वामपंथी

हिंदू-मुस्लिम एकता की भव्य इमारत खड़ी करने का अवसर

भारत के स्वाभिमान और हिंदू आस्था से जुड़े राम मंदिर निर्माण का प्रश्न एक बार फिर बहस के लिए प्रस्तुत है। उच्चतम न्यायालय की एक अनुकरणीय टिप्पणी के बाद उम्मीद बंधी है कि हिंदू-मुस्लिम राम मंदिर निर्माण के मसले पर आपसी सहमति से कोई राह निकालने के लिए आगे आएंगे। राम मंदिर निर्माण पर देश में एक सार्थक और सकारात्मक संवाद भी प्रारंभ किया जा सकता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने

राष्ट्रहित के लिए घातक हैं वामपंथी और सेक्युलर, सावधान रहने की जरूरत

देश में कन्हैया कुमार से लेकर उमर खालिद जैसे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों का समर्थन करने वाले वामी और तथाकथित सेक्युलर ब्रिगेड का देश की लोकतान्त्रिक संस्थाओं व शासन व्यवस्थाओं पर बेवजह के सवाल उठाना मुख्य शगल बन गया है। लोकतंत्र की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले इस ब्रिगेड का बात-बात पर देश की व्यवस्थाओं से भरोसा उठ जा रहा है। ये उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में धूल

ख़त्म हो रहा जनाधार, पतन की ओर बढ़ते वामपंथी दल

लेफ्ट पार्टियां देश की राजनीति में अप्रसांगिक होती जा रही हैं। इनकी नीतियों, कार्यक्रमों और विचारों को जनता स्वीकार नहीं कर रही है। इसलिए ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) लोक सभा से लेकर राज्य विधानसभा चुनावों में धराशायी होती जा रही हैं।

साईबाबा की सज़ा पर उनकी पत्नी की प्रतिक्रिया से निकलते संदेश

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और उसके नतीजों के कोलाहल के बीच एक बेहद अहम खबर लगभग दब सी गई । राजनीतिक विश्लेषकों ने इस खबर को उतनी तवज्जो नहीं दी जितनी मिलनी चाहिए थी । उस खबर पर प्राइम टाइम में उतनी बहस नहीं हुई जितनी होनी चाहिए थी । वह खबर थी दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज के शिक्षक जी साईबाबा और चार अन्य को देश के खिलाफ युद्ध

वैचारिक स्वतंत्रता की आड़ में ख़तरनाक साज़िशों का जाल

एक चर्चित पंक्ति है, ‘जब तलाशी हुई तो सच से पर्दा उठा कि घर के ही लोग घर के लूटेरे मिले’। यह पंक्ति अभी दो दिन पहले आई एक ख़बर पर सटीक बैठती है। हालांकि चुनावी ख़बरों के बीच वह ज़रूरी खबर दब सी गयी। दिल्ली विश्वविद्यालय से एक प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा को वर्ष २०१४ में नक्सलियों से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और अब गढ़चिरौली की अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई

देश के शिक्षण संस्थानों पर वामपंथियों की कुदृष्टि

इन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत अवस्थित रामजस महाविद्यालय विवादों में बना हुआ है। विषय को आगे बढ़ाने से पूर्व आवश्यक होगा कि हम रामजस महाविद्यालय के इतिहास के विषय में थोड़ा जान लें। इस महाविद्यालय की स्थापना सन 1917 में प्रख्यात शिक्षाविद् राज केदारनाथ द्वारा दिल्ली के दरियागंज में की गयी थी। जहाँ से 1924 में स्थानांतरित करते हुए इसे दिल्ली के आनंद परबत इलाके में महात्मा

रामजस कॉलेज प्रकरण पर हंगामा, तो केरल की वामपंथी हिंसा पर खामोशी क्यों ?

रामजस महाविद्यालय प्रकरण से एक बार फिर साबित हो गया कि हमारा तथाकथित बौद्धिक जगत और मीडिया का एक वर्ग भयंकर रूप से दोमुंहा है। एक तरफ ये कथित धमकियों पर भी देश में ऐसी बहस खड़ी कर देते हैं, मानो आपातकाल ही आ गया है, जबकि दूसरी ओर बेरहमी से की जा रही हत्याओं पर भी चुप्पी साध कर बैठे रहते हैं। वामपंथ के अनुगामी और भारत विरोधी ताकतें वर्षों से इस अभ्यास में लगी

मैं विद्यार्थी परिषद् बोल रहा हूँ…..!

कम्युनिस्ट अपने मूल चरित्र में जितने हिंसक हैं, उतने ही फरेब में माहिर भी हैं। वो रोज नए झूठ गढ़ते हैं। जबतक उनके एक झूठ से पर्दा उठे तबतक दूसरा झूठ ओढ़कर पैदा हो जाते हैं. दरअसल झूठ की लहलहाती फसल के रक्तबीज हैं। आजकल इनके निशाने पर देश के विश्वविद्यालय हैं। कुछ भी रचनात्मक कर पाने में असफल यह गिरोह अब ध्वंसात्मक नीतियों के चरम की ओर बढ़ चला है।

सावरकर के समग्र मूल्यांकन की दरकार

रविवार को विनायक दामोदकर सावरकर की इक्यावनवीं पुण्यतिथि थी । इस देश में हिंदुत्व शब्द को देश की भौगोलिकता से जोड़नेवाले इस शख्स की विचारधारा पर वस्तुनिष्ठ ढंग से अब तक काम नहीं हुआ है । सावरकर की विचारधारा को एम एस गोलवलकर और के बी हेडगेवार की विचारधार और मंतव्यों से जोड़कर उनकी एक ऐसी छवि गढ़ दी गई है जो दरअसल उनके विचारों से मेल नहीं खाती है ।

वामपंथियों के बौद्धिक प्रपंचों और दोहरे चरित्र को उजागर करतीं कुछ घटनाएं

पिछले दिनों दो-तीन अहम घटनाएं हुईं। उर्दू भाषा के एक कार्यक्रम जश्न-ए-रेख्ता में पाकिस्तानी-कनाडाई मूल के लेखक-विचारक तारिक फतह के साथ बदसलूकी और हाथापाई हुई, माननीय पत्रकार सह विचारक सह साहित्यकार ‘रवीश कुमार’ के भाई सेक्स-रैकेट चलाने के मामले में आरोपित हुए और अभी दिल्ली विश्वविद्यालय में फिर से एक ‘सेमिनार’ के बहाने जेएनयू में ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी-जंग