सतीश सिंह

एससीओ की सदस्यता से भारत की कूटनीति को मिलेगी और मजबूती

बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत का शामिल होना कूटनीतिक एवं कारोबारी दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इस संगठन का सामरिक व कारोबारी महत्व है। इस संगठन का उद्देश्य चरमपंथी ताकतों को नेस्तनाबूत करने के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच कारोबारी रिश्ते मजबूत करना है। भारत मौजूदा समय में मुख्य तौर पर आतंकवाद और पूँजी

मोदी के रूस दौरे से पाक के रूस से नजदीकी बढ़ाने की कूटनीति को जोरदार धक्का लगा है !

देखा जाये तो आज विदेश नीति के मायने बदल गये हैं। पहले विदेश नीति के तहत सामरिक मामलों को तरजीह दी जाती थी, लेकिन अब इसके अंतर्गत आर्थिक मसलों को केंद्र में रखा जाता है। आज की तारीख में छोटे देश भी परमाणु हथियार से लैस हैं। ऐसे में कोई भी देश किसी दूसरे देश पर हमला करने की हिमाकत नहीं कर सकता है।

विकास की राजनीति के तीन साल

भाजपा नीत मोदी सरकार के तीन सालों के शासन के बाद आज देश में जो राजनीतिक माहौल नज़र आ रहा उसका स्पष्ट संकेत यही है कि अगर फिर से आम चुनाव कराया जाये तो आसानी से भाजपा दोबारा सत्ता में आ जायेगी। ऐसे में इस सवाल का उठना लाजिमी है कि आखिर कौन से कारण हैं, जिनकी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पूरे देश में कायम है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कैसे रहे मोदी सरकार के तीन साल ?

इसमें दो राय नहीं है कि बीते तीन सालों में मोदी सरकार ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि आर्थिक क्षेत्र से संबंधित है। मोगर्न स्टेनले के ताजा शोध के मुताबिक अनुकूल विदेशी मांग, कंपनियों के बेहतर नतीजे और निजी क्षेत्र में पूंजी व्यय में होती बढ़ोतरी से देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत के स्तर तक पहुँच सकती है, जिसके कारक बाह्य मांग

कामयाब होती मोदी सरकार की कृषि नीतियाँ, खाद्यान्न के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद

मोदी सरकार की कृषि नीति एवं बेहतर मॉनसून की वजह से जून में समाप्त हो रहे फसल वर्ष में गेहूं, चावल और दलहन सहित खाद्यान्न का रिकॉर्ड 27 करोड़ 33 लाख 80 हजार टन उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले साल 25 करोड़ 15 लाख टन हुआ था। इसके पहले रिकॉर्ड उत्पादन फसल वर्ष 2013-14 में 26 करोड़ 50 लाख टन का हुआ था। खाद्यान्नों में चावल, गेहूं, मोटे अनाज एवं दलहन शामिल हैं। कृषि मंत्रालय ने

मोदी के नेतृत्व में लोक-लुभावन योजनाओं से लोक-कल्याणकारी योजनाओं की ओर बढ़ता देश

लोक-लुभावन योजनाएँ अमूमन सत्ता में बने रहने के लिये लागू की जाती हैं। कांग्रेस सरकारों द्वारा लोगों को अनियंत्रित सब्सिडी देना या फिर आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली में आधे बिजली बिल माफ करना आदि को इस श्रेणी में रखा जा सकता है। ऐसी योजनाओं का उद्देश्य लोगों का भला करना कदापि नहीं होता है, जिसके कारण इनका असर अल्पकालिक होता है। इस तथ्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बखूबी वाकिफ हैं।

2022 तक ब्रिटेन से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत !

आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दिग्‍गज अर्थव्यवस्थाओं के खराब दौर में भी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत आने वाले पाँच सालों में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जायेगा। वर्तमान में यह स्थान जर्मनी को हासिल है। भारत का स्थान अभी

मोदी सरकार की इन योजनाओं से ख़त्म होगी बेरोजगारी !

‘मेक इन इंडिया’ का सपना साकार करने के लिए ‘स्टार्ट अप इंडिया’ की जरूरत है। प्रधानमंत्री इस योजना की मदद से देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती, रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी, विकास दर में इजाफा आदि लाना चाहते हैं। यह योजना उन लोगों के लिए है जो अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, लेकिन देश में अनुकूल माहौल नहीं होने या कारोबार शुरू करने में आने वाली बाधाओं को

नोटबंदी के बाद से लगातार मज़बूत हुई है भारतीय अर्थव्यवस्था

विमुद्रीकरण का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने, कैड में बेहतरी आने, केंद्रीय बैंक द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने, निर्यात में वृद्धि आने, डॉलर की तुलना में रूपये में मजबूती आने, जीडीपी के बेहतर होने के आसार और जीएसटी के लागू होने आदि से अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन आने की संभावना बढ़ गई है। मौजूदा समय में लगातार मजबूत होती मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर सकारात्मक निर्णय ले रही है, जिसके अपेक्षित परिणाम बहुत ही जल्द दृष्टिगोचर होंगे, ऐसे कयास लगाये जा सकते हैं।