शिवानन्द द्विवेदी

बेजा नहीं संघ प्रमुख की चिंता, सात राज्यों में अल्पसंख्यक हुए हिन्दू !

आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ के सर संघचालक मोहन भागवत…

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहा भारत का पुनर्निर्माण

भावी भारत के निर्माण और प्राचीन भारत के मूल स्वरुप की जब बात आती है तो यह बहस शुरू हो जाती है कि आखिर ‘भारत’ है क्या ? क्या यह महज संविधान शासित लोकतांत्रिक राज्य वाला एक भू-भाग मात्र है अथवा इससे आगे भी इसकी कोई पहचान है ? इस बहस के सन्दर्भ में अगर समझने की कोशिश की जाय तो भारत कोई 1947 में पैदा हुआ देश नहीं है।

सुन लो पाकिस्तान, अब तो मोदी भी बोल दिए ‘वो कश्मीर हमारा है’

इस बात को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब दिल्ली में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लेखकों से ‘विचारधारा और राजनीति’ के मुद्दे पर संवाद कर रहे थे। उस संवाद चर्चा के दौरान एक लेखक ने बेबाकी से पूछा कि राजनीति में विचारधारा के प्रश्न पर आप क्या कहते हैं ? इसके जवाब में शाह ने कहा कि विचारधारा को लेकर हम कोई समझौता नहीं कर सकते हैं। हमारी बुनियाद ही विचारधारा आधारित है और हम उसी पर टिके हैं।

टैक्स की प्रक्रिया सरल और व्यापार की गति तेज, यही है जीएसटी का मूल: भूपेन्द्र यादव

संसद का मानसून सत्र चल रहा है। केंद्र की मोदी सरकार के लिहाज से यह सत्र बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सत्र में कई लम्बित विधेयकों पर न सिर्फ चर्चा हुई है, बल्कि…

दलितों-पिछड़ों के नाम पर भाजपा को कोसने वाले अपने गिरेबान में झांके

वर्तमान दौर अवधारणा आधारित राजनीति का दौर है. प्रत्येक राजनीतिक दल को लेकर एक निश्चित अवधारणा का बन जाना भारतीय राजनीति में आम हो चुका है. देश के यूपी एवं बिहार जैसे राज्यों की राजनीति में जातीय समीकरणों का चुनावी परिणाम में खासा महत्व होता है. लेकिन बिहार में भाजपा को लेकर यह भरसक प्रचार किया गया कि भाजपा सवर्ण-ब्राह्मणवादी आरक्षण विरोधी राजनीतिक दल है.

भाजपा के अंध-विरोध में एक ‘इतिहासकार’ का ‘कथावाचक’ हो जाना!

एक इतिहासकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वो इतिहास से जुड़े पुख्ता तथ्यों से समाज को रूबरू कराए। लेकिन जब इतिहासकार तथ्यों
और घटनाओं को छोड़कर ‘फिक्शन’ अथवा कहानियों के आधार पर लेख लिखने लगे तो बड़ा आश्चर्य होता है। गत २५ जून २०१६ को एक अंग्रेजी अखबार में इतिहासकार रामचन्द्र गुहा का एक लेख ‘डिवाइड एंड विन’ शीर्षक से छपा था

भ्रम से निकलिए और जानिये क्यों भारत है ‘हिन्दू राष्ट्र’ ?

दो बातों को लेकर संघ का सर्वाधिक विरोध होता है। पहला कि संघ भारत के ‘हिन्दू राष्ट्र’ होने की बात करता है जबकि दूसरा ये कि संघ के अनुसार भारत में रहने वाला और भारतीय संस्कृति को मानने वाला हर भारतीय हिन्दू है। इन दोनों मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण बड़ा ही स्पष्ट है। लेकिन संघ-विरोधी खेमे द्वारा इन मुद्दों पर विरोध के साथ-साथ यह आरोप भी लगाने की भरपूर कोशिश होती रही है कि संघ भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का एजेंडा चलाने की फिराक में है!