समाज-संस्कृति

‘हमें ऐसे युवा बनाने होंगे जो देश के सहारे आगे बढ़ने की बजाय देश को आगे बढ़ाने की सोचें’

भारत एक युवा देश है। युवाओं के मामले में हम विश्व में सबसे समृद्ध देश हैं। यानि दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा युवा हमारे देश में हैं। भारत सरकार की यूथ इन इंडिया-2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1971 से 2011 के बीच युवाओं की आबादी में 34.8% की वृद्धि हुई है। बता दिया जाए कि इस रिपोर्ट में 15 से 33 वर्ष तक के लोगों को युवा माना गया है।

ये हैं वो कारण जिनसे भारतीय नववर्ष और भी विशेष बन जाता है !

यूरोपीय सभ्यता के वर्चस्व के कारण विश्व भर में 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। भारत में भी अधिकांश लोग अंग्रेजी कलैण्डर के अनुसार नववर्ष 1 जनवरी को ही मनाते हैं किन्तु हमारे देश में एक बड़ा वर्ग चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नववर्ष का उत्सव मनाता है। यह दिवस बहुसंख्यक हिन्दु समाज के लिए अत्यंत विशिष्ट है – क्योंकि इस तिथि से ही नया पंचांग प्रारंभ होता है और वर्ष भर के पर्व , उत्सव एवं अनुष्ठानों के

महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध दिख रही मोदी सरकार !

आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज न कराई हो। महिलाएं समाज की प्रथम इकाई परिवार का आधार स्तंभ है। एक महिला सशक्त होती है, तो वह दो परिवारों को सशक्त बनाती है। प्राचीन काल में भी महिलाएं शक्ति का उदाहरण थीं। वे ज्ञान का भंडार थीं। किन्तु, एक समय ऐसा आया कि महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया।

मुस्कुराते चेहरे के साथ सामाजिक सुधार में रत जयेंद्र सरस्वती सदैव स्मरण किए जाते रहेंगे !

इस सप्‍ताह शंकराचार्य जयेंद्र सरस्‍वती के अवसान का समाचार सामने आया। उनके निधन की औपचारिक खबरें मीडिया व प्रचार माध्‍यमों से जारी की जाती रहीं लेकिन यह केवल खानापूर्ति भर थी। उनके असल व्‍यक्तित्‍व का बखान किसी ने नहीं किया। कांची कामकोटि पीठ के 69 वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्‍वती एक युगपत संत के तौर पर सदा स्‍मरण किए जाते रहेंगे। युगपत इस अर्थ में, कि जब उन्‍होंने संन्‍यास लिया था, तबसे

राष्ट्रोदय समागम : हिन्दू चिंतन की कट्टरता से ही होगा मानव का कल्याण !

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मेरठ में आयोजित राष्ट्रोदय समागम केवल संख्या की दृष्टि से अभूतपूर्व नहीं था, बल्कि यहाँ से समरसता, मानवता, शौर्य और राष्ट्रीय भाव का उद्घोष भी हुआ। समाज के सभी वर्गों की इसमें भागीदारी हुई। सर संघचालक मोहन भागवत ने न केवल दुनिया के सामने बढ़ते संकट, तनाव, वैमनस्यता, आतंकवाद आदि समस्याओं का उल्लेख किया, बल्कि इनका समाधान भी बताया। दुनिया की अनेक

इन्वेस्टर समिट में दिखा जीवन के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पक्षों का सार्थक समन्वय !

जीवन के आर्थिक या भौतिक पहलुओं का महत्व अपनी जगह है। विकास, निवेश, जीवन यापन को आसान बनाने वाले उपक्रम इसी के अंतर्गत आते हैं। इन पर सकारात्मक कार्य करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। इसी आधार पर उसका मूल्यांकन भी होता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए राजधानी लखनऊ में दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। यह एक सफल और ऐतिहासिक आयोजन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र

अंकित की हत्या पर ‘कुछ’ लोगों की चुप्पी बेहद डराने वाली है !

अंकित सक्सेना की मौत कोई साधारण मौत नहीं है, यह आतंक और हिंसा का शहर के बीचों-बीच नग्न प्रदर्शन है। दुःख इस बात का है कि कल तक हंसने-खेलने वाले लड़के का देश की राजधानी में सबके सामने क़त्ल हुआ, फिर भी इसपर एक खेमा एक चुप है। अंकित के नाम पर देश भर में कहीं भी कोई कैंडल मार्च नहीं निकला। वे लोग इसपर एकदम चुप हैं, जो पिछले कई मुद्दों पर देश में असहिष्णुता बढ़ने को लेकर अक्सर

हिन्दी भाषा के मुद्दे पर दो नावों की सवारी कर रहे शशि थरूर !

शशि थरूर को अभी तय करना है कि वे हिन्दी विरोधी हैं या प्रेमी। वे संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक दर्जा देने से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दावोस के वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में हिन्दी में भाषण देने का विरोध करते हैं। पर, थरूर साथ ही अपनी किताबों का हिन्दी में अनुवाद भी करवाने लगे हैं। शशि थरूर की नयी पुस्तक ​’अन्ध​कार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य’ का कुछ समय पूर्व लोकार्पण किया गया था। निश्चित

वसंत पंचमी : ‘भ्रमित मनुष्यता को विद्यादेवी ही सही मार्ग पर ला सकती हैं’

ऋतुओं में वसंत-ऋतु सर्वश्रेष्ठ है। इसीलिए वसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। इस ऋतु के प्रवेश करते ही सम्पूर्ण पृथ्वी वासंती आभा से खिल उठती है। वसंत ऋतु के आगमन पर वृक्षों से पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नये पत्ते आना प्रारंभ होते हैं। इस ऋतु के प्रारंभ होने पर शीत लहर धीरे-धीरे कम होने लगती है तथा वातावरण में उष्णता का समावेश होता है। माघ महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी को वसंत ऋतु का आरम्भ स्वीकार

शिक्षण संस्थानों में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी की सार्थक पहल !

शिक्षण संस्थानों के सुधार में प्राचार्य और कुलपति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सभी परिस्थितियां समान होने के बावजूद इन पदों पर तैनात व्यक्ति अलग अलग परिणाम देते हैं। कई बार पर्याप्त संसाधन नहीं होते, फिर भी प्राचार्य या कुलपति बेहतर परिणाम देते हैं। ऐसा वह अपनी इच्छाशक्ति और प्रबंधन क्षमता से कर दिखाते हैं। इसमें पहला तथ्य अनुशासन का होता है। एक बार अनुशासन दुरुस्त हो जाता है, तब