अर्थव्यवस्था

ये जनता की चिंताओं और समस्याओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील सरकार है !

नरेंद्र मोदी के रूप में देश ने ऐसा प्रधानमंत्री चुना है, जो जनता की नब्ज़ को पहचानता है तथा जिसे आरोपों का पलटवार प्रमाणपूर्वक करना आता है। कई दिनों से, विशेषकर विपक्षी नेताओं द्वारा, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी ‘जीएसटी’ की आलोचना हो रही थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आई थोड़ी गिरावट के बहाने देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने की बात कही जा रही थी। सरकार की नीतियों को गलत बताया जा

अपने लक्ष्यों की तरफ अग्रसर है नोटबंदी, विफलता की बातें हैं भ्रामक

पिछले साल की गई नोटबंदी के सकारात्‍मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। रिजर्व बैंक ने इसी सप्‍ताह एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि जब नोटबंदी की गई थी तो जिन पांच सौ व हजार रूपये के नोटों को बंद किया गया था, उनका मूल्‍य 15.28 लाख करोड़ रुपए था। इस राशि का करीब 99 प्रतिशत हिस्‍सा बैंकिंग सिस्‍टम में वापस आ चुका है। इन पुराने नोटों में से महज 16 हजार नोट ही आना शेष हैं। प्रधानमंत्री

नोटबंदी से हुए फायदों की कहानी, इन आंकड़ों की जुबानी

आठ अगस्त को नोटबंदी के 9 महीने हो गये। आज बड़े मूल्य वर्ग के चलन से बाहर की गई मुद्राओं के बदले छापी गई नई मुद्रायेँ 84% चलन में है, जबकि नोटबंदी के पहले बड़े मूल्यवर्ग यथा 1000 और 500 की मुद्रायेँ 86% चलन में थी। फिलवक्त, चलन में मुद्राओं का केवल 5.4% ही बैंकों के पास उपलब्ध है, जबकि नवंबर, 2016 में बैंकों के पास 23.2% मुद्रायेँ उपलब्ध थी। नोटबंदी के तुरंत बाद बैंकों में नकदी की उपलब्धता उसकी

चीन की बदमाशियों को जीएसटी से मिलेगा माकूल जवाब

भारत में 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू कर दिया गया है। जीएसटी के प्रावधानों को देखते हुए माना जा रहा है कि इससे चीन के निर्यात पर लगाम लगेगा, क्योंकि जीएसटी के कुछ प्रावधानों के कारण चाइनीज उत्पादों का अंतर्राजीय वितरण आसानी से नहीं किया जा सकेगा, जिससे चाइनीज उत्पाद देश के दूर-दराज इलाकों तक नहीं पहुँच सकेंगे। इनकी पहुँच केवल एक राज्य के स्थानीय बाज़ारों तक

जीएसटी का विरोध करने वाले विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध जैसी भूल कर रहे हैं !

तीस जून की आधी रात देश में जीएसटी लागू हो गया। संसद के सेन्ट्रल हाल में एक भव्य आयोजन किया गया। हालांकि कांग्रेस एवं वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बेजा विरोध किया। देश इस आर्थिक सुधार के एतिहासिक क्षण का गवाह बना। ‘एक राष्ट्र एक कर’ के नारे के साथ जीएसटी समूचे देश में लागू हो गया। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह यह जरूरी है कि विपक्ष भी अपनी रचनात्मक भूमिका अदा

सरल भाषा में जानिये कि जीएसटी से कैसे कम होगी महंगाई और होंगे क्या-क्या फायदे !

जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग लगने वाले सभी कर एक ही कर में समाहित हो जायेंगे। इसके तहत अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से उत्पादों के दाम घटेंगे। कम टैक्स होने से मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी। साथ ही, सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी कम होगी। स्पष्ट है, इससे आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।

नोटबंदी के बाद से लगातार मज़बूत हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने, कैड में बेहतरी आने, केंद्रीय बैंक द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने, निर्यात में वृद्धि आने, डॉलर की तुलना में रूपये में मजबूती आने, जीडीपी के बेहतर होने के आसार और जीएसटी के लागू होने आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन आने की संभावना बढ़ गई है। मौजूदा समय में लगातार मजबूत होती मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर सकारात्मक निर्णय ले रही है, जिसके अपेक्षित परिणाम बहुत ही जल्द दृष्टिगोचर होंगे, ऐसे कयास लगाये जा सकते हैं।

सीएसओ ने जारी किए आंकड़े, नोटबंदी का नहीं पड़ा अर्थव्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव

नोटबंदी पिछले तीन महीनो से देश के सबसे चर्चित विषयों में से एक रही है। विपक्षियों द्वारा नोटबंदी के बाद इस बात को लेकर बहुत शोर किया गया कि नोटबंदी से देश की कृषि और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। लेकिन, कुछ समय पहले आये फसल उत्पादन में वृद्धि के आंकड़ों के बाद जहां यह साफ़ हो गया कि नोटबंदी से कृषि पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है; वहीँ अभी हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी

जीएसटी से मिलेगी भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर क़ानून है, जो भारत की वर्तमान अप्रत्यक्ष टैक्स लगाने के पूरे सिस्टम को बदल देगा। 3 अगस्त, २०१६ को यह राज्यसभा में पारित हो गया और आगामी वित्त वर्ष से लागू भी हो जाएगा। अभी वर्तमान में वस्तुओं पर वैट और सेवा कर तथा सेवाओं पर सेवा कर लगता है और विभिन्न तरह के अलग-अलग टैक्स जैसे प्रोफेशनल टैक्स, चुंगी इत्यादि अप्रयक्ष टैक्स लग रहे

नोटबंदी : कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ता देश

देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से मुक्त करने के लिये प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी की 8 नवंबर को एकाएक की गई घोषणा ने सभी हलकनों में हलचल-सी पैदा कर दी। इस ऐलान के बाद से सभी 500 और 1000 रूपये के पुराने नोट अमान्य हो गये। हालांकि इस देशव्यापी फैसले से लोगों को थोड़ी समस्या का सामना तो करना पड़ रहा है, किंतु अब लोग कैशलेस और मोबाइल वॉलेट का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे