नजरिया

बिहार चुनाव ने सिद्ध किया कि देशहित की राजनीति को ही मिलेगा जनसमर्थन

बिहार चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि देश की राजनीति राजनेताओं के वोट कबाड़ने वाले हथकंडों से उबरने का प्रयत्न कर रही है।

जेएनयू में नए युग का आगाज

उम्मीद जगती है कि अब जेएनयू में आयातित वामपंथी विचारधारा का वर्चस्व कम होगा तथा भारतीयता के विचारों को प्रोत्साहन मिलेगा।

मोदी सरकार की नीतियों पर जनता की मुहर हैं चुनावी नतीजे

बिहार के साथ-साथ इन उपचुनावों के नतीजों को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले साल की नीतियों, उपलब्‍धियों पर जनमत संग्रह के तौर पर देखा जा रहा है।

बिहार चुनाव : जातीय समीकरणों को नहीं, विकास और सुशासन की राजनीति को मिला जनादेश

बिहार में मंगलवार की सुबह में स्थिति अलग दिख रही थी, लेकिन दोपहर होते-होते गेंद ने अपना पाला बदल लिया और अंततः राजग को 125 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।

सरकार के क़दमों का दिखने लगा असर, रफ़्तार पकड़ रहीं आर्थिक गतिविधियाँ

सरकार के क़दमों से महामारी के प्रभाव से उबरकर अब अर्थव्यवस्था स्थायित्व एवं बेहतरी की दिशा में आगे बढ़ रही है। अगस्त के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है।

जम्‍मू-कश्‍मीर में संगठित लूट पर रोक लगाने में कामयाब रही मोदी सरकार

मोदी सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि स्‍वायत्‍तता, स्‍वशासन व जिहाद का झुनझुना अब जम्मू-कश्मीर में किसी को नहीं भा रहा है।

विश्व स्तर पर मानवता के लिए खतरा बन चुका है इस्लामिक कट्टरपंथ

क्या यह सवाल पूछा नहीं जाना चाहिए कि इस्लामिक कट्टरता को वैचारिक पोषण कहाँ से मिलता है? क्यों सभी आतंकवादी समूहों का संबंध अंततः इस्लाम से ही जाकर जुड़ता है?

भारत की विशेषता है अनेकता में एकता

हम एक सांस्कृतिक राष्ट्र हैं, जो आज से नहीं हज़ारों वर्षों से चलते चले आ रहे हैं। भारत दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से इकलौती ऐसी सभ्यता है जो आज भी  मूल रूप में अपने अस्तित्व में है।

लोकलुभावन चुनावी वादे करने वाले तेजस्‍वी यादव अतीत को भुला बैठे हैं

नीतीश कुमार के शासनकाल को जंगलराज करार देते हुए राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव चुनावी वादों की बरसात कर रहे हैं। 

‘बिहार में का बा’ बनाम ‘बिहार में ई बा’ की पड़ताल

बिहार चुनाव में एक तरफ जहां नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली छवि है, वहीं दूसरी तरफ लालू राज को जनता आज भी भूलने को तैयार नहीं है।