नजरिया

श्रावण विशेष : भारतीय संस्कृति की समन्वय-शक्ति के अधिष्ठाता देव हैं शिव

शिव के इस समन्वयकारी स्वरूप का विस्तार केवल उनके परिवार तक ही नहीं है, अपितु भारतीय लोक में भी उसकी स्पष्ट उपस्थिति दृष्टिगत होती है।

सामाजिक समरसता के लिए समर्पित गुरुजी गोलवलकर का जीवन

संघ की शाखा पर सामाजिक समरसता को जीनेवाले लाखों स्वयंसेवक गुरुजी के आह्वान पर ‘हिन्दव: सोदरा: सर्वे’ के मंत्र को लेकर समाज के सब लोगों के बीच में गए। 

रक्षा क्षेत्र के समझौतों के लिहाज से बेहद फलदायी रही प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा

अमेरिका से जो रक्षा और उनकी तकनीक हस्तांतरण के समझौते हुए हैं वे भारत की भू-सामरिक ताकत तो बढ़ाएंगे ही, स्वदेशी लड़ाकू विमान और ड्रोन निर्माण का रास्ता भी खोल देंगे।

स्वामी विवेकानंद का विश्व बंधुत्व का संदेश

जब स्वामी विवेकानंद स्वागत का उत्तर देने के लिए खड़े होते हैं और “अमेरिकावासी बहनों तथा भाइयों” से अपना वक्तव्य शुरू करते हैं और सामने बैठे विश्वभर से आये हुए लगभग 7 हज़ार लोग दो मिनट से ज्यादा समय तक तालियाँ बजाते रहते हैं।

सनातन भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का है विशेष महत्व

भारत के इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं तो दिखता है कि सनातन संस्कृति के अनेक महापुरुषों को गुरु के आशीर्वाद एवं सान्निध्य से ही देवत्व की प्राप्ति हुई है।

आपातकाल : जब सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को ठेंगे पर रख दिया गया!

वर्ष 1975 में आज के ही दिन सत्ता के कुत्सित कदमों ने देश में लोकतंत्र को कुचल दिया था और लोकतंत्र के इतिहास में यह एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया। लोकतंत्र के चारों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व प्रेस पर घोषित व अघोषित पहरा बैठा दिया गया। लोकतंत्र को ठेंगे पर रखकर देश को आपातकाल की गहरी खाई में धकेलने के पीछे महज किसी भी

‘गीता प्रेस’ के सम्मान का विरोध करने के पीछे की मानसिकता को समझिए

विरोधियों द्वारा यह कहना कि महात्मा गांधी और गीता प्रेस के प्रबंधकों के बीच घोर असहमतियां थी- निराधार और मूर्खतापूर्ण कथन है।

भारतीय मूल्यों की संवाहक बन रही हैं जी-20 की बैठकें

जब भारत अपनी स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, उसी समय उसे विश्व के प्रभावशाली देशों के संगठन ‘जी-20’ की अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है।

महारानी लक्ष्मीबाई : सोए हुए पौरुष और स्वाभिमान को जागृत-झंकृत करने वाली वीरांगना

जनरल ह्यूरोज का यह कथन महारानी लक्ष्मीबाई के साहस एवं पराक्रम का परिचय देता है, ”अगर भारत की एक फीसदी महिलाएँ इस लड़की की तरह आज़ादी की दीवानी हो गईं तो हम सब को यह देश छोड़कर भागना पड़ेगा।”

‘भारत के स्वराज्य’ का उद्घोष था श्रीशिवराज्याभिषेक

कहते हैं कि यदि छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म न होता और उन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना न की होती, तब भारत अंधकार की दिशा में बहुत आगे चला जाता।