समाज-संस्कृति

शिक्षा केवल साक्षरता का माध्यम नहीं, मनुष्य को मनुष्य बनाने की कला है!

आज ‘शिक्षा’ का अर्थ साक्षरता और सूचनात्मक जानकारियों से समृद्ध होना है और आज की शिक्षा का उद्देश्य किसी शासकीय, अशासकीय कार्यालय का वेतनभोगी अधिकारी-कर्मचारी बनना भर है। इस अर्थ में शिक्षा अपने वास्तविक स्वरूप और उद्देश्य से बहुत दूर है और तथाकथित शिक्षित उत्पन्न कर आधी अधूरी क्षमताओं वाले बेरोजगारों की भीड़ जुटा रही है। आधुनिक शिक्षा की

अविस्मरणीय और अभूतपूर्व रही मोदी की कुंभ यात्रा

प्रयागराज कुंभ में करीब बाईस करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हुआ। इस बार कुंभ की तैयारियों में अनेक अद्भुत दृश्य देखने को मिले, मोदी की कुंभ तीर्थयात्रा अविस्मरणीय बन गई। पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने यहां सफाईकर्मियों के पांव पखारे, पहली बार सफाईकर्मियों का सम्मेलन हुआ, जिसमें मोदी ने उनका सम्मान

दीनदयाल उपाध्याय : ‘व्यक्ति और समाज का सुख परस्पर विरोधी नहीं, पूरक होता है’

आज दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि  है। शुरुआत में ही यह भी जोड़ना उचित होगा कि दीनदयाल उपाध्याय को याद करने की एकमात्र वजह यह नहीं होनी चाहिए कि उनको मानने वाले लोग अभी सत्ता में हैं बल्कि इसलिए भी उनको याद करना जरूरी है कि समन्वयवाद की जो धारा हमेशा से भारतीय चिंतन के केंद्र में रही है, दीनदयाल भी उसी के पोषक हैं। आज दीनदयाल को याद करने की एक बड़ी वजह यह भी है कि वो कट्टरता के धुर विरोधी थे।

भाषा की ताकत जाननी हो तो पाकिस्तान का यह इतिहास पढ़ लीजिये !

पाकिस्तान के लिए दो तारीखें अहम हैं। 24 मार्च, 1940 और 21 फरवरी,1952। आप कह सकते हैं कि 24 मार्च, 1940 को पाकिस्तान की स्थापना की बुनियाद रखी गई थी। और 21 मार्च, 1948 को उसी पाकिस्तान को दो भागों में बांटने की जमीन तैयार की गई। संयोग देखिए कि इन दोनों तारीखों से एक खास शख्स जुड़ा है। इसका नाम है मोहम्मद अली जिन्ना।

कुम्भ केवल लोकरंजन का महोत्सव ही नहीं, लोक-कल्याण का साधन भी है

संगमनगरी प्रयागराज में मकर संक्रांति से आरम्भ हो चुके आस्था के लोक महोत्सव यानी कुम्भ मेले  को लेकर देश भर के श्रद्धालुओं के बीच उत्साह और उल्लास का वातावरण एकदम प्रत्यक्ष है। दरअसल इस कुम्भ मेले में सिर्फ देश से ही नहीं वरन विदेशों से भी भारी संख्या में सैलानी आते हैं।

आखिर क्यों विशेष है इस बार का कुम्भ आयोजन?

प्रत्येक सरकार अपने स्तर से कुंभ मेले की तैयारियां करती है। लेकिन इस बार तैयारियों के साथ आस्था का भी समावेश हुआ है। योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में चली तैयारियों में ऐसा होना भी था। योगी का दावा है कि पचास वर्षों में पहली बार तीर्थयात्रियों को इतना शुद्ध जल स्नान हेतु मिलेगा। पहली बार तीर्थयात्री पौराणिक अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन कर सकेंगे।

‘राम मंदिर के लिए शांतिपूर्ण प्रयास होने चाहिए और धर्मसभा ने वही किया’

अयोध्या में धर्मसभा को लेकर अनेक प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थीं। यहां तक कि सेना को भेजने तक की मांग की गई। लेकिन यहां पहुंचने वाले रामभक्तों ने धर्मसंसद की मर्यादा कायम रखी। समाज के साथ सरकार ने भी अपनी प्रशासनिक कुशलता का परिचय दिया। जितनी बड़ी संख्या में रामलला के दर्शन की अनुमति प्रदान की गई, उसे अभूतपूर्व कहा जा सकता

श्री रामायण एक्‍सप्रेस : धार्मिक पर्यटन को नए आयाम देने की दिशा में रेलवे की अनूठी पहल

श्री रामायण एक्‍सप्रेस नाम की यह ट्रेन, एक नई प्रकार की टूरिस्‍ट ट्रेन है। अपने नाम के ही अनुसार यह ट्रेन देश के उन सभी प्रमुख तीर्थ स्‍थानों को अपनी यात्रा में शामिल करेगी जिनका कि रामायण में उल्‍लेख है। इसमें श्रीराम के जन्‍म स्‍थान अयोध्‍या से लेकर दक्षिण भारत में रामेश्‍वरम तक प्रमुख तीर्थ स्‍थान शामिल होंगे। इस नई ट्रेन में यात्रा करने के लिए लोगों में काफी उत्‍साह

‘अयोध्या हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है, इसके साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता’

दीपावली त्रेता युग से चली आ रही भारतीय परंपरा है। इस दिन प्रभु राम लंका विजय कर अयोध्या पधारे थे। अयोध्या की उदासी दूर हुई। उत्साह, उमंग का वातावरण बना। इसीकी अभिव्यक्ति दीप जला कर की गई। इसी के साथ एक सन्देश भी निर्मित हो गया। सन्देश असत्य पर सत्य की जीत का था। कार्तिक मास की गहन अंधकार वाली अमावस्या की  रात्रि दीयों की रोशनी से नहा

रामलीला के विश्वव्यापी रंग

मानवीय क्षमता की सीमा होती है। वह अपने ही अगले पल की गारंटी नहीं ले सकता। इसके विपरीत नारायण की कोई सीमा नहीं होती। वह जब मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं, तब भी आदि से अंत तक कुछ भी उनसे छिपा नहीं रहता। लेकिन वह अनजान बनकर अवतार का निर्वाह करते है। भविष्य की घटनाओं को देखते हैं, लेकिन प्रकट नहीं होते देते। इसी को उनकी लीला कहा