में वे कह रहे थे कि पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर टू नेशनल थ्योरी

वह बौद्ध देश जहाँ राम राजा हैं और राष्ट्रीय ग्रंथ है रामायण !

भारत से बाहर अगर हिन्दू प्रतीकों और संस्कृति को देखना-समझना है, तो थाईलैंड से उपयुक्त राष्ट्र शायद ही कोई और हो सकता। दक्षिण पूर्व एशिया के इस देश में हिन्दू देवी-देवताओं और प्रतीकों को आप चप्पे-चप्पे पर देखते हैं। यूं थाईलैंड बौद्ध देश है, पर इधर राम भी अराध्य हैं। यहां की राजधानी बैंकाक से सटा है अयोध्या शहर। वहाँ के लोगों की मान्यता है कि यही थी श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरो में आपको

केरल में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कब टूटेगी मानवाधिकारवादियों की खामोशी ?

केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकताओं के कत्लेआम का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोकतंत्र में मतभेद संवाद से दूर होते हैं, हिंसा के सहारे विरोधियों का खात्मा नहीं किया जाता। राजनीतिक हिंसा तो अस्वीकार्य है ही। पर, केरल में लेफ्ट फ्रंट सरकार को यह समझ नहीं आता। केरल में भाजपा और संघ के जुझारू और प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस

भारत से युद्ध छेड़ना चीन के लिए खुद अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा !

चीन का जब सीमा विवाद पर आक्रमक रुख शुरू हुआ तो एक उम्मीद थी कि दलाई लामा से लेकर भारत में रहने वाले बड़ी संख्या में तिब्बती उसके (चीन) के खिलाफ सामने आएँगे। लेकिन सब चुप हैं। न दलाई लामा बोल रहे हैं, न ही बात-बात पर चीन एंबेसी के बाहर प्रदर्शन करने वाले तिब्बती खुलकर भारत के पक्ष में खड़े हो रहे हैं। भारत ने दलाई लामा को उनके हजारों अनुयायियों के साथ शरण देकर एक तरह से चीन से