समाज-संस्कृति

हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार !

लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया, “भारत सरकार हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने को लेकर गंभीरता से प्रयासरत है। वो इस पहल में अपने साथ मारीशस और फीजी को भी जोड़ रही है।” संयुक्त राष्ट्र में चीनी, अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएँ केवल चार

‘मर्द हैं तो ताक-झांक भी करेंगे, रखनिया भी रखेंगे’

लोकसभा में पेश तीन तलाक संबंधी मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। अब उम्मीद है कि ये राज्यसभा में भी पारित हो जाएगा। यानी अब हर पल तलाक के भय में जीवन व्यतीत करने वाली मुस्लिम औरतें चैन से जिंदगी बसर कर सकेंगी। तीन तलाक को दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखते हुए तीन वर्ष तक कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस बिल पर चर्चा

वो जगह जहां नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद किराए पर रहने लगे थे बाबा साहेब !

डॉ. भीमराव अंबेडकर के अंतिम पांच साल राजधानी के अलीपुर रोड में बीते। उन्होंने पंडित नेहरू की कैबिनेट से 31 अक्तूबर, 1951 को इस्तीफा दे दिया था और उसके अगले ही दिन वे 26, अलीपुर रोड के बंगले में आ गए थे। पंडित नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा देने के अगले ही दिन यानी 1 नवंबर को उन्होंने अपनी सरकारी बंगले को छोड़ दिया था। यानी वे एक दिन भी सरकारी बंगले में मंत्री पद को छोड़ने के बाद नहीं

पद्मावती प्रकरण : अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को भूलते जा रहे फिल्मकार

आज सिनेमा, शिक्षण व मनोरंजन के उद्देश्यों से मुंह मोड़ कर प्रोपगंडा की शक्ल में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। उत्तेजनापूर्ण संवाद, आइटम सोंग और नायिकाओं को निर्वस्त्र करने की होड़ में फिल्मकार समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का कैसा निर्वाह कर रहे हैं, यह समझ से परे है? बहरहाल, सामाजिक दायित्वों से मुख मोड़ रहे और सुनियोजित तरीके से बहुसंख्यकों की भावनाओं से खिलवाड़

योगी की मॉरीशस यात्रा का क्या है हासिल ?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मॉरीशस यात्रा से द्विपक्षीय रिश्तों का नया अध्याय लिखा है। उन्होने आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों पर ही जोर नहीं दिया, बल्कि सांस्कृतिक रिश्तों को भी आगे बढ़ाया है। इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मॉरीशस गए थे, उस दौरान कई विषयों पर आपसी सहमति बनी थी। योगी ने उनको भी न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि उसकी

केदारनाथ का पुनर्निर्माण : मोदी जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके रहते हैं !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह जिस बात को ठान लेते हैं, उसे पूरा करके रहते हैं। उनकी यह संकल्पबद्धता देश-विदेश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के मामले में देखने को मिल रही है। वर्ष 2013 की भीषण आपदा में केदारपुरी के बुरी तरह से तबाह होने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी उत्तराखंड आए थे। तब उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार

संसार भर में झंडा गाड़ रहे भारतीय मूल के सिख सांसद !

सिख समाज के लिए माना जाता है कि ये मूल रूप से कारोबार में अपने हाथ दिखाना चाहते हैं। उसमें ये सफल भी होते हैं। लेकिन, ये अब अनेक देशों की संसदों में भी पहुंचने लगे हैं। भारत के बाद सर्वाधिक सिख सांसद कनाडा में हैं। कनाडा के पिछले साल हुए आम चुनाव में पांच सिख सांसद चुनकर संसद में पहुंचे और अब वहां पर दो सिख मंत्री हैं।

लौह पुरुष सरदार पटेल जो धर्मपत्नी की मृत्यु की सूचना के बाद भी केस लड़ते रहे !

स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण तक में सरदार वल्लभ भाई पटेल का  योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।  उनका जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रेरणा के रूप में देश के सामने रहेगा। उन्होने युवावस्था में ही  राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया था। इस ध्येय पथ पर वह निःस्वार्थ भाव से लगे रहे। गीता में भगवान कृष्ण ने कर्म को योग रूप में समझाया है।

‘अर्घ्य के दिन किसी छठ घाट पर चले जाइए, आप वो देखेंगे जो आपके मन को प्रफुल्लित कर देगा !’

ये यूं ही नहीं कहा जाता कि भारत पर्वों, व्रतों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का देश है। दरअसल यहां शायद ही ऐसा कोई महीना बीतता हो जिसमें कोई व्रत या पर्व न पड़े। हमारे पर्वों में सबसे अलग बात ये होती है कि इन सब में हमारा उत्साह किसी न किसी आस्था से प्रेरित होता है। कारण ये कि भारत के अधिकाधिक पर्व अपने साथ किसी न किसी व्रत अथवा पूजा का संयोजन किए हुए हैं। ऐसे ही त्योहारों की कड़ी में पूर्वी

‘मेरे लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा ही बाबा की सेवा है’

राजनेताओं के धर्मिक स्थलों पर जाने, वहां पूजा-अर्चना करने की परंपरा पुरानी है। इसे उनकी व्यक्तिगत रुचि कहा जा सकता है। लेकिन नरेंद्र मोदी आध्यात्मिक भावना के साथ पर्यटन का विचार भी साथ लेकर चलते हैं। ऐसी कई यात्राओं में वह इसका प्रमाण दे चुके हैं। गोवर्धन पूजा के दिन वह केदारनाथ धाम पहुंचे और पूजा-अर्चना की। लेकिन, यह उनका एकमात्र उद्देश्य नहीं था। वह जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय से